Fact Check: टीचर्स के इस लोगो को नहीं मिली है सुप्रीम कोर्ट की मान्यता, वायरल दावा गलत है

सुप्रीम कोर्ट ने टीचर्स की कार के लिए वायरल लोगो को मान्यता नहीं दी है, वायरल दावा फर्जी है।

नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें एक लोगो को देखा जा सकता है। इस लोगो में दो हथेलियों के बीच में एक-एक किताब और बीच में एक कलम है। इस पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस लोगो को टीचर्स की कार पर लगाने के लिए मान्यता दे दी है। विश्वास न्यूज ने पड़ताल में पाया कि वायरल हो रहा पोस्ट फर्जी है। सुप्रीम कोर्ट ने टीचर्स को समर्पित इस लोगो को मान्यता नहीं दी है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक पर वायरल इस पोस्ट को G.K. Viswanath नामक यूजर ने साझा किया था। इसके साथ अंग्रेजी में कैप्शन लिखा गया है “Congratulations to all teachers… Supreme Court has approved this logo to be put on your car…. Just like doctors n lawyers….”।
इसका हिंदी अनुवाद है: शिक्षकों की कार पर लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने इस लोगो को मान्यता दे दी है। सभी टीचर्स को बधाई। सुप्रीम कोर्ट ने इस लोगो को मान्यता दे दी है। जैसे डॉक्टर्स और लॉयर्स के पास कार पर लगाने के लिए लोगो होता है ठीक उसी तरह अब टीचर्स इस लोगो को कार पर लगा सकते हैं।

पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

वायरल पोस्ट की पड़ताल के लिए सबसे पहले हमने इंटरनेट पर ढूंढा कि क्या सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे किसी लोगो को मान्यता दी है। हमें कहीं भी ऐसी कोई विश्वसनीय खबर नहीं मिली। इसके बाद हमने सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर भी खोजा। मगर यहाँ भी हमें ऐसी कोई खबर नहीं मिली।

इसके बाद हमने इस लोगो की जांच शुरू की। इस लोगो को गूगल रिवर्स सर्च इमेज टूल की मदद से ढूंढा तो हमें Teacher Logo नाम से एक फेसबुक पेज मिला, जिस पर इस लोगो का इस्तेमाल किया गया था। इस पेज पर हमें ऐसी कुछ तस्वीरें मिलीं, जिनमें लोग अपनी कार पर इस लोगो को चिपकाते दिखे और कुछ ग्रुप फोटोज मिलीं, जिसमें लोग इस ‘लोगो’ की तस्वीर हाथ में लिए खड़े हैं।

इसके बाद हमें कॉमर्स टैलेंट सर्च एग्जामिनेशन फाउंडेशन की वेबसाइट पर इस लोगो को प्रजेंट करते हुए कुछ लोगों की तस्वीर मिली, जिसके पीछे पंजाबी में लिखा था लोगो सृजक: श्री राजेश खन्ना, प्रिंसिपल।

पड़ताल में हमने पाया कि इस लोगो को पंजाब के लुधियाना के कासाबाद स्थित गवर्नमेंट सीनियर सेकंडरी स्कूल के प्रिंसिपल राजेश खन्ना ने साल 2017 में डिजाइन किया था।

हमने इस विषय में खन्ना से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि उन्होंने यह लोगो टीचर्स को समर्पित करते हुए बनाया था। उन्होंने कहा कि मुझे लगता था कि जिस तरह डॉक्टर्स, लॉयर्स व सीए आदि का अपना अपना लोगो होता है और वे इसे शान से अपनी गाड़ी पर भी लगाते हैं, ऐसे ही टीचर्स का भी लोगो होना चाहिए, ताकि टीचर्स को भी पहचान मिल सके। मगर यह बात गलत है कि इसे सुप्रीम कोर्ट की मान्यता मिल गयी है। अभी ऐसा कुछ नहीं है। आशा करते हैं कि ऐसा जल्द हो।”

फेसबुक पर यह पोस्ट “G.K. Viswanath” नामक यूजर ने साझा की थी। जब हमने इस यूजर की प्रोफाइल को स्कैन किया तो पाया कि यूजर चेन्नई का रहने वाला है।

निष्कर्ष: सुप्रीम कोर्ट ने टीचर्स की कार के लिए वायरल लोगो को मान्यता नहीं दी है, वायरल दावा फर्जी है।

False
Symbols that define nature of fake news
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