विश्वास न्यूज की जांच में पता चला है कि यह दावा गलत है। यह वीडियो भारत के अटल टनल का नहीं, सऊदी अरब के किंग अब्दुल अज़ीज़ सेंटर फॉर वर्ल्ड कल्चर का है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़)। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में एक इमारत के पास रंगीन धुएं के रंगीन आतिशबाजी को देखा जा सकता है। पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है कि यह हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में बने अटल टनल का है, जहां होली कुछ इस तरह मनाई गयी।
विश्वास न्यूज की जांच में पता चला है कि यह दावा गलत है। यह वीडियो भारत के अटल टनल का नहीं, सऊदी अरब के किंग अब्दुल अज़ीज़ सेंटर फॉर वर्ल्ड कल्चर का है।
क्या है वायरल पोस्ट में ?
वायरल पोस्ट में लिखा है, रंगीन धुएं के साथ रंगीन आतिशबाजी। पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है “HAPPY HAPPY HOLI . ATAL TUNNEL, ROHTANG,
HIMACHAL PRADESH, 🇮🇳”
इस पोस्ट के आर्काइव लिंक को यहां देखा जा सकता है।
पड़ताल
पड़ताल शुरू करने के लिए हमने इस वीडियो को इनविड टूल पर डाला और इस वीडियो के कीफ्रेम्स निकाले। फिर इन कीफ्रेम्स को गूगल रिवर्स इमेज सर्च किया। हमें Social Village नाम के एक यूट्यूब चैनल पर यह वीडियो मिला। 9 जून 2020 को अपलोडेड इस वीडियो के साथ लिखा था “Colorful Fireworks at The King Abdulaziz Center for World Culture khobar” जिसका हिंदी अनुवाद होता है, “किंग अब्दुल अजीज सेंटर फॉर वर्ल्ड कल्चर खोबर में रंगीन आतिशबाजी”
हमें यही वीडियो Joseph Luel Undag नाम के यूट्यूब चैनल पर भी 20 अक्टूबर 2018 को अपलोडेड मिला। यहां भी इसे सऊदी अरब का ही बताया गया था। साथ में लिखा था ‘ITHRA’ . यह वीडियो 2018 से इंटरनेट पर मौजूद है, जबकि अटल टनल का उद्घाटन अक्टूबर 2020 में हुआ था।
इंटरनेट पर ITHRA कीवर्ड ढूंढ़ने पर हमें पता चला कि सऊदी अरब के धरान में स्थित किंग अब्दुल अज़ीज़ सेंटर फॉर वर्ल्ड कल्चर को इथ्रा के नाम से भी जाना जाता है।
हमने किंग अब्दुल अज़ीज़ सेंटर फॉर वर्ल्ड कल्चर की तस्वीर को वायरल वीडियो में दिख रही तस्वीर से मिलाया तो बहुत-सी समानताएं नज़र आयीं।
किंग अब्दुल अज़ीज़ सेंटर फॉर वर्ल्ड कल्चर और रोहतांग में बने अटल टनल के आर्किटेक्चर में बहुत अंतर है। यह अंतर नीचे देखा जा सकता है।
दैनिक जागरण की खबर के अनुसार, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 अक्टूबर को रोहतांग में नवनिर्मित अटल सुरंग का उद्घाटन किया था, जिसे दुनिया में सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग बताया जा रहा है। इस टनल को 3,000 मीटर की ऊंचाई पर बनाया गया है।”
इस विषय में पुष्टि के लिए हमने जागरण के शिमला संवाददाता विकास मोंगा से संपर्क साधा। उन्होंने कहा, “यह तस्वीर अटल टनल की नहीं है। अटल टनल का आर्किटेक्चर इससे एकदम अलग है।”
वायरल तस्वीर को साझा करने वाले यूजर ‘Madhulay Shivam’ की सोशल स्कैनिंग से पता चला है कि यूजर के 203 फ़ॉलोअर्स हैं। यूजर पटना का रहने वाला है।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की जांच में पता चला है कि यह दावा गलत है। यह वीडियो भारत के अटल टनल का नहीं, सऊदी अरब के किंग अब्दुल अज़ीज़ सेंटर फॉर वर्ल्ड कल्चर का है।
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