एक बूढ़े व्यक्ति के सामने बंदूक ताने खड़े पुलिस अधिकारी की तस्वीर वर्तमान किसानों के आंदोलन की नहीं है, यह तस्वीर 2013 में मेरठ के खेड़ा गांव की है। वायरल दावा झूठा है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज): रविवार को राज्यसभा ने तीन में से दो फार्म रिफॉर्म बिल को मंजूरी दे दी गई। स्वीकृत दो बिल हैं- ‘किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020’, और ‘मूल्य आश्वासन और फार्म सेवा विधेयक, 2020’। इसके बाद, पूरे देश में, खासकर हरियाणा और पंजाब में, किसानों ने आंदोलन किया। अब एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें एक पुलिसकर्मी एक बुजुर्ग व्यक्ति के सामने बंदूक पकड़े हुए खड़ा है। पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि यह अभी हाल की तस्वीर है। लेकिन विश्वास न्यूज की पड़ताल के दौरान देखा गया कि तस्वीर पुरानी थी। यह तस्वीर 2013 में मेरठ के खेड़ा में ली गई थी, जिसे अब हाल में चल रहे किसान आंदोलन का बता कर वायरल किया जा रहा है।
क्या हो रहा है वायरल?
ट्विटर यूजर Md शमीम अशरफ ने 21 सितंबर को अपने ट्विटर प्रोफाइल से इस तस्वीर को पोस्ट किया, और लिखा “Ongoing #KishanAndolan at Pnjab, Hryana & othr States. Luk at the Police unifrm, his attitude twrds the old protsting Farmer, And indmitable spirit of the Farmer. Aisa hi Police unifrm Jamia, UP, JNU #CAA protst ke dauran dekha gaya tha ….. Desh Nagpur chlata hai.Koi sarkar nhi“
इस पोस्ट का आर्काइव लिंक यहां देखें।
पड़ताल:
राज्यसभा द्वारा हाल ही में फार्म सुधार विधेयक पारित करने के बाद, देश भर में, विशेषकर हरियाणा और पंजाब में किसानों का आंदोलन शुरू हुआ। तभी से एक तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही है, जिसमें दावा किया गया है कि यह वर्तमान किसान आंदोलन से संबंधित है।
विश्वास न्यूज ने सबसे पहले इस तस्वीर को बिंग रिवर्स इमेज पर सर्च किया। विश्वास न्यूज को ‘द पायनियर‘ की एक खबर में यह फोटो मिला। 30 सितंबर, 2013 को पब्लिश्ड इस रिपोर्ट में लिखा था, “उत्तर प्रदेश में रविवार को उस समय ताजा मुसीबत खड़ी हो गई, जब भाजपा एमएलए संगीत सोम की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे ग्रामीणों ने पुलिस के साथ लड़ाई की और मेरठ के खेड़ा गांव में सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया।”
Vishwas News को indianexpress.com की एक खबर में भी यही फोटो मिली। 30 सितंबर, 2013 को प्रकाशित इस खबर में भी यही लिखा था कि घटना मेरठ के खेड़ा गांव की है।
कैप्शन के अनुसार, यह तस्वीर पीटीआई की है।
मेरठ के खेड़ा गांव के प्रधान ओमबीर सिंह ने विश्वास न्यूज से बात करते हुए कहा, “यह तस्वीर वर्ष 2013 में कवाल कांड के बाद खेड़ा गांव की पंचायत की है। इस पंचायत में सहारनपुर तक से लोग आए थे। पुलिस पंचायत की अनुमति नहीं दे रही थी, तभी दोनों पक्षों के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई थी।”
दैनिक जागरण मेरठ के संवाददाता रवि प्रकाश तिवारी ने विश्वास न्यूज़ से बात करते हुए बताया कि ये तस्वीर 2013 की है, मेरठ की सदर तहसील के खेड़ा गांव की है। उन्होंने यह भी कहा कि लोग चाहते थे कि वहां पंचायत हो, लेकिन सरकार ने इसकी अनुमति नहीं दी थी।
दैनिक जागरण लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार ने भी फोटो की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि तस्वीर 29 सितंबर, 2013 को ली गई थी और 30 सितंबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी। उन्होंने यह भी कहा कि तस्वीर पीटीआई द्वारा जारी की गई थी। उन्होंने 30 सितंबर, 2013 को दैनिक जागरण के प्रिंट संस्करण को भी हमारे साथ शेयर किया।
विश्वास न्यूज ने इस फ़र्ज़ी पोस्ट को शेयर करने वाले यूजर के ट्विटर प्रोफाइल की जांच की। हमें पता चला कि यूजर Md शमीम अशरफ ने दिसंबर 2014 में ट्विटर ज्वाइन किया था। उनके 73 फॉलोअर्स हैं।
Instagram video:
निष्कर्ष: एक बूढ़े व्यक्ति के सामने बंदूक ताने खड़े पुलिस अधिकारी की तस्वीर वर्तमान किसानों के आंदोलन की नहीं है, यह तस्वीर 2013 में मेरठ के खेड़ा गांव की है। वायरल दावा झूठा है।
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