अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में तालिबान के समर्थन में हुई महिलाओं की बैठक की तस्वीर को एडिट कर उसे गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक तस्वीर में एक हॉल में बुर्का पहने हुए कई महिलाओं को देखा जा सकता है। दावा किया जा रहा है इस तस्वीर में एक पुरुष बुर्का पहन कर महिलाओं के बीच बैठा हुआ है।
विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत निकला। वायरल हो रही तस्वीर, जिसमें महिलाओं के बीच पुरुष के बुर्का पहनकर बैठने का दावा किया जा रहा है, वह एडिटेड और अल्टर्ड है। तालिबान के समर्थन में हुई महिलाओं की एक बैठक की मूल तस्वीर को एडिट कर इस फेक तस्वीर का निर्माण कर उसे सोशल मीडिया पर गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।
फेसबुक यूजर ‘जागो काफिरो’ ने वायरल तस्वीर (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ”मेरा अब्दुल सबसे अलग है…. ☺️😊☺️।”
सोशल मीडिया पर कई अन्य यूजर्स ने इस तस्वीर को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है। ट्विटर यूजर ‘HadeiaAMIRY’ने भी इस तस्वीर को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।
वायरल तस्वीर के ओरिजिनल सोर्स को खोजने के लिए हमने गूगल रिवर्स इमेज सर्च की मदद ली। सर्च में हमें यह तस्वीर ‘Ziauddin Yousafzai’ के वेरिफाइड ट्विटर हैंडल पर लगी मिली, जो मलाला यूसुफजई के पिता हैं।
12 सितंबर 2021 को किए गए ट्वीट में उन्होंने इन तस्वीरों को अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद का बताया है। तस्वीर को शेयर करते हुए उन्होंने लिखा है, ‘आप दुनिया के किसी भी देश में ऐसा ड्रेस कोड नहीं ढूंढ सकते हैं। यह न तो इस्लामी है और न ही अफगानी। यह दैत्य संस्कृति है, जो महिलाओं को अस्तित्वहीन बनाता है।’
हालांकि, इस तस्वीर में हमें ऐसा कुछ नहीं दिखा, जिसे वायरल तस्वीर में देखा जा सकता है। अफगानिस्तान के प्रमुख टीवी चैनल टोलो न्यूज के प्रमुख ‘Lotfullah Najafizada’ने भी अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इस तस्वीर को ट्वीट किया है।
इन दोनों ही ट्विटर हैंडल से पोस्ट की गई तस्वीरों में वह तस्वीर शामिल है, जो वायरल पोस्ट में बुर्का पहने पुरुष के दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। लेकिन हमें ओरिजिनल तस्वीर में ऐसा कुछ नजर नहीं आया।
रिवर्स इमेज सर्च में हमें अफगानिस्तान की अग्रणी न्यूज एजेंसी khamma.com की वेबसाइट पर 11 सितंबर 2021 को Tens of university students protest in support to Taliban in Kabul’ हेडलाइन से प्रकाशित रिपोर्ट (आर्काइव लिंक) मिली, जिसमें इस्तेमाल की गई तस्वीर वायरल हो रही तस्वीर से मेल खाती है। हालांकि, इस तस्वीर में हमें कोई पुरुष बुर्का पहने हुए नजर नहीं आया।
रिपोर्ट के मुताबिक, जहां अफगानिस्तान में कई महिलाएं तालिबान की वापसी की विरोध कर रही हैं, वहीं एक अन्य मामले में महिलाओं को अफगानिस्तान में तालिबान के शासन का ”समर्थन” करते हुए देखा गया, जहां महिलाओं ने लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग कक्षाओं के तालिबानी फरमान को सही ठहराते हुए अफगानिस्तान में कायम इस्लामिक अमीरात का समर्थन किया।
नीचे दर्शाए गए कोलाज में दोनों तस्वीरों के अंतर को साफ-साफ देखा जा सकता है। मूल तस्वीर को एडिट कर उसे बुर्का पहने हुए पुरुष की तस्वीर बनाकर गलत दावे के साथ वायरल कर दिया गया।
वायरल तस्वीर को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले पेज को फेसबुक पर करीब 19 हजार लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में तालिबान के समर्थन में हुई छात्राओं की बैठक की तस्वीर को एडिट कर उसे गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है। मूल तस्वीर को एडिट कर उसमें बुर्का पहने हुए पुरुष की फोटो जोड़कर उसे गलत दावे के साथ सोशलम मीडिया पर फैलाया जा रहा है।
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