सड़क पर लोगों के हाथों पिट रहे पुलिसकर्मी की यह तस्वीर तीन साल पुरानी घटना की है, जब उत्तर प्रदेश के कानपुर के बर्रा इलाके के न्यू जागृति हॉस्पिटल के आईसीयू में रेप का मामला सामने आने के बाद पुलिस और लोगों के बीच भिड़ंत हुई थी।
नई दिल्ली (विश्वास टीम)। कोरोना वायरस के प्रसार की रोकथाम के लिए जारी 21 दिनों के लॉकडाउन के बीच देश के कई हिस्सों में पुलिस और लोगों के बीच झड़प की खबरों के बीच एक तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें कुछ लोगों को एक पुलिसवाले को पीटते हुए देखा जा सकता है।
विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा भ्रामक निकला। लोगों के हाथों पिटते जिस पुलिसकर्मी की तस्वीर वायरल हो रही है, वह तीन साल पुरानी घटना की तस्वीर है।
फेसबुक यूजर ‘Suraj Kumar Pandey’ ने वायरल तस्वीर को शेयर (आर्काइव लिंक) करते हुए लिखा है, ”यह अक्षम्य है, जो पुलिस कर्मी हमारी सुरक्षा में दिन रात एक किये हैं, उनके साथ ऐसी हरकत बिल्कुल भी बर्दाश्त नही की जानी चाहिए। ऐसे उपद्रवियों को हर हाल में फांसी होनी चाहिए।”
पड़ताल किए जाने तक इस तस्वीर को 17 हजार से अधिक लोग शेयर कर चुके हैं। इस तस्वीर को 14 हजार लोगों ने लाइक किया है।
गूगल रिवर्स इमेज किए जाने पर हमें डेली मेल की वेबसाइट पर 21 जून 2017 को प्रकाशित खबर मिली, जिसमें इस वीडियो का इस्तेमाल किया गया है।
खबर के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के कानपुर के एक अस्पताल के आईसीयू में छात्रा के साथ कथित तौर पर बलात्कार का मामला सामने आने के बाद लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और पुलिस के साथ उनकी झड़प हुई, जिसमें दोनों पक्षों ने एक-दूसरे को पीटा।
इसी खबर में उस वायरल तस्वीर का भी इस्तेमाल किया गया है, जो सोशल मीडिया पर गलत दावे के साथ वायरल हो रहा है।
सर्च में हमें inextlive.com की खबर का भी लिंक मिला, जिसमें इस घटना की जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के मुताबिक यह घटना 17 जून 2017 की है, जब ‘बर्रा के न्यू जागृति हॉस्पिटल के आईसीयू में रेप के मामले में भीड़ का गुस्सा पुलिस की ढिलाई की वजह से फूटा। शनिवार सुबह बर्रा के न्यू जागृति अस्पताल के पास नियोजित तरीके से भीड़ जुटी और इसके बाद हॉस्पिटल पर जमकर पत्थरबाजी की। जैसे-जैसे समय बीतता गया भीड़ उग्र होती गई। इसमें पिसे वो पुलिसकर्मी, जिनकी मंशा सिर्फ मामले को शांत कराने की थी। दैनिक जागरण के सहयोगी टैब्लॉयड समाचारपत्र आईनेक्स्ट के पास इस पूरे घटनाक्रम की जो तस्वीरें आई उसने भीड़ की बेहरमी और पुलिस की बेबसी को साफ कर दिया। पूरे बवाल में एक दर्जन से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए। जमीन पर मरणासन्न पड़े 58 साल के एक दारोगा को जिस तरह से भीड़ पीट रही थी। उससे कश्मीर की एक तस्वीर भी जहन में आई।’
Inextlive के वेरिफाइड यू-ट्यूब चैनल पर इस पूरी घटना के वीडियो को देखा जा सकता है।
4 मिनट 31 सेकेंड के इस वीडियो में 1.32 सेकेंड के फ्रेम में उस तस्वीर को देखा जा सकता है, जो वायरल हो रहा है।
खबर में कानपुर नगर की तत्कालीन डीआईजी सोनिया सिंह के बयान का भी जिक्र है। उनके मुताबिक, ‘पुलिस से संघर्ष करने वालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस बवाल में गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की है। पत्थरबाजी करने वालों की पहचान कर उनकी गिरफ्तारी शुरू कर दी गई है। घायल पुलिसकर्मियों के इलाज में पूरी मदद की जाएगी।’
आईनेक्स्ट लाइव के एडिटर, मयंक शुक्ला ने बताया, ‘वायरल हो रहा वीडियो 2017 में हुई घटना की है, जब सड़क पर भीड़ और पुलिस की भिड़ंत हुई थी।’
वायरल पोस्ट शेयर करने वाले फेसबुक यूजर को करीब तीन हजार लोग फॉलो करते हैं। अपनी प्रोफाइल में उन्होंने खुद को मिर्जापुर का रहने वाला बताया है।
निष्कर्ष: सड़क पर लोगों के हाथों पिट रहे पुलिसकर्मी की यह तस्वीर तीन साल पुरानी घटना की है, जब उत्तर प्रदेश के कानपुर के बर्रा इलाके के न्यू जागृति हॉस्पिटल के आईसीयू में रेप का मामला सामने आने के बाद पुलिस और लोगों के बीच भिड़ंत हुई थी।
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