Fact Check: यह तस्वीर कोरोना वायरस से मरे लोगों की नहीं है, फर्जी दिशानिर्देश हो रहे वायरल

कोरोना वायरस की वजह से लोगों की मौत को लेकर वायरल हो रही पोस्ट भ्रामक है। वायरल पोस्ट में जिस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है, वह जर्मनी की और करीब छह साल पुरानी है, जबकि कोरोना वायरस का मामला कुछ महीनों ही सामने आया है।

नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें किसी सड़क पर कई लोग पड़े हुए नजर आ रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि यह कोरोना वायरस से मृत लोगों का शव है, जो सड़कों पर बिखरा हुआ है।

विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत निकला। जिस तस्वीर को कोरोना वायरस से हुई मौतों से जोड़कर वायरल किया जा रहा है, वह चीन की नहीं है, बल्कि कई साल पुरानी जर्मनी की तस्वीर हैं, जिसमें संस्कृतिकर्मी नाजी जर्मनी में हुए नरसंहार को याद करते हुए मृतकों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर ‘अनूप राजा’ (Anup Raja) ने एक तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा है, ”कोरोना_वायरस हमारे भारत में आ चुका है ,। जयपुर में एक patient admit hai आपको कोरोना वायरस से बचने का उपाय बताता हूं , क्युकी इसका कोई इलाज नहीं आया है अभी कोरोना वायरस से बचने का उपाय –

1. पानी उबालकर पियें ।

2. मांसाहार खाना बंद कर दें ।

3. आहार में विटामिन सी, जिंक और विटामिन बी कॉन्प्लेक्स देने वाले पदार्थों की मात्रा बढ़ा दें ।

4. व्यक्तिगत स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें ।

5. तुलसी, अदरक, काली मिर्च, मिश्री और कुछ बूंदे नींबू की डालकर काढ़ा बनाकर पीए l

6. गिलोय का सेवन सुबह खाली पेट करें ।

7. भोजन में सब्जियों का सूप भी लें ।

8. किसी भी प्रकार का पेय पदार्थ (कोल्ड ड्रिंक्स) आइसक्रीम, कुल्फी आदि खाने से बचें ।

9.किसी भी प्रकार का बंद डिब्बा भोजन, पुराना बर्फ का गोला, सील बंद दूध तथा दूध से बनी हुई मिठाइयाँ जो कि 48 घंटे से पहले की बनी हो उसे नहीं खावे।

इन सभी चीजों का इस्तेमाल आज दिनांक 03/02/2020 से कम से कम 90 दिनों तक न करें ।

10. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक कोरोना वायरस से बचने के लिए अपने हाथों को साबुन या गर्म पानी से धोये । खाँसते, छींकते वक्त नाक और मुँह को किसी टिशू पेपर या रुमाल से ढके क्योंकि ये वायरस छींक से भी फैलता है । शेयर करके सबको जागरूक करें और सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल करें आप लोगो से प्रार्थना है , आप लोगो के थोड़े से प्रयास से स्वाएन फ्लू की तरह इससे भी निजात पा सकते हैं 🙏🏻🙏🏻 अन्यथा जैसे चाइना में लोग मर रहे हैं वैसा ही हाल हमारे देश का भी हो जाएगा👇।”

फेसबुक पर वायरल हो रही पोस्ट

पड़ताल

वायरल पोस्ट में तीन अलग-अलग दावे किए गए हैं। हमने बारी-बारी से उनकी पड़ताल की।

पहला दावा : पहला दावा तस्वीर को लेकर किया गया है, जिसमें कई लोग सड़कों पर पड़े नजर आ रहे हैं। गूगल रिवर्स इमेज में हमें यह तस्वीर न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की फोटो गैलरी में मिली। तस्वीर के साथ दी गई जानकारी के मुताबिक, ‘जर्मनी के फ्रैंकफर्ट शहर में लोगों ने हिटलर के नाजी जर्मनी में यातना शिविर में मार दिए गए लोगों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी।’ 24 मार्च 1945 को काटबैक यातना शिविर में 528 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था।

Image Credit- Reuters

रॉयटर्स के फोटोग्राफर्स के फफेनबैक ने इस तस्वीर को जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में 24 मार्च 2014 को खींचा था। यानी इस तस्वीर का कोरोना वायरस और उससे जुड़ी हुई मौतों से कोई लेना-देना नहीं है। यह तस्वीर कोरोना वायरस के फैलने से करीब 6 साल पहले की तस्वीर है।

दूसरा दावा:वायरल पोस्ट में किया गया दूसरा दावा जयपुर में कोरोनो वायरस से संक्रमित व्यक्ति के अस्पताल में भर्ती होने का है। न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल में इस वायरस से संक्रमण के संदेह में तीन लोगों को भर्ती किया गया है।’ हालांकि, राजस्थान में अभी किसी भी व्यक्ति के इस वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि नहीं हुई है।

न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में अब तक इस वायरस से तीन लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है, जो केरल से हैं।

राजस्थान सरकार के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, ‘3 फरवरी 2020 तक जयपुर एयरपोर्ट पर अब तक 31 फ्लाइट और 4495 यात्रियों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। अब तक 6 जांचों के परिणाम दिए गए हैं, जो नेगेटिव रहे हैं।’

हमारे सहयोगी नईदुनिया, जयपुर के संवाददाता मनीष गोधा ने बताया, ‘जयपुर में अभी तक एक भी व्यक्ति के इस वायरस से संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई है।’ उन्होंने ताजा जानकारी देते हुए बताया, ‘राजस्थान में अब तक 17 संदिग्ध पैसेंजर्स के सैंपल नेगेटिव आए हैं। राज्य में कुल 21 पैसेंजर्स को संदिग्ध श्रेणी में चिह्नित किया गया था, जिसमें अभी तक 4 पैसेंजर की रिपोर्ट आनी बाकी है।’

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जारी एडवाइजरी में पानी उबालकर पीने, मांसाहार बंद करने, खाने में विटामिन सी, जिंक, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स की मात्रा बढ़ाने, गिलोय का सेवन करने, तुलसी, अदरक, काली मिर्च, मिश्री और नींबू का काढ़ा बनाकर पीने और भोजन में सब्जियों का सूप लेने संबंधी कोई दिशानिर्देश नहीं है।

जनरल फिजिशियन डॉ. सजीव कुमार के मुताबिक, ‘इन उपायों का कोरोना वायरस के संक्रमण के दौरान बचाव से कोई लेना-देना नहीं है।’

हालांकि, WHO एडवाइजरी में व्यक्तिगत स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने (दावा संख्या 4) और हाथों को साबुन या गर्म पानी से धोने एवं छींकते वक्त नाक और मुंह को टिश्यू पेपर या रूमाल से ढंकने (दावा संख्या 10) का जिक्र है।

भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए जारी किए गए दिशानिर्देशों को यहां पढ़ा जा सकता है।

वायरल पोस्ट में निम्नलिखित तीन दावे किए गए हैं-

क्लेम संख्या 8. ”किसी भी प्रकार का पेय पदार्थ (कोल्ड ड्रिंक्स) आइसक्रीम, कुल्फी आदि खाने से बचें।”

क्लेम संख्या 9. ”किसी भी प्रकार का बंद डिब्बा भोजन, पुराना बर्फ का गोला, सील बंद दूध तथा दूध से बनी हुई मिठाइयाँ जो कि 48 घंटे से पहले की बनी हो उसे नहीं खावे। इन सभी चीजों का इस्तेमाल आज दिनांक 03/02/2020 से कम से कम 90 दिनों तक न करें।”

विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दोनों दावे गलत साबित हो चुके हैं, जिनकी फैक्ट चेक को यहां पढ़ा जा सकता है।

वायरल पोस्ट करने वाला फेसबुक यूजर अनूप राजा विचारधारा विशेष से प्रेरित हैं, जिनकी प्रोफाइल पर अन्य फर्जी पोस्ट को देखा जा सकता है।


Disclaimer: कोरोनावायरसफैक्ट डाटाबेस रिकॉर्ड फैक्ट-चेक कोरोना वायरस संक्रमण (COVID-19) की शुरुआत से ही प्रकाशित हो रही है। कोरोना महामारी और इसके परिणाम लगातार सामने आ रहे हैं और जो डाटा शुरू में एक्यूरेट लग रहे थे, उसमें भी काफी बदलाव देखने को मिले हैं। आने वाले समय में इसमें और भी बदलाव होने का चांस है। आप उस तारीख को याद करें जब आपने फैक्ट को शेयर करने से पहले पढ़ा था।

निष्कर्ष: कोरोना वायरस की वजह से लोगों की मौत को लेकर वायरल हो रही पोस्ट भ्रामक है। वायरल पोस्ट में जिस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है, वह जर्मनी की और करीब छह साल पुरानी है, जबकि कोरोना वायरस का मामला कुछ महीनों ही सामने आया है।

False
Symbols that define nature of fake news
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