Fact Check: भगवान राम की छवि वाले यह सिक्के कभी भी भारतीय मुद्रा का हिस्सा नहीं थे
हमने अपनी पड़ताल में पाया कि ये भगवान राम की छवि वाला यह सिक्का कभी भी भारतीय मुद्रा का हिस्सा नहीं रहा। ये एक रामटनका या टोकन मंदिर का स्मृति चिह्न है। मंदिर का स्मृति चिह्न वाणिज्य के लिए उपयोग किए जाने वाले सिक्के नहीं हैं, बल्कि हिंदू मंदिरों से संबंधित टोकन हैं।
- By: Pallavi Mishra
- Published: Feb 3, 2020 at 07:11 PM
- Updated: Dec 18, 2020 at 04:23 PM
नई दिल्ली विश्वास न्यूज़।सोशल मीडिया पर आज कल एक पोस्ट वायरल है जिसमें एक सिक्के की दोनों साइड्स को देखा जा सकता है। इनमें पहले सिक्के पर भगवान् राम के साथ, सीता, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न देखे जा सकते हैं। और दूसरे साइड पर कमल का फूल और 2 आना लिखा देखा जा सकता है। इसके ऊपर ईस्ट इंडिया कंपनी और नीचे 1818 लिखा है। पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है कि 1818 में यह सिक्के भारतीय मुद्रा का हिस्सा थे और उस समय ब्रिटिश रूल होने के बावजूद भगवान राम की छवि वाले ये सिक्के चलते थे। हमने अपनी पड़ताल में पाया कि ये सिक्का कभी भी भारतीय मुद्रा का हिस्सा नहीं रहा। ये एक रामटनका या टोकन टेम्पल कॉइन है। मंदिर का स्मृति चिह्न वाणिज्य के लिए उपयोग किए जाने वाले सिक्के नहीं हैं, बल्कि हिंदू मंदिरों से संबंधित टोकन हैं।
क्या हो रहा है वायरल
वायरल पोस्ट में कांसे के सिक्के की दोनों साइड्स को देखा जा सकता है। इनमें पहले सिक्के पर भगवान् राम के साथ, सीता, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न देखे जा सकते हैं। और दूसरे साइड पर कमल का फूल और 2 आना लिखा देखा जा सकता है। इसके ऊपर ईस्ट इंडिया कंपनी और नीचे 1818 लिखा है।
पोस्ट के साथ डिस्क्रिप्शन में लिखा है “यह एक संयोग ही कहा जाएगा कि सन् 1818 में जो 2 आना का सिक्का होता था उसमें राम, लक्ष्मण, जानकी, भरत, शत्रुघ्न, हनुमान सब की प्रतिमा होती थी और उस समय हमारे देश में अंग्रेजों का शासन था और उस सिक्के के दूसरे तरफ कमल का फूल बना हुआ था व दीप प्रज्वलित किया गया था।ऐसे भी प्रमाण मिल रहे हैं कि जब कमल का राज आएगा, तब अयोध्या में दीपोत्सव मनाया जाएगा तथा भगवान श्री राम का भव्य मंदिर बनेगा और वह समय अब आ गया है। विगत 3 वर्षों से अयोध्या में दीपोत्सव पर्व मनाया जा रहा है, कमल का राज आ चुका है और कोर्ट ने भी भव्य राम मंदिर का समय निर्धारित कर दिया है। प्रमाण के तौर पर मैं आप सबको सन् 1818 का दो आना का सिकक प्रेषित कर रहा हूं। जय जय श्री राम”
इस पोस्ट के आर्काइव्ड वर्जन को यहाँ देखा जा सकता है।
पड़ताल
इस पोस्ट की पड़ताल करने के लिए हमने इन तस्वीरों को गूगल रिवर्स इमेज पर सर्च किया। हमें https://smallestcoincollector.blogspot.com/ नाम का एक ब्लॉग मिला जिसमें इनमें से एक तस्वीर थी। ब्लॉग फर्जी सिक्कों का संग्रह था जिसमें इस सिक्के को भी फर्जी बताया गया था।
इसके बाद हमने सीधा RBI की वेबसाइट पर पुराने सिक्कों को ढूंढा, क्योंकि वायरल पोस्ट में सिक्का अठारहवीं सदी का बताया गया है। इसलिए हमने अठारहवीं और उन्नीसवीं सदी के सिक्कों के बारे में ढूंढा। भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर भारत में सिक्के का पूरा इतिहास है। यहाँ कहीं भी वायरल हो रहे सिक्के नहीं दिखे।
अब हमने इस सिलसिले में दिल्ली के नेशनल म्यूजियम के आर्केियोलॉजिस्ट और प्रवक्ता संजीव सिंह से बात की। उन्होंने कहा, “इन सिक्कों की ऐतिहासिकता को प्रमाणित नहीं किया जा सकता। ये सिक्के कभी भी वाणिज्य के लिए उपयोग नहीं किये गए।”
हमने इस सिलसिले में ज़्यादा पुष्टि के लिए अंकशास्त्री और बीएचयू के प्रोफेसर जय प्रकाश सिंह से भी बात की। उन्होंने कहा, “यह दिखने में रामटनका या टोकन टेम्पल कॉइन लग रहा है। ईस्ट इंडिया कंपनी ने कभी इस प्रकार के सिक्कों को नहीं बनाया। इसके अलावा अठारवीं सदी में 2 आना चांदी का होता था, तांबे का नहीं। कॉपर-निकल मिश्र धातु में 2 आना का सबसे पहला उदाहरण 1919 में सामने आया था।” टोकन टेम्पल कॉइन के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया “टोकन टेम्पल कॉइन वाणिज्य के लिए उपयोग किए जाने वाले सिक्के नहीं हैं, बल्कि हिंदू मंदिरों से संबंधित टोकन हैं, वे धार्मिक तीर्थयात्रियों के लिए और देवताओं से आशीर्वाद लेने के लिए बनाए जाते हैं। ये सिक्के हिंदू देवताओं के डिजाइन के साथ आते हैं और उनके सम्मान में विभिन्न धार्मिक समारोह में दिए जाते हैं। मंदिर का स्मृति चिह्न पिछले 100 वर्षों से भारत में लोकप्रिय है। अधिकांश टोकन हाल ही में निर्मित हैं पर पुराने दिखने जैसे बनाए गए हैं।”
इस पोस्ट को सोशल मीडिया पर कई लोग शेयर कर रहे हैं। इन्हीं में से एक है Shashwat Sharma नाम का फेसबुक पेज। इस पेज के अनुसार ये यूजर मध्य प्रदेश के विदिशा का रहने वाला है। इस यूजर के फेसबुक पर 3,582 फ़ॉलोअर्स हैं।
निष्कर्ष: हमने अपनी पड़ताल में पाया कि ये भगवान राम की छवि वाला यह सिक्का कभी भी भारतीय मुद्रा का हिस्सा नहीं रहा। ये एक रामटनका या टोकन मंदिर का स्मृति चिह्न है। मंदिर का स्मृति चिह्न वाणिज्य के लिए उपयोग किए जाने वाले सिक्के नहीं हैं, बल्कि हिंदू मंदिरों से संबंधित टोकन हैं।
- Claim Review : यह एक संयोग ही कहा जाएगा कि सन् 1818 में जो 2 आना का सिक्का होता था उसमें राम, लक्ष्मण, जानकी, भरत, शत्रुघ्न, हनुमान सब की प्रतिमा होती थी और उस समय हमारे देश में अंग्रेजों का शासन था और उस सिक्के के दूसरे तरफ कमल का फूल बना हुआ था व दीप प्रज्वलित किया गया था।
- Claimed By : Shashwat Sharma
- Fact Check : झूठ
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