विश्वास न्यूज की जांच में दिल्ली पुलिस के नाम पर वायरल पोस्ट फर्जी साबित हुई। यूपी पुलिस के आईपीएस अफसर की दस साल पुरानी तस्वीर को अब दिल्ली के किसान आंदोलन और दिल्ली पुलिस से जोड़कर वायरल किया जा रहा है। इसलिए यह पोस्ट झूठी साबित हुई।
नई दिल्ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया में पुलिसिया अत्याचार से जुड़ी एक तस्वीर वायरल हो रही है। इसमें एक पुलिस अफसर को एक शख्स को अपने जूतों से रौंदते हुए देखा जा सकता है। यूजर्स दावा कर रहे हैं कि यह अफसर दिल्ली पुलिस से जुड़ा हुआ है। दिल्ली पुलिस किसानों के साथ ऐसा कर रही है।
विश्वास न्यूज ने पहले भी इस वायरल तस्वीर की जांच की थी। दरअसल यह तस्वीर यूपी के वरिष्ठ आईपीएस अफसर डीके ठाकुर की है। लखनऊ में 2011 में एक प्रदर्शन के दौरान यह घटना हुई थी। दिल्ली से इस तस्वीर का कोई संबंध नहीं है। पुरानी पड़ताल को यहां क्लिक करके पढ़ा जा सकता है।
फेसबुक यूजजर वसीम अकरम ने एक पोस्ट को शेयर करते हुए दावा किया : ‘दिल्ली पुलिस का खौफनाक चेहरा किसानों के साथ।’
तस्वीर में जमीन पर गिरे एक शख्स को एक पुलिस अफसर अपने जूतों से रौंद रहा है। तस्वीर के साथ लिखा है कि जितनी बार इस पोस्ट को डिलीट करोगे, उतनी बार पोस्ट करूंगा। दिल्ली पुलिस का खौफनाक चेहरा।
फेसबुक पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन देखें।
विश्वास न्यूज ने वायरल तस्वीर को रिवर्स इमेज टूल की मदद से खोजना शुरू किया। यान्डेक्स और गूगल रिवर्स इमेज के जरिए हमें यह तस्वीर कई जगह मिली। इसे पहले भी कई बार दिल्ली और कश्मीर में पुलिसिया अत्याचार के नाम पर वायरल किया जा चुका है। ओरिजनल तस्वीर हमें कैच न्यूज की वेबसाइट पर मिली।
खबर में बताया गया कि 9 मार्च 2011 को जब अखिलेश यादव को अमौसी एयरपोर्ट पर हिरासत में लिया गया तो लोहिया वाहिनी के प्रमुख आनंद भदौरिया और उनके कार्यकर्ताओं ने विधानसभा का घेराव किया। लखनऊ के तत्कालीन डीआईजी ध्रुवकांत ठाकुर ने आनंद भदौरियों को जमीन पर गिराकर बुरी तरह मारा था। मामला तूल पकड़ा तो राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने ठाकुर को नोटिस भी जारी किया था।
पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए विश्वास न्यूज ने इस तस्वीर को क्लिक करने वाले फोटोग्राफर प्रमोद अधिकारी से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया कि तस्वीर में जमीन पर गिरे हुए शख्स का नाम आनंद भदौरिया है, जबकि अफसर का नाम डीके ठाकुर। तस्वीर 2011 की है।
विश्वास न्यूज ने दैनिक जागरण, लखनऊ के क्राइम रिपोर्टर ज्ञान मिश्रा से भी संपर्क किया। उन्होंने भी हमें कन्फर्म किया कि तस्वीर 2011 की ही है।
पड़ताल के अंत में हमने फेसबुक यूजर वसीम अकरम की जांच की। हमें पता चला कि यूजर यूपी का रहने वाला है। इसके अकाउंट को आठ हजार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की जांच में दिल्ली पुलिस के नाम पर वायरल पोस्ट फर्जी साबित हुई। यूपी पुलिस के आईपीएस अफसर की दस साल पुरानी तस्वीर को अब दिल्ली के किसान आंदोलन और दिल्ली पुलिस से जोड़कर वायरल किया जा रहा है। इसलिए यह पोस्ट झूठी साबित हुई।
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