Fact Check : साइनबोर्ड पर कालिख पोतने वाली इन तस्‍वीरों का किसान आंदोलन से नहीं है कोई संबंध

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित हुई। 2017 की तस्‍वीरों को अब कुछ लोग किसान आंदोलन से जोड़कर वायरल कर रहे हैं। इसलिए हमारी जांच में वायरल पोस्‍ट फेक साबित हुई।

नई दिल्‍ली (Vishvas News)। दिल्‍ली की सीमाओं पर किसान अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया कई प्रकार की फर्जी तस्‍वीरें, वीडियो और दुष्‍प्रचार हावी हैं। इसी क्रम में अब कुछ तस्‍वीरों का एक कोलाज वायरल हो रहा है। इसमें लोगों को सड़क पर लगे साइनबोर्ड से ह‍िंदी में लिखे जगह के नाम पर कालिख पोतते हुए देखा जा सकता है। दावा किया जा रहा है कि ये हरकत करने वाले किसान हैं। कोलाज को कई लोग किसान आंदोलन से जोड़कर भी वायरल कर रहे हैं।

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। हमें पता चला कि वायरल पोस्‍ट में किया गया दावा झूठा है। 2017 की पुरानी तस्‍वीरों को अब कुछ लोग किसानों के नाम से वायरल कर रहे हैं।

क्‍या हो रहा है वायरल

खबर इंडिया नाम के एक फेसबुक पेज ने 9 जनवरी को कोलाज को अपलोड किया। साथ में लिखा : ‘रिलायंस-जियो के टॉवर तोड़ने के बाद, अब हिंदी से नफ़रत…! ये किसान है…?? पंजाब सरकार आखिर क्या कर रही है…??’

फेसबुक पोस्‍ट का आर्काइव्‍ड वर्जन देखें।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने सबसे पहले तस्‍वीरों के कोलाज को देखा। इसमें हमें एक भी आदमी ऊनी कपड़े पहने हुए नजर नहीं आया, जबकि पंजाब में कड़ाके की ठंड पड़ रही है।

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने इन तस्‍वीरों को गूगल रिवर्स इमेज टूल में अपलोड करके सर्च किया। सर्च के दौरान हमें इंडिया टीवी की वेबसाइट पर एक खबर मिली। 25 अक्‍टूबर 2017 को अपलोड इस खबर के वीडियो में बताया गया कि पंजाब में रेडिकल स‍िखों के समूह ने पंजाबी के हित में ह‍िंदी के खिलाफ आंदोलन चलाया। ज‍िसके कारण साइन बोर्ड पर हिंदी और अंग्रेजी में लिखे जगहों के नाम को म‍िटाया गया। वीडियो में हमें वही तस्‍वीरें मिलीं, जो अब किसानों के नाम पर वायरल हो रही हैं। पूरा वीडियो यहां देखें।

जांच के दौरान हमें टाइम्‍स ऑफ इंडिया की एक पुरानी खबर मिली। 22 अक्‍टूबर 2017 को पब्लिश इस खबर में बताया गया कि भटिंडा में गुस्‍साए स‍िख संगठनों ने हाईवे पर लगे साइनबोर्ड से हिंदी और अंग्रेजी में लिखे नाम म‍िटा द‍िए। पूरी खबर यहां पढ़ें।

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए विश्‍वास न्‍यूज ने पंजाब में दैनिक जागरण से संपर्क किया। हमें दैनिक जागरण जालंधर के ड‍िप्‍टी न्‍यूज एडिटर दिनेश भारद्वाज ने बताया कि पंजाब में फ‍िलहाल कड़ाके की ठंड पड़ रही है, जबकि तस्‍वीरों में एक आदमी भी ऊनी कपड़े नहीं पहने हुआ है। ये सभी तस्‍वीरें कुछ साल पुरानी हैं, जब यहां पर कुछ लोगों ने ह‍िंदी के ख‍िलाफ अभियान चलाया था।
तस्‍वीरें पंजाब के मालवा क्षेत्र की हैं।

अंत में हमने फर्जी पोस्‍ट करने वाले पेज की सोशल स्‍कैनिंग की। हमें पता चला कि फेसबुक पेज खबर इंडिया दिल्‍ली से संचालित होता है। इसे चार लाख से ज्‍यादा लोग फॉलो करते हैं। पेज को 27 जनवरी 2019 को बनाया गया।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित हुई। 2017 की तस्‍वीरों को अब कुछ लोग किसान आंदोलन से जोड़कर वायरल कर रहे हैं। इसलिए हमारी जांच में वायरल पोस्‍ट फेक साबित हुई।

False
Symbols that define nature of fake news
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