Fact Check: दिल्ली और पंजाब से जोड़कर गलत दावे के साथ वायरल हो रही यह तस्वीरें हैं पुरानी

विश्वास न्यूज़ ने अपनी जांच में वायरल दावे को गलत पाया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इन दोनों तस्वीरों का आम आदमी पार्टी और सीएम केजरीवाल के साथ कोई संबंध नहीं है। दोनों तस्वीरें पुरानी है।

विश्वास न्यूज़ ( नई दिल्ली )। सोशल मीडिया पर दो तस्वीरों का कोलाज शेयर कर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल से जोड़कर वायरल किया जा रहा है। वायरल कोलाज की पहली तस्वीर पर लिखा है, “दिल्ली दंगे” और दूसरी तस्वीर पर लिखा है, “पंजाब हिंसा”। कोलाज के साथ लिखा है,’पंजाब में बदल रहा है केजरीवाल का दिल्ली मॉडल।’ विश्वास न्यूज़ ने अपनी जांच में वायरल दावे को गलत पाया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इन दोनों तस्वीरों का आम आदमी पार्टी और सीएम केजरीवाल के साथ कोई संबंध नहीं है। दोनों तस्वीरें पुरानी है। 

क्‍या हो रहा वायरल

फेसबुक यूजर Yashmaan Singh ने 13 मई को इस कोलाज को शेयर किया है। पोस्ट में लिखा है ,’Kejriwal’s Delhi Model Replaced In Punjab Violence “

ऐसे ही एक फेसबुक पेज Indianwiks Memes ने भी इस तस्वीर को शेयर किया है और लिखा है : केजरीवाल का मॉडल, विनाश का मॉडल !!! फेसबुक पोस्‍ट का आर्काइव वर्जन यहां देखें। दूसरे कई यूजर्स भी इस तस्‍वीर को समान और मिलते- जुलते दावों के साथ वायरल कर रहे हैं।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने अपनी पड़ताल की शुरुआत रिवर्स इमेज टूल से की। हमने एक-एक करके कोलाज की दोनों तस्वीरों के बारे में सर्च करना शुरू किया। सबसे हमने कोलाज की पहली तस्वीर जिसमें कुछ लोगों को हाथ में पोस्टर लिए देखा जा सकता है उसके स्क्रीनशॉट को रिवर्स इमेज टूल में डालकर सर्च किया। हमें यह तस्वीर कई वेबसाइट्स पर मिली। hindupost.in की वेबसाइट पर 17, दिसंबर 2020 को प्रकाशित खबर में यह तस्वीर लगी मिली। खबर अनुसार, ये तस्वीर सीएए के विरोध में बेंगलुरु में कुछ छात्रों द्वारा किये प्रदर्शन की है।’

swarajyamag.com पर भी वायरल तस्वीर से जुडी खबर मिली। 21, दिसंबर 2019 को प्रकाशित खबर में लिखा,’जैसे-जैसे सीएए का विरोध हिंसा, पुलिस पर हमले, पथराव, बर्बरता और देश भर में आगजनी में बदल गया, बेंगलुरु में इसी तरह के विरोध से एक पोस्टर सामने आया है, जो भारतीय धर्मों में एक पवित्र प्रतीक ‘ओम’ को अपवित्र करता है।’

अधिक जानकारी के लिए हमने दिल्ली दैनिक जागरण के प्रमुख संवादादात वीके शुक्ला से संपर्क किया। उनके साथ वायरल पोस्ट को भी शेयर किया। उन्होंने हमें बताया कि ये तस्वीर दिल्ली दंगों की नहीं है और हाल-फिलहाल में ऐसा कुछ नहीं हुआ है।

अब हमने कोलाज की दूसरी तस्वीर, जिसमें नीले कपड़े पहने एक सिख को हाथ में एक प्‍लेकार्ड पकड़े देखा जा सकता है, जिस पर खालिस्तान की मांग की जा रही है को रिवर्स इमेज टूल के माध्‍यम से खोजना शुरू किया। यह तस्‍वीर हमें कई राष्‍ट्रीय व अंतरराष्‍ट्रीय वेबसाइट पर अलग-अलग तारीखों में मिलीं। तस्वीर हमें गेट्टी इमेज की वेबसाइट पर 6 जून 2013 को मिली, यह तस्वीर अमृतसर के गोल्‍डन टेंपल में क्लिक की गई थी। तस्‍वीर को एएफपी के फोटोजर्नलिस्ट नरिंदर नानू (NARINDER NANU/AFP) ने क्लिक किया था। फोटो के कैप्‍शन में बताया गया कि ऑपरेशन ब्‍लू स्‍टार की 29वीं बरसी पर गोल्‍डन टेंपल में कई उग्र सिख संगठनों के सदस्यों ने भिंडरावाले और खालिस्तान के समर्थन में प्‍लेकार्ड दिखाए।

newcanadianmedia.ca की वेबसाइट पर 6, अक्टूबर 2020 को प्रकाशित खबर में इस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था। हमारी यहाँ तक की जांच से यह तो साफ़ है कि दोनों तस्वीरें पुरानी है, जिन्हें हालिया बताकर शेयर किया जा रहा है। आपको बता दें कोलाज की दूसरी तस्वीर पहले भी अलग दावे के साथ वायरल हो चुकी है। जिसकी जांच विश्वास न्यूज़ ने की थी।

हमने दैनिक जागरण अमृतसर के ब्यूरो चीफ विपिन राणा से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया, वायरल दावा गलत है। ये तस्वीर हाल-फिलहाल की नहीं है। पहले भी यह तस्वीर कई बार अलग-अलग दावों के साथ वायरल हो चुकी है।

पड़ताल के अंत में इस पोस्ट को हालिया बताकर शेयर करने वाले यूजर की जांच की। हमें पता चला कि यूजर नई दिल्ली का रहने वाला है और फेसबुक पर यूजर के 490 फ्रेंड्स हैं।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ ने अपनी जांच में वायरल दावे को गलत पाया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इन दोनों तस्वीरों का आम आदमी पार्टी और सीएम केजरीवाल के साथ कोई संबंध नहीं है। दोनों तस्वीरें पुरानी है।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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