Fact Check : हथियारों की बरामदी की ये तस्‍वीरें पुरानी हैं, इनका RSS से नहीं है कोई संबंध

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में संघ के नाम पर वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित हुईं। संघ के ठिकानों पर हथियार मिलने वाली बात पूरी तरह बेबुनियाद है। ये तस्‍वीरें पहले भी कई बार वायरल हो चुकी हैं।

विश्‍वास न्‍यूज (नई दिल्‍ली)। सोशल मीडिया में एक बार फिर से तीन तस्‍वीरों का एक कोलाज फर्जी दावों के साथ वायरल हो रहा है। इसमें हथियारों की अलग-अलग तस्‍वीरों को दिखाया गया है। दावा किया जा रहा है कि दिल्‍ली में राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान ये हथियार मिले हैं।

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। यह फर्जी साबित हुई। ये तस्‍वीरें पहले भी अलग-अलग दावों के साथ वायरल होती रही हैं। इनकी पड़ताल विश्‍वास न्‍यूज पहले भी कर चुका है।

क्‍या हो रहा वायरल

फेसबुक पेज The Real Hero’s Of Nation ने 23 मार्च को एक पोस्‍ट में दावा किया कि राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के ठिकानों में रेड मारकर पुलिस ने हथियारों का जखीरा जब्‍त किया है। यूजर ने यह दावा अंग्रेजी में कुछ यूं किया : ‘ Extensive raid in Delhi. Police were shocked to find * weapons * seized from RSS hideouts. Society still needs to think about why so many weapons were stockpiled in the Indian capital. * Understand eating “crops by the fence”. Who are the traitors? Who are the communal terrorists? People need to evaluate. For an impartial inquiry Police assistance from outside Delhi should be sought. Chowkidar speaks nothing!’

पोस्‍ट का आर्काइव्‍ड वर्जन यहां देखें।

पड़ताल

संघ के नाम से वायरल तस्‍वीरों की सच्‍चाई जानने के लिए हमने तीनों तस्‍वीरों को अलग-अलग जांचना शुरू किया। सबसे पहले हमने पहली तस्‍वीर को रिवर्स इमेज टूल में अपलोड करके सर्च करना शुरू किया। हम सर्च के जरिए flicker पर मौजूद एक लिंक तक पहुंचे। यहां हमें ऐसी कई तस्‍वीरें मिलीं। यह अकाउंट खालसा कृपाण फैक्ट्री नाम से मौजूद है। हमने फैक्‍ट्री के मालिक बच्‍चन सिंह से संपर्क किया। उन्‍होंने बताया कि वायरल तस्‍वीर उन्‍हीं के दुकान की है। यह पहले भी कई बार वायरल हो चुकी है।

अब हमें दूसरी तस्‍वीर की सच्‍चाई जाननी थी। इसके लिए हमने गूगल रिवर्स इमेज टूल की मदद की। हमें @GujratHeadline नाम के एक ट्विटर हैंडल पर कुछ तस्‍वीरें मिलीं। 5 मार्च 2016 को किए गए Tweet में बताया गया कि राजकोट में नॉवेल्‍टी स्‍टोर में यह हथियार मिले। हमें तस्‍वीर में वही पुलिसवाले, हथियार और पुलिस स्‍टेशन नजर आया, जो वायरल तस्‍वीर में है। इसे आप यहां देख सकते हैं।

जांच को आगे बढ़ाते हुए हमने तीसरी तस्‍वीर की सच्‍चाई जानने की कोशिश की।

इसके बाद हमने दूसरी तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च किया। यांडेक्स रिवर्स इमेज सर्च में हमारे हाथ @mehrzadalavinia नाम के एक इंस्टाग्राम यूजर द्वारा शेयर की गयी ये तस्वीर लगी। यह तस्वीर 17 April 2019 को अपलोड की गयी थी।

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए विश्‍वास न्‍यूज ने राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ से संपर्क किया। दिल्‍ली प्रांत के प्रवक्‍ता राजीव तुली ने बताया कि संघ को बदनाम करने के लिए फर्जी पोस्‍ट वायरल किया जा रहा है। वायरल पोस्‍ट में इस्‍तेमाल की गईं तस्‍वीरों का संघ से कोई संबंध नहीं है।

अंत में हमने फेसबुक पेज The Real Hero’s Of Nation की जांच की। इसी अकाउंट से फर्जी पोस्‍ट वायरल की गई। हमें पता चला कि इस पेज को 795 लोग फॉलो करते हैं। इस पेज को इसी साल 27 फरवरी को बनाया गया है।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में संघ के नाम पर वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित हुईं। संघ के ठिकानों पर हथियार मिलने वाली बात पूरी तरह बेबुनियाद है। ये तस्‍वीरें पहले भी कई बार वायरल हो चुकी हैं।

False
Symbols that define nature of fake news
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