त्रिपुरा में मुस्लिमों की दुकान में आग लगाए जाने के दावे के साथ वायरल हो रही तस्वीरें उत्तर प्रदेश के दो अलग-अलग जिलों में हुई पुरानी घटना की तस्वीरें हैं।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। त्रिपुरा में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद से सोशल मीडिया पर लगातार ऐसी तस्वीरों को साझा किया जा रहा है, जिसका त्रिपुरा की किसी भी घटना से कोई लेना-देना नहीं है। इन तस्वीरों को साझा किए जाने का मकसद सांप्रदायिक तनाव और वैमनस्य को भड़काना है। इसी संदर्भ में वायरल हो रही दो तस्वीरों को लेकर दावा किया जा रहा है कि यह त्रिपुरा में हुई आगजनी की घटना से संबंधित है, जिसमें मुस्लिमों की दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया।
हमारी पड़ताल में यह दावा गलत और सांप्रदायिक निकला। वायरल हो रही दोनों तस्वीरें उत्तर प्रदेश की दो अलग-अलग घटनाओं से संबंधित हैं, जिसे त्रिपुरा से जोड़कर सांप्रदायिक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।
फेसबुक यूजर ‘Mohd Bilal’ ने वायरल तस्वीर (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ”त्रिपुरा के रोवा पानीसागर में आमिर हुसैन की इलेक्ट्रिक सामानों की दुकान और आमिलुद्दीन की पेंट व किराना की दुकान को जला दिया गया। दोनों का 12-15 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। आरोप है कि यह सब पुलिस की मौजूदगी में हुआ है। अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।”
सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर कई अन्य यूजर्स ने इन तस्वीरों को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है। ट्विटर पर भी कई अन्य यूजर्स ने इन तस्वीरों को समान दावे के साथ शेयर किया है।
वायरल पोस्ट में दो तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया है, इसलिए हमने बारी- बारी से इन तस्वीरों की पड़ताल की।
गूगल रिवर्स इमेज सर्च किए जाने पर हमें यह तस्वीर inextlive.com की वेबसाइट पर 12 मई 2016 को प्रकाशित रिपोर्ट में लगी मिली। दी गई जानकारी के मुताबिक, आग की घटना की यह तस्वीर गोरखपुर के नवीन गल्ला मंडी के गोदाम में लगी आग की है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘ नवीन गल्ला मंडी के गोदाम में मंगलवार की रात लगी आग बुधवार को भी पूरी तरह से नहीं बुझ सकी। जगह-जगह पड़े रुई के ढेर अब भी सुलग रहे थे। फायर सर्विस की नाकामी से आग को पूरी तरह से बुझाया नहीं जा सका। इसकी वजह से दूसरे दिन भी गोदाम से धुंआ उठ रहा था। व्यापारियों का कहना है कि मंडी प्रशासन की वजह से ऐसी घटनाएं हो रही हैं। इसकी वजह से व्यापारियों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। मंडी समिति का कहना है कि पोल के केबल व टिन शेड में तार सटने की वजह से आग लगी है।’
गूगल रिवर्स इमेज सर्च किए जाने पर हमें यह तस्वीर अमर उजाला की वेबसाइट पर दो जुलाई 2019 को प्रकाशित रिपोर्ट में लगी मिली। दी गई जानकारी के मुताबिक, यह तस्वीर नोएडा स्थित दो फैक्ट्रियों में लगी भीषण आग की है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘फेज टू स्थित नोएडा स्पेशल इकोनॉमिक जोन (एनएसईजेड) में प्लास्टिक दाना बनाने वाली फैक्ट्री में सोमवार दोपहर बाद भीषण आग लग गई। आग की चपेट में एक और फैक्ट्री भी आ गई। प्लास्टिक दाना बनाने वाली फैक्ट्री के पूरे हिस्से में आग लगी, जबकि दूसरी फैक्ट्री को थोड़ा कम नुकसान हुआ। देर रात तक दमकल की 20 गाड़ियां आग बुझाने की कोशिश में जुटी हुई थीं। आग में किसी के हताहत होने या फंसे होने की जानकारी नहीं है। फिलहाल आग से करोड़ों के नुकसान होने की बात कही जा रही है।’
हमारी पड़ताल से यह स्पष्ट है कि जिन तस्वीरों को त्रिपुरा की घटना बताकर उसे सांप्रदायिक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है, वे तस्वीरें उत्तर प्रदेश के दो अलग-अलग जिलों में हुई पुरानी घटना की तस्वीरें हैं। इन तस्वीरों को लेकर हमने आईनेक्स्ट लाइव के संपादक मयंक शुक्ला से संपर्क किया। उन्होंने भी पुष्टि करते हुए बताया कि ये तस्वीरें उत्तर प्रदेश की अलग-अलग घटनाओं से संबंधित हैं।
वायरल तस्वीर को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर ने अपनी प्रोफाइल में स्वयं को बदायूं का रहने वाला बताया है।
गौरतलब है कि त्रिपुरा में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद त्रिपुरा पुलिस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से जारी वीडियो अपील में लोगों से फेसबुक और ट्विटर पर किसी तरह का अफवाह नहीं फैलाने की अपील की गई है। हालांकि, इसके बावजूद सोशल मीडिया पर भ्रामक या गलत दावे के साथ वीडियो और तस्वीरों को साझा किए जाने की प्रवृत्ति में कमी नहीं आई है।
विश्वास न्यूज की वेबसाइट पर त्रिपुरा से जुड़ी अन्य फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को पढ़ा जा सकता है।
निष्कर्ष: जिन तस्वीरों को त्रिपुरा में दुकानों में आग लगाए जाने की तस्वीर को सांप्रदायिक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है, वे तस्वीरें उत्तर प्रदेश के दो अलग-अलग जिलों में हुई पुरानी घटना की तस्वीरें हैं और इनका त्रिपुरा की किसी भी घटना से कोई संबंध नहीं है।
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