Fact Check: ये तस्वीरें हालिया रेल रोको आंदोलन से संबंधित नहीं है

किसानों के रेल रोको आंदोलन के नाम से वायरल हो रही यह तस्वीरें पुराने विरोध प्रदर्शन के समय की है, जिसे हाल का बताकर भ्रामक दावे के साथ साझा किया जा रहा है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। किसानों के रेल रोको आंदोलन के बाद सोशल मीडिया पर वायरल हो रही कुछ तस्वीरों को लेकर दावा किया जा रहा है कि यह दो दिनों पहले आंदोलनकारी किसानों की तरफ से आयोजित रेल रोको आंदोलन से संबंधित है।

विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा भ्रामक और गुमराह साबित करने वाला निकला। वायरल हो रही तस्वीरें रेल रोको आंदोलन से ही संबंधित है लेकिन हाल की नहीं बल्कि इसी साल फरवरी महीने में आयोजित रेल रोको आंदोलन से संबंधित है, जिसे हाल का बताकर भ्रामक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर ‘कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया प्रतापगढ़’ ने वायरल तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा है, ”पंजाब में एक बार फिर किसान ट्रेनों का चक्का जाम करेंगे। सोमवार को सुबह 10 से शाम 4 बजे तक रेल ट्रैंकों पर धरना देने का ऐलान किया गया है। रेलवे ने यात्रियों को सफर न करने की हिदायत दी है। #आजरेलबंद_है”

किसानों के रेल रोको आंदोलन के नाम पर वायरल हो रही तस्वीर

सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर कई अन्य यूजर्स ने इस तस्वीर को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है। कई ट्विटर यूजर्स ने भी इस तस्वीर को समान दावे के साथ शेयर किया है।

https://twitter.com/gayakaravan/status/1449948565137068038

ट्विटर यूजर ‘ਛੋਟਾ ਲਿਖਾਰੀ’ ने एक अन्य तस्वीर को साझा किया है, जिसमें किसानों का समूह रेल की पटरियों पर ट्रैक्टर चलाते हुए नजर आ रहे हैं।

https://twitter.com/Chhotalikharii/status/1449910862752350208

पड़ताल

न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक किसानों ने 19 अक्टूबर को रेल रोको आंदोलन किया था और इस वजह से हरिया हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में ट्रेन की सेवाएं प्रभावित हुईं और भारतीय रेलवे को कुछ ट्रेनों को रद्द भी करना पड़ा। 19 अक्टूबर को दैनिक जागरण की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, ”सोमवार को रेल रोको आंदोलन से एक लाख से अधिक यात्रियों को दिक्कतों के साथ-साथ अपनी जेबें भी हल्की करनी पड़ीं। उत्तर रेलवे की बात करें, तो हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में डेढ़ सौ लोकेशन पर आंदोलनकारी पटरियों पर बैठे थे। ऐसे में 30 ट्रेनों को रद करना पड़ा, जबकि 60 ट्रेनों को विभिन्न स्टेशनों पर रोका गया। लेकिन बाद में इन ट्रेनों को रद करना पड़ा। इन साठ ट्रेनों में सफर कर रहे यात्रियों को अन्य वाहन की मदद से गंतव्य तक पहुंचना पड़ा।’

सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने अलग-अलग तस्वीरों को इस आंदोलन का बताते हुए साझा करना शुरू कर दिया। वायरल पोस्ट्स में दो अलग-अलग तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया है, इसलिए हमने बारी बारी से उनकी जांच की।

पहली तस्वीर

वायरल हो रही पहली तस्वीर

वायरल हो रही तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज सर्च किए जाने पर हमें द हिंदू डॉट कॉम की वेबसाइट पर 18 फरवरी 2021 को प्रकाशित रिपोर्ट मिली, जिसमें इस्तेमाल की गई तस्वीर वही है, जो वायरल हो रही है।

द हिंदू की वेबसाइट पर 18 फरवरी 2021 को प्रकाशित रिपोर्ट में इस्तेमाल की गई तस्वीर

रिपोर्ट के मुताबिक यह तस्वीर 18 फरवरी 2021 को आयोजित राष्ट्रव्यापी रेल रोको आंदोलन के दौरान अंबाला के शाहपुर में हुए प्रदर्शन की है, जहां किसानों ने रेलवे ट्रैक को बाधित कर दिया था।

दूसरी तस्वीर

किसानों के रेल रोको आंदोलन के नाम पर वायरल हो रही दूसरी तस्वीर

गूगल रिवर्स इमेज सर्च किए जाने पर हमें यह तस्वीर द हिंदू और न्यू इंडियन एक्सप्रेस की वेबसाइट पर नवंबर 2020 में प्रकाशित रिपोर्ट्स में लगी मिली। चार नवंबर 2020 को न्यू इंडियन एक्सप्रेस की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट में इस तस्वीर को इस्तेमाल किया गया है।


न्यू इंडियन एक्सप्रेस की वेबसाइट पर चार नवंबर 2020 में प्रकाशित रिपोर्ट में इस्तेमाल की गई तस्वीर

रिपोर्ट में दी गई जानकारी के मुताबिक, ‘कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहने किसानों ने रेल रोको आंदोलन के दौरान विरोध करते हुए ट्रैक्टर्स के जरिए रेल की पटरियों को बाधित किया।’

हमारी पड़ताल से यह साबित होता है कि वायरल हो रही दोनों तस्वीरें 19 अक्टूबर को आयोजित रेल रोको आंदोलन से संबंधित नहीं है। हमारे सहयोगी दैनिक जागरण के अंबाला के विशेष संवाददाता अनुराग बहल ने बताया यह तस्वीरें किसानों के रेल रोको आंदोलन से ही संबंधित हैं, लेकिन हाल की नहीं हैं।

इससे पहले भी किसान आंदोलन से जुड़े कई गलत दावों की विश्वास न्यूज ने पड़ताल की है, जिसे यहां पढ़ा जा सकता है।

निष्कर्ष: किसानों के रेल रोको आंदोलन के नाम से वायरल हो रही यह तस्वीरें पुराने विरोध प्रदर्शन के समय की है, जिसे हाल का बताकर भ्रामक दावे के साथ साझा किया जा रहा है।

निष्कर्ष: किसानों के रेल रोको आंदोलन के नाम से वायरल हो रही यह तस्वीरें पुराने विरोध प्रदर्शन के समय की है, जिसे हाल का बताकर भ्रामक दावे के साथ साझा किया जा रहा है।

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