Fact Check: वाराणसी में डिटेंशन सेंटर का दावा गलत, जेल में बच्चे को स्तनपान कराती विदेशी महिला की तस्वीर हो रही वायरल

नई दिल्ली (विश्वास टीम)। नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और देश में डिटेंशन सेंटर्स की मौजूदगी को लेकर जारी बहस के बीच सोशल मीडिया पर एक महिला की उसके बच्चे के साथ तस्वीर वायरल हो रही है। दावा किया जा रहा है कि इस महिला को वाराणसी के डिटेंशन सेंटर में कैद किया गया है क्योंकि वह NRC (नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस)  का विरोध कर रही थी।

विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह तस्वीर और दावा दोनों ही गलत निकला। वाराणसी में न तो कोई डिटेंशन सेंटर है और न ही यह तस्वीर भारत की है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर ‘धर्मेंद्र कुमार जाटव (Dharmendra Kr Jatav)’ ने जेल में बंद एक महिला की तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा है, ‘‘आपको जानकर मेरी तरह आश्चर्य हो सकता है कि बनारस में भी डिटेंशन सेंटर है। जहाँ दिसंबर माह में इतनी गर्मी है कि लोग टी शर्ट भी नही पहन सकते है। प्रधानमंत्री मोदी जी और गृहमंत्री अमित शाह के ये कहने के बाद कि 2014 के बाद हमने एक भी डिटेंशन सेंटर नही बनवाया है। जो भी है वे बहुत पुराने है, ये जानकारी दिए जाने के 5 दिन बाद अब तक किसी को तो सामने आना चाहिए था, इस दावे को झूठ साबित करने और इसका पर्दाफाश करने के लिए। या लोगों को मरवाने की अफवाही साजिश में वे जानबूझ कर शरीक है।’’

(फेसबुक पोस्ट का आर्काइव लिंक)

वायरल हो रही फर्जी फेसबुक पोस्ट

पड़ताल किए जाने तक इस तस्वीर को करीब दो हजार लोग शेयर कर चुके हैं। फेसबुक के अलावा इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर कई अन्य यूजर्स ने समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।

पड़ताल

वायरल हो रही तस्वीर में जेल में बंद एक महिला अपने बच्चे को स्तनपान कराती हुई नजर आ रही है। रिवर्स इमेज करने पर हमें http://www.controappuntoblog.org  नाम की वेबसाइट पर 13 जनवरी 2013 को इटालियन भाषा में प्रकाशित एक खबर का लिंक मिला, जिसमें इसी तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है।

(गूगल ट्रांसलेशन की मदद से अनुवाद की गई) खबर के मुताबिक यह तस्वीर अर्जेंटिना की है, जहां जेल में बंद एक महिला को उसके बच्चे का स्तनपान कराने के लिए बाहर नहीं निकलने दिया गया और इस वजह से उन्होंने जेल के घेरे के अंदर से ही बच्चे को स्तनपान कराया।

एक अन्य फेसबुक यूजर ‘ANA’ ने इस तस्वीर को अपनी प्रोफाइल पर 25 मई 2013 को शेयर किया है।

हालांकि, विश्वास न्यूज स्वतंत्र रूप से इस बात की पुष्टि नहीं करता है कि यह तस्वीर अर्जेंटिना के ही किसी जेल या डिटेंशन सेंटर की है, लेकिन यह तस्वीर डिजिटल दुनिया में 2013 से मौजूद है।

जबकि, नागरिकता संशोधन विधेयक 10 दिसंबर 2019 को लोकसभा से पारित होने के बाद 11 दिसंबर 2019 को राज्यसभा से पास हुआ। इसके बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी मिली और यह विधेयक कानून बन गया।

10 दिसंबर के बाद से ही इस विधेयक को लेकर पूर्वोत्तर भारत समेत देश के अन्य राज्यों में विरोध प्रदर्शन की शुरुआत हुई है। अंग्रेजी अखबार ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की खबर के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ 21 दिसंबर को प्रदर्शन हुआ था, जिसके बाद सैकड़ों लोगों को हिरासत में लिया गया।

यानी वायरल तस्वीर का नागरिकता संशोधन कानून और NRC के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शन से कोई संबंध नहीं है। अब आते हैं दूसरे दावे पर, जिसमें वाराणसी में डिटेंशन सेंटर के होने का दावा किया गया है।  

लोकसभा सांसद शशि थरूर ने गृह मंत्रालय से देश में मौजूदा डिटेंशन सेंटर्स की संख्या और उसमें रखे गए लोगों की संख्या समेत कुल छह सवाल पूछे थे। लोकसभा की वेबसाइट पर मौजूद दस्तावेज के मुताबिक थरूर के इस अतारांकित सवाल (प्रश्न संख्या 1724) का जवाब  दो जुलाई 2018 को गृह मंत्री जी किशन रेड्डी की तरफ से दिया गया।

सरकार की तरफ से दी गई इस जानकारी के मुताबिक , ‘असम में ”घोषित विदेशियों” को रखने के लिए कुल छह डिटेंशन सेंटर्स हैं और 25 जून 2019 तक इसमें 1133 लोगों को रखा गया था।‘ अन्य न्यूज रिपोर्ट से भी देश में डिटेंशन सेंटर्स के होने की पुष्टि होती है।

वाराणसी में डिटेंशन सेंटर के दावे को लेकर विश्वास न्यूज ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रभाकर चौधरी से संपर्क किया। उन्होंने कहा, ‘वाराणसी में ऐसा कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है।’ न्यूज सर्च में हमें उत्तर प्रदेश के किसी अन्य जिले में ऐसे किसी सेंटर के होने की जानकारी नहीं मिली।

उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से दी गई आधिकारिक जानकारी में भी राज्य में ऐसे किसी डिटेंशन सेंटर्स का जिक्र नहीं है। जानकारी के मुताबिक, ‘उत्तर प्रदेश कारावास विभाग के पास एक मॉडल जेल, 5 सेंट्रल जेल (केंद्रीय कारागार), 61 जिला जेल, 2 सब जेल, बरेली में एक किशोर सदन और लखनऊ में एक नारी बंदी निकेतन हैं। राज्य में कुल 71 कारागार हैं।’

खबरों के मुताबिक, असम के अलावा कर्नाटक ऐसा राज्य है, जहां डिटेंशन सेंटर अस्तित्व में आ चुका है। न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक महाराष्ट्र में भी ऐसे सेंटर को खोले जाने की योजना है।

निष्कर्ष: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में डिटेंशन सेंटर होने का दावा गलत है। जिस महिला की तस्वीर वाराणसी के डिटेंशन सेंटर के दावे के साथ वायरल हो रही है, वह विदेशी महिला हैं।

False
Symbols that define nature of fake news
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