Fact Check: राजस्थान में आधी रात मुस्लिमों को जमानत करवाने वाला वायरल ट्वीट फर्जी निकला

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल ट्वीट की जांच की। यह फर्जी निकला। इस नाम का कोई कोई ट्विटर हैंडल नहीं मिला।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। सोशल मीडिया के विभिन्‍न प्‍लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, ट्विटर और वॉट्सऐप पर एक ट्वीट का फर्जी स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है। इस स्क्रीनशॉट को शेयर करते हुए यूजर्स दावा कर रहे हैं कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने कथित तौर पर आधी रात को कोर्ट खुलवाकर मुस्लिम युवकों की जमानत करवाई और अपनी गाड़ी में बैठाकर उन्हें घर पहुंचाया।

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल ट्वीट की जांच की। यह फर्जी निकला। इस नाम का कोई कोई ट्विटर हैंडल नहीं मिला। ट्वीट को कंप्यूटर की सहायता से बनाकर वायरल किया जा रहा है।

क्या हो रहा है वायरल

फेसबुक पेज “चाणक्य का भतीजा” ने 8 मई को वायरल ट्वीट के स्क्रीनशॉट को अपने अकाउंट से शेयर करते हुए लिखा: ‘अशोक गहलोत के दामाद’

दावा किया गया कि यह ट्वीट किसी मुश्‍ताक अहमद का है। वायरल ट्वीट में लिखा था: “कल रात को 12 बजे कोर्ट खुला के मेरी व मेरे 3 बेटे और 1 भतीजे ओर 3 दामादों की खड़े पैर जमानत करवाकर गाड़ी में घर तक पहुंचाने का शुक्रिया …… अल्ला ताला ऐसा मुख्यमंत्री हर सूबे में दे जो मुसलमानो का हर जगह साथ देता है कोंग्रेस जिंदाबाद।”

सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफार्म पर कई अन्य यूजर्स भी इस तस्वीर को मिलते-जुलते दावों के साथ शेयर कर रहे हैं। फैक्ट चेक के उद्देश्य से पोस्ट के कंटेंट को हूबहू लिखा गया है। पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने वायरल ट्वीट की सच्चाई जानने के लिए सबसे पहले वायरल ट्वीट के स्क्रीनशॉट को ध्यान से देखा। जिस ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया गया, उसका यूजरनेम @mushtaq_ahmak लिखा हुआ था। इसलिए हमने ट्विटर पर इस अकाउंट को ढूंढना शुरू किया। जहां हमें इस यूजर नाम का कोई भी अकाउंट नहीं मिला।

इसकी पुष्टि के लिए हमने ऑनलाइन टूल Follwerwonk का इस्तेमाल किया। जहां हमें इस अकाउंट के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली।

पड़ताल के दौरान हमने वायरल ट्वीट और अन्य ट्विटर यूजर के ट्वीट टाइमलाइन पर गौर किया। जहां हमें कई असमानताएं दिख रही थी। वायरल ट्वीट के स्क्रीनशॉट में छोटी अक्षरों में ‘am’ लिखा हुआ था, जबकि ट्विटर के ओरिजनल ट्वीट में बड़े अक्षरों में ‘AM’ लिखा हुआ रहता है। उसी तरह वायरल ट्वीट में तारीख को एक बड़े स्पेस के बाद 5 मई 2022 लिखा गया था, जबकि ट्विटर पर तारीख को दो अंकों में लिखा जाता है। उदाहरण : 05 मई 2022

पड़ताल के दौरान हमने राजस्‍थान व जोधपुर पुलिस के सोशल मीडिया अकाउंट को खंगाला। जोधपुर पुलिस के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर इस घटना के संबंध में एक ट्वीट मिला। जिसमें लिखा था, “#जोधपुर_पुलिस यह जानकारी सरासर गलत है, यह जोधपुर से संबंधित नहीं है। भ्रामक खबरों को वायरल करने वालों के विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी…ट्वीट यहां देखें

अधिक जानकारी के लिए हमने दैनिक जागरण के जोधपुर रिपोर्टर रंजन दवे को संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया, “जोधपुर में ऐसी कोई घटना नहीं हुई है। यह पूरी तरह फेक है। पुलिस ने भी इस बात का खंडन किया है।

पड़ताल के आखिरी चरण में हमने फर्जी ट्वीट के स्क्रीनशॉट को फेसबुक पर शेयर करने वाले पेज की सोशल स्कैनिंग की। फेसबुक पेज ‘चाणक्य का भतीजा’ पर 9,871 लाइक्स हैं। यह पेज नवंबर 2017 से फेसबुक पर सक्रिय है।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल ट्वीट की जांच की। यह फर्जी निकला। इस नाम का कोई कोई ट्विटर हैंडल नहीं मिला।

False
Symbols that define nature of fake news
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