नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक वीडियो को वायरल करते हुए दावा किया जा रहा है कि मध्य प्रदेश के विदिशा में चार आतंकवादियों को पुलिस ने जिंदा पकड़ा। विश्वास टीम ने जब इस वीडियो की पड़ताल की तो पता चला कि दावा फर्जी है। दरअसल वीडियो पुलिस के दवारा किए गए मॉकड्रिल को कुछ लोग असली घटना समझकर वायरल कर रहे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि 27 सितंबर को विदिशा में एक मॉकड्रिल की गई थी। वीडियो उसी मॉकड्रिल का है। इस बात की तस्दीक खुद विदिशा के पुलिस अधीक्षक विनायक वर्मा ने की।
मेरा भारत नाम के फेसबुक पेज ने 30 सितंबर को एक वीडियो अपलोड करते हुए लिखा : आज विदिशा जिला कलेक्ट्रेट के भवन की निर्माणाधीन बिल्डिंग में चार आतंकवादी घुसे जिसे जिला पुलिस बल विदिशा द्वारा रेस्क्यू कर जिंदा पकड़ने में सफलता प्राप्त की।
2:04 मिनट का यह वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। इसी वीडियो को अब तक 11 लाख बार देखा जा चुका है,जबकि 6 हजार से ज्यादा लोग शेयर कर चुके हैं।
विश्वास टीम ने पूरे वीडियो को कई बार ध्यान से देखा। इसमें कुछ पुलिसवालों को मुस्कुराते हुए देखा जा सकता है। इसके अलावा वीडियो के अंत में भी किसी व्यक्ति को यह बोलते हुए भी सुना जा सकता है कि हंसना मत। पहली ही नजर में यह वीडियो हमें किसी मॉक ड्रिल का लगा।
विश्वास टीम ने वायरल पोस्ट में किए जा रहे दावे को गूगल में सर्च किया। हमें यूटयूब पर 27 सितंबर को अपलोड एक वीडियो मिला। इसमें बताया गया कि विदिशा जिला कलेक्ट्रेट के भवन की निर्माणाधीन बिल्डिंग में चार आतंकवादी घुसे।
सर्च के दौरान हमें naidunia.com की वेबसाइट का एक लिंक मिला। इसमें बताया गया कि विदिशा में एक मॉकड्रिल हुई। यह खबर 28 सितंबर को पब्लिश हुई थी।
इसके बाद हमने मध्य प्रदेश से प्रकाशित नईदुनिया अखबार को स्कैन करना शुरू किया। हमें 28 सितंबर 2019 के विदिशा संस्करण में एक खबर मिली। इस खबर में बताया गया कि शुक्रवार (27 सितंबर) को शहर के नए कलेक्ट्रेट परिसर में एक मॉकड्रिल को अंजाम दिया गया। यह मॉकड्रिल शहर की सुरक्षा व्यवस्था की जांच के लिए पुलिस की ओर से की गई।
मॉकड्रिल को लेकर विदिशा के पुलिस अधीक्षक विनायक वर्मा कहते हैं यह एक मॉकड्रिल थी। पुलिस बल की कार्यक्षमता को परखने के लिए नवीन कलेक्ट्रेट परिसर में आतंकियों को पकड़ने और आपात स्थिति से निपटने का पूर्वाभ्यास किया था। यह कोई वास्तविक घटना नही एक मॉकड्रिल थी।,
अब बारी थी उस पेज की सोशल स्कैनिंग करने की, जिसने मॉकड्रिल के वीडियो को गलत संदर्भ के साथ वायरल किया फेसबुक पेज ‘मेरा भारत’ को 3 जून 2019 को बनाया गया था। इसे फॉलो करने वालों की तादाद 9 हजार से ज्यादा है।
निष्कर्ष : विश्वास टीम की पड़ताल में पता चला कि वायरल पोस्ट का दावा गलत है। 27 सितंबर को विदिशा में एक मॉकड्रिल हुई थी। उसी के वीडियो को सोशल मीडिया पर कुछ लोग असली घटना बताकर वायरल कर रहे हैं।
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