Fact Check : घायल बच्‍ची की तस्‍वीर का यूपी से नहीं है कोई संबंध, तस्‍वीर 2015 से इंटरनेट पर मौजूद है

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में हमीरपुर की घटना के नाम वायरल पोस्‍ट फर्जी निकली। हमीरपुर में ऐसी कोई घटना नहीं हुई। वायरल पोस्‍ट वाली तस्‍वीर पांच साल से इंटरनेट पर मौजूद है।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। सोशल मीडिया में एक बच्‍ची की दर्दनाक तस्‍वीर वायरल हो रही है। इस तस्‍वीर में बच्‍ची की त्‍वचा को जला हुआ देखा जा सकता है। फोटो को कुछ लोग वायरल करते हुए दावा कर रहे हैं कि यूपी के हमीरपुर जिले में पाल समुदाय की इस बच्‍ची ने ब्राह्मण के नल से पानी पी लिया तो ब्राहमणों ने बच्‍ची के ऊपर जलता हुआ तेल फेंक दिया।

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट फर्जी निकली। जिस तस्‍वीर को यूपी के हमीरपुर की बताया जा रहा है, वह 2015 से इंटरनेट पर मौजूद है।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर Dhyan Singh ने 1 जुलाई को एक पोस्‍ट करते हुए दावा किया : ‘पाल समाज के भाई अपने को छत्री कहने वालों देख लो। आपके 6 साल के बच्ची का क्या हाल किया है।’

पोस्‍ट में बच्‍ची की तस्‍वीर है। इसके ऊपर लिखा है : ‘ब्राह्मण के दिल व दिमाग में अभी भी इतनी छुआछूत की आग जल रही है कि उत्‍तर प्रदेश हमीर पुर जिला के पाल समुदाय के एक बच्‍चे ने ब्राह्मण के नल से पानी पी लिया इतने मे ब्राह्मण ने बच्‍चे को मारा और जलती तेल उसके उपर फेक दिया पता नही इतनी नफरत क्‍यों है और कहते हैं ब्राह्मण दलित भाई भाई हिंदू है’

इस पोस्‍ट को अब तक 300 से ज्‍यादा बार शेयर किया जा चुका है।

पोस्‍ट का फेसबुक और आकाईव वर्जन देखें।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने सबसे पहले वायरल तस्‍वीर को गूगल रिवर्स इमेज में अपलोड करके सर्च किया। सर्च के दौरान हमें कंबोडिया की खमेर भाषा में एक खबर मिली। khmerpart.com नाम की वेबसाइट में वायरल तस्‍वीर का इस्‍तेमाल करते हुए बताया गया कि एक मॉन्क (भिक्षु) इस बच्‍ची की मदद करना चाहता हैं। खबर 12 दिसंबर 2018 को पब्लिश की गई थी। गूगल ट्रांसलेशन की मदद से हमें यह पता चला।

इसके बाद हमने वायरल तस्‍वीर को एक बार फिर से गूगल रिवर्स इमेज टूल में अपलोड करके सर्च किया। इस बार हमने टाइम लाइन टूल का भी उपयोग किया। हमें सबसे पुरानी तस्‍वीर ट्विटर पर मिली। तुर्किश (तुर्की की भाषा) में किए गए इस ट्वीट में बताया गया कि मुस्लिम बच्चों को बौद्धों द्वारा जलाया। यह ट्वीट Engin Yaman (@enginyaman1979) ने 15 जून 2015 को किया था। इस ट्वीट को आप यहां क्लिक करके देख सकते हैं।

विश्‍वास न्‍यूज स्‍वतंत्र रूप से इस तस्‍वीर की पुष्टि नहीं करता है, लेकिन यह साफ है कि तस्‍वीर 2015 से इंटरनेट पर मौजूद है। इसका यूपी के हमीरपुर से कोई ताल्लुकात नहीं है।

पड़ताल के अगले चरण में हमने हमीरपुर पुलिस प्रशासन से संपर्क किया। हमारी बात अतिर‍िक्‍त पुलिस अधीक्षक (ASP) संतोष कुमार सिंह से हुई। उन्‍होंने विश्‍वास न्‍यूज को बताया कि हमीरपुर जिले में ऐसी कोई घटना नहीं हुई है, जैसा वायरल पोस्‍ट में दावा किया जा रहा है।

अंत में हमने फर्जी पोस्‍ट करने वाले फेसबुक यूजर Dhyan Singh के अकाउंट की जांच की। हमें पता चला कि इस अकाउंट को दिसंबर 2015 को बनाया गया था। इसे एक हजार लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में हमीरपुर की घटना के नाम वायरल पोस्‍ट फर्जी निकली। हमीरपुर में ऐसी कोई घटना नहीं हुई। वायरल पोस्‍ट वाली तस्‍वीर पांच साल से इंटरनेट पर मौजूद है।

False
Symbols that define nature of fake news
पूरा सच जानें...

सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी खबर पर संदेह है जिसका असर आप, समाज और देश पर हो सकता है तो हमें बताएं। हमें यहां जानकारी भेज सकते हैं। हमें contact@vishvasnews.com पर ईमेल कर सकते हैं। इसके साथ ही वॅाट्सऐप (नंबर – 9205270923) के माध्‍यम से भी सूचना दे सकते हैं।

Related Posts
नवीनतम पोस्ट