Fact Check : सरदार वल्लभ भाई पटेल की ओर से दिए गए भोज की तस्‍वीर नेहरू की इफ्तार पार्टी के नाम से वायरल

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। दावा भ्रामक साबित हुआ। पड़ताल में पता चला कि सी. राजगोपालाचारी के भारत के गवर्नर-जनरल बनने के बाद सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा नेहरू कैबिनेट के लिए जून 1948 को एक भोज का आयोजन किया गया था। इस तस्‍वीर का किसी इफ्तार पार्टी से कोई संबंध नहीं है।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। देश में रमजान के महीने के बीच सोशल मीडिया में एक तस्‍वीर वायरल हो रही है। इसे वायरल करते हुए दावा किया जा रहा है कि यह तस्‍वीर जवाहर लाल नेहरू की इफ्तार पार्टी की है। उन्‍होंने अपने शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम को इफ्तार पार्टी दी थी। पार्टी में सरदार वल्लभ भाई पटेल शामिल नहीं हुए थे। विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। दावा भ्रामक साबित हुआ। पड़ताल में पता चला कि सी. राजगोपालाचारी के भारत के गवर्नर-जनरल बनने के बाद सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा नेहरू कैबिनेट के लिए जून 1948 को एक भोज का आयोजन किया गया था। इस तस्‍वीर का किसी इफ्तार पार्टी से कोई संबंध नहीं है।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर ए.के. मिश्रा ने 31 मार्च को एक तस्‍वीर को पोस्‍ट करते हुए लिखा, “स्‍वतंत्र भारत का पहला तुष्‍टीकरण। 1947 में जवाहर लाल नेहरू ने अपने मंत्रिमंडल के सहयोगी शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम को इफ्तार पार्टी दी थी। तस्वीर में डॉक्टर अंबेडकर और राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद भी नजर आ रहे हैं। दूसरे कई मंत्री हैं जिसमें वीके कृष्ण मैनन भी है। लेकिन इस तस्वीर में आपको सरदार वल्लभभाई पटेल नजर नहीं आएंगे क्योंकि उन्होंने यह कह कर इस सरकारी इफ्तार पार्टी का विरोध किया था कि जब कुछ ही महीने पहले हमने होली और दिवाली पर कोई हिंदुओं को पार्टी नहीं दी तो फिर यह गलत परंपरा शुरू करना देश के लिए खतरनाक है। नेहरू के इस तुष्टीकरण को लाल बहादुर शास्त्री ने रोक दिया था लेकिन फिर से इंदिरा गांधी ने शुरू कर दिया था उसके बाद यह बदस्तूर चलता रहा फिर नरेंद्र मोदी ने इस तुष्टीकरण को रोका।”

कई अन्य यूज़र्स ने भी इस पोस्ट को मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है। वायरल पोस्ट का आर्काइव लिंक यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

वायरल तस्‍वीर और उसके साथ किए जा रहे दावों की जांच के लिए विश्‍वास न्‍यूज ने सबसे पहले ऑनलाइन टूल्‍स का इस्‍तेमाल किया। गूगल रिवर्स इमेज टूल और कीवर्ड सर्च के माध्‍यम से खोजने पर असली तस्‍वीर हमें अलामी नाम की एक वेबसाइट पर मिली। इस तस्‍वीर को लेकर इसमें मराठी में बताया गया कि सी. राजगोपालाचारी के भारत के गवर्नर-जनरल बनने के बाद सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा कैबिनेट के लिए जून 1948 को एक एक भोज का आयोजन किया गया था…। यह तस्‍वीर यहां देखी जा सकती है।

वायरल तस्‍वीर हमें मुंबई कॉरपोरेशन के एक पब्लिकेशन में भी मिली। इसमें भी बतया गया कि सी राजगोपालाचारी के गवर्नर जनरल बनने के उपलक्ष्‍य में डिप्‍टी प्राइम मिनिस्टरवल्‍लभभाई पटेल ने एक भोज दिया था। यह जून 1948 की बात है।

सर्च के दौरान एक ट्विटर हैंडल पर भी इसी भोज की दूसरे एंगल की एक तस्‍वीर मिली। इसमें भी बतया गया कि 1948 में सी राजगोपालचारी के गवर्नर जनरल बनने की खुशी में सरदार वल्‍लभभाई पटेल की ओर से नेहरू केबिनेट के लिए लंच का आयोजन किया गया। इस तस्‍वीर को होमाई व्यारावाला ने क्लिक किया था। तस्‍वीर में साफ देखा जा सकता है कि सरदार पटेल भी इसमें शामिल थे।

विश्‍वास न्‍यूज ने एक बार पहले भी वायरल तस्‍वीर की जांच की थी। जवाहर लाल नेहरू पर किताब लिख चुके लेखक और पत्रकार पीयूष बबेले ने बताया कि यह तस्वीर इफ़्तार पार्टी की नहीं, बल्कि कैबिनेट के एक भोज की है।

पड़ताल के अंत में फेसबुक यूजर ए.के. मिश्रा के अकाउंट की सोशल स्‍कैनिंग की। यूजर के तीन हजार से ज्‍यादा फेसबुक फ्रेंड हैं। यूजर इंदौर में रहता है।

निष्‍कर्ष : विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल दावा गलत साबित हुआ। वायरल तस्‍वीर सी. राजगोपालाचारी के गवर्नर जनरल बनने की खुशी में दिए गए भोज की है। इसे जून 1948 में डिप्‍टी प्राइम मिनिटर वल्‍लभभाई पटेल की ओर से दिया गया था। तस्‍वीर में वल्‍लभभाई पटेल को भी देखा जा सकता है।

False
Symbols that define nature of fake news
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