Fact Check : जवाहर लाल नेहरू के खिलाफ दुष्‍प्रचार की मंशा से वायरल की गई ‘ड्रॉइंग द लाइन’की तस्‍वीर

जिस तस्‍वीर को जवाहर लाल नेहरू की दुर्लभ तस्‍वीर बताकर वायरल किया जा रहा है, दरअसल वह सिलास कार्सन की है। यह तस्‍वीर नेहरू पर आधारित नाटक ‘ड्रॉइंग द लाइन’की है।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को लेकर सोशल मीडिया पर एक तस्‍वीर वायरल हो रही है। इसमें एक शख्‍स को एक महिला के करीब दिखाया गया है। कुछ यूजर्स इसे नेहरू की दुर्लभ तस्‍वीर बताते हुए आपत्तिजनक टेक्‍स्‍ट के साथ वायरल कर रहे हैं। फेसबुक से लेकर सोशल मीडिया के दूसरे प्‍लेटफार्म पर नेहरू को बदनाम करने के लिए इस तस्‍वीर का इस्‍तेमाल किया जा रहा है। विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल तस्‍वीर की जांच की। पता चला कि जिस तस्‍वीर को जवाहर लाल नेहरू की दुर्लभ तस्‍वीर बताकर वायरल किया जा रहा है, दरअसल वह सिलास कार्सन हैं। यह तस्‍वीर नेहरू पर आधारित नाटक ‘ड्रॉइंग द लाइन’की है।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक पेज ‘भारत बचाओ आंदोलन’ ने 13 मार्च को एक तस्‍वीर को पोस्‍ट करते हुए लिखा, “अपने प्‍यारे चचाजान आजादी की लड़ाई के वक्‍त एक अंग्रेजन का गला काटने का प्रयास करते हुए।”

पोस्‍ट को सच मानकर दूसरे यूजर्स भी इसे वायरल कर रहे हैं। इसका आर्काइव वर्जन यहां देखा जा सकता है।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की सच्‍चाई जानने के लिए सबसे पहले गूगल रिवर्स इमेज टूल का इस्‍तेमाल किया। य‍हां वायरल तस्‍वीर अपलोड करके सर्च करने पर असली तस्‍वीर मेट्रो डॉट को डॉट यूके की वेबसाइट पर मिली। 11 दिसंबर 2013 को प्रकाशित एक खबर में इस तस्‍वीर का इस्‍तेमाल किया गया। इसके कैप्‍शन में ‘ड्रॉइंग द लाइन’ नाटक का जिक्र करते हुए सिलास कार्सन और लूसी ब्‍लैक के नाम का जिक्र किया गया। ‘ड्रॉइंग द लाइन’ भारत के बंटवारे पर आधारित एक ड्रामा था। इसमें हैम्पस्टेड थिएटर का भी जिक्र किया गया।

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने हैम्पस्टेड थिएटर के बारे में सर्च किया। इस थिएटर की वेबसाइट पर ‘ड्रॉइंग द लाइन’के बारे में सर्च करने पर हमें पता चला कि यह नाटक 2013 के 3 दिसंबर से लेकर 11 जनवरी 2014 के बीच लंदन के फेमस हैम्पस्टेड थिएटर में खेला गया था। इसकी गैलेरी में हमें असली तस्‍वीर मिली। इसमें भी सिलास कार्सन और लूसी ब्‍लैक के नाम का जिक्र था। ‘ड्रॉइंग द लाइन’ भारत-पाकिस्‍तान के बंटवारे की पृष्ठभूमि में लिखा गया एक नाटक है। इसमें लॉर्ड माउंटबेटन, उनकी पत्‍नी लेडी माउंटबेटन और जवाहरलाल नेहरू के रिश्‍तों पर प्रकाश डालने का प्रयास किया गया है। नाटक में सिलास कार्सन ने नेहरू और लूसी ब्‍लैक ने एडविना का रोल किया था।

विश्‍वास न्‍यूज ने एक बार पहले भी इस तस्‍वीर की जांच की थी। इसकी पड़ताल यहां पढ़ी जा सकती है।

विश्‍वास न्‍यूज ने जांच को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस के सोशल मीडिया के नेशनल कोऑर्डिनेटर नितिन अग्रवाल से संपर्क किया। उनके साथ वायरल तस्‍वीर को शेयर किया। उन्‍होंने बताया, “ट्रोल ऑर्मी के निशाने पर नेहरू हमेशा से रहे हैं। देश के प्रथम पीएम को बदनाम करने के लिए इस तरह की तस्‍वीरों का सहारा लिया जाता है। यह ब्रिटिश नाटक के एक सीन की तस्‍वीर है।”

पड़ताल के अंत में भारत बचाओ आंदोलन नाम के फेसबुक पेज की जांच की गई। सोशल स्‍कैनिंग में पता चला कि इस पेज को तीन लाख से ज्‍यादा लोग फॉलो करते हैं।

निष्‍कर्ष : देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के नाम पर वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित हुई। यह तस्‍वीर एक ब्रिटिश ड्रामा ‘ड्रॉइंग द लाइन’ की है।

False
Symbols that define nature of fake news
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