Fact Check: फगवाड़ा की पुरानी घटना को साम्प्रदायिक रंग देकर किया जा रहा है वायरल

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्ट भ्रामक साबित हुई। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, यह 2016 का वीडियो है। पंजाब के फगवाड़ा में हुई इस भिड़ंत के दौरान दोनों गुटों की ओर से हथियार लहराए गए। वीडियो का हालिया समय से कोई संबंध नहीं है।

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। सोशल मीडिया के विभिन्न प्‍लेटफॉर्म्स पर 3 मिनट 37 सेकंड का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में कुछ लोगों को हाथों में भगवा झंडा और तलवार लिए और समुदाय विशेष के लोगों को आपस में भिड़ते हुए देखा जा सकता है। वीडियो को सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ शेयर किया गया जा रहा है – हिंदू नव वर्ष की रैली में समुदाय विशेष की भीड़ ने किया हमला, रैली को आगे नहीं जाने दिया। विश्वास न्यूज़ ने वायरल वीडियो की जाँच की और पाया कि यह 2016 का वीडियो है। पंजाब के फगवाड़ा में हुई इस भिड़ंत के दौरान दोनों गुटों की ओर से हथियार लहराए गए। इस दौरान सिख और दलित समुदाय भी अल्पसंख्यकों के हक में आ गए। वीडियो का हालिया समय से कोई संबंध नहीं है। 

क्या है वायरल पोस्ट में ?

फेसबुक यूजर Bhupendra Surana ने 4 अप्रैल को यह वीडियो शेयर किया है और लिखा है, ‘हिंदू नव वर्ष की रैली में समुदाय विशेष के भीड़ ने किया हमला रैली को आगे नहीं जाने दिया. Latest News Hindi , Viral  Video , Real Secularism in India , Breaking news , Aaj ki Taza khabar , The Kashmir Files Reality ‘

फैक्ट चेक के उद्देश्य से पोस्ट में लिखी गई बातों को यहां ज्यों का त्यों पेश किया गया है। इस पोस्ट के आर्काइव्ड वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है। सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर भी कई अन्य यूजर्स ने इसे समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल वीडियो का सच जानने के लिए सबसे पहले InVID टूल में इसे अपलोड करके कई ग्रैब्‍स निकाले। फिर इन्‍हें एक के बाद एक करके गूगल रिवर्स इमेज में सर्च करना शुरू किया। हमें indianexpress.com की वेबसाइट पर 23,जुलाई 2016 को प्रकाशित एक खबर मिली। खबर में हमें वायरल वीडियो से मिलते-जुलते कई लोग दिखे, जो वायरल वीडियो में नज़र आ रहे हैं। खबर के अनुसार, ‘जम्मू-कश्मीर में हाल ही में अमरनाथ यात्रा में व्यवधान के बाद, शिवसेना नेता स्थानीय मुसलमानों को निशाना बना रहे थे और पाकिस्तान विरोधी नारे लगा रहे थे। गुरुवार शाम को उन्होंने एक मुस्लिम की दुकान की दीवार पर ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ लिख दिया। मुसलमानों ने शिवसेना के इस रवैये का विरोध किया और फगवाड़ा की जामा मस्जिद के शाही इमाम उवैस-उर-रहमान के नेतृत्व में एक मार्च निकाला। शिवसेना नेताओं ने भी अपने राज्य उपाध्यक्ष इंद्रजीत करवाल के नेतृत्व में पाकिस्तान विरोधी नारे लगाते हुए विरोध मार्च निकाला। नयन वाला चौक पर दोनों गुट आमने-सामने आ गए और एक-दूसरे पर कमेंट करने लगे। हंगामा तेज हो गया और दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर पथराव शुरू कर दिया।’ पूरी खबर यहाँ पढ़ें।

इससे जुड़ी खबर को अमर उजाला में भी पढ़ा जा सकता है। 23, जुलाई 2016 को प्रकाशित इस खबर में बताया गया, ‘पंजाब के फगवाड़ा में हुई इस भिड़ंत के दौरान दोनों गुटों की ओर से हथियार लहराए गए। इस दौरान सिख और दलित समुदाय भी अल्पसंख्यकों के हक में आ गए। पथराव में पुलिस कर्मचारियों समेत छह लोगों को हल्की चोटें आई। पुलिस ने दोनों पक्षों को शांत करवाया और कार्रवाई का आश्वासन दिया। देर शाम खबर लिखे जाने तक शिवसैनिक हनुमानगढ़ी में और अल्पसंख्यक समुदाय मस्जिद में जमा था। पुलिस दोनों पक्षों से बातचीत कर रही है।’

वायरल वीडियो के बारे में अधिक जानकारी के लिए हमने फगवाड़ा के दैनिक जागरण के रिपोर्टर विजय सोनी से संपर्क किया। विजय सोनी ने हमें बताया कि यह वीडियो बहुत पुराना है। इसको अभी गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है। इनकी मदद से हमने वायरल वीडियो में मौजूद राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आरक्षण मोर्चा प्रधान गुलाम सरबर सबा से सम्पर्क किया। हमने वायरल वीडियो को उनके साथ भी साझा किया। उन्होंने हमें बताया, यह वीडियो पुराना है। उन्होंने हमें यह भी बताया कि इस वीडियो में वो भी मौजूद हैं और उन्होंने हमारे साथ अपनी फोटो भी शेयर की। गुलाम सरबर सबा ने कहा कि शिवसेना की तरफ से रोष रैली निकाली जा रही थी और हमने भी रोष रैली निकालनी थी, क्योंकि कुछ मुसलमानों की दुकानों के बाहर “जिंदाबाद मुर्दाबाद” लिखा था और मुस्लिम भाईचारे वालों की रेड़ी भी तोड़ी गई थी। हमारी तरफ से प्रशासन को मांग पत्र दिया जाना था, ताकि हमें सुरक्षा दी जा सके। जब जुम्मे की नमाज़ के बाद कुछ लोग बाहर निकले तो शिवसेना के इन लोगों ने गाली-गलौच करना शुरू कर दिया। इसके बाद इन लोगों ने ईंट-पत्थर मारने शुरू कर दिए। शिव सेना के कायर्कर्ताओं और अल्पसंख्यकों में हिंसा भड़क गयी थी। फिर समर्थन में सिख, हिन्दू और दलित समुदाय के कार्यकर्ता भी आ गए। इसके बाद शिवसेना के इन लोगों की तरफ से माफ़ी भी मांगी गई थी। 

पड़ताल के अंत में भ्रामक पोस्ट करने वाले यूजर की जांच की गई। फेसबुक यूजर Bhupendra Surana को फेसबुक पर 3,730 लोग फॉलो करते हैं और यूजर चेन्नई के रहने वाले हैं।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्ट भ्रामक साबित हुई। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, यह 2016 का वीडियो है। पंजाब के फगवाड़ा में हुई इस भिड़ंत के दौरान दोनों गुटों की ओर से हथियार लहराए गए। वीडियो का हालिया समय से कोई संबंध नहीं है।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
पूरा सच जानें...

सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी खबर पर संदेह है जिसका असर आप, समाज और देश पर हो सकता है तो हमें बताएं। हमें यहां जानकारी भेज सकते हैं। हमें contact@vishvasnews.com पर ईमेल कर सकते हैं। इसके साथ ही वॅाट्सऐप (नंबर – 9205270923) के माध्‍यम से भी सूचना दे सकते हैं।

Related Posts
नवीनतम पोस्ट