Fact Check : 2018 की खबर को बंगाल चुनाव से जोड़कर किया जा रहा है वायरल

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित हुई। 2018 में राजस्‍थान विधानसभा चुनाव के दौरान निर्दलीय प्रत्‍याशी के नाम पर कुछ प्रतीकात्‍मक ईवीएम मिली थीं। उसी से जुड़ी एक खबर को अब कुछ लोग वायरल कर रहे हैं।

Fact Check : 2018 की खबर को बंगाल चुनाव से जोड़कर किया जा रहा है वायरल

विश्‍वास न्‍यूज (नई दिल्‍ली)। पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव की दस्‍तक के साथ ही फेसबुक, ट्विटर और वॉट्सऐप पर फर्जी खबरों के जरिए दुष्प्रचार शुरू हो चुका है। अब कुछ यूजर पुराने अखबार की एक कटिंग को बंगाल चुनाव से जोड़ते हुए भाजपा के खिलाफ वायरल कर रहे हैं। वायरल अखबार की कटिंग में दावा किया गया है कि भाजपा नेता के घर से 66 नकली ईवीएम पकड़ाई है। यूजर्स इस खबर को बंगाल चुनाव से जोड़कर सोशल मीडिया में वायरल कर रहे हैं।

विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल पोस्‍ट की जांच की। पड़ताल में पोस्‍ट फर्जी निकली। राजस्‍थान विधानसभा चुनाव से जुड़ी एक अखबार की पुरानी कटिंग को अब जानबूझकर वायरल किया जा रहा है।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर जितेंद्र मुंडाल ने 12 मार्च को एक ग्रुप में अखबार की पुरानी कटिंग को अपलोड करते हुए लिखा : ‘बंगाल में पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने की पूरी तैयारी हो चुकी है भाइयों’

अखबार की खबर का शीर्षक था : ‘भाजपा नेता के घर से 66 नकली ईवीएम जब्‍त।’

फेसबुक पोस्‍ट का आर्काइव्‍ड वर्जन यहां देखें।

पड़ताल

विश्‍वास न्‍यूज ने सबसे पहले गूगल में यह सर्च करने की कोशिश की कि क्‍या पश्चिम बंगाल में इनदिनों नकली ईवीएम पकड़ाई है। हमें सर्च में एक भी ऐसी खबर नहीं मिली, जो यह पुष्टि करती हो।

इसके बाद हमने वायरल खबर की हेडिंग ‘भाजपा नेता के घर से 66 नकली ईवीएम जब्‍त’ को गूगल में टाइप करके सर्च किया। हमें पत्रिका डॉट कॉम पर 4 दिसंबर 2018 को पब्लिश एक खबर मिली। इसमें बताया गया कि अजमेर के ब्‍यावर में पुलिस ने एक मकान में दबिश देकर वहां पर रखी 66 प्रतीकात्‍मक ईवीएम प्रचार सामग्री पकड़ी। मशीन पर जैतारण के निर्दलीय प्रत्‍याशी सुरेंद्र गोयल का चुनाव चिह्न व नाम अंकित था।

जांच को आगे बढ़ाते हुए विश्‍वास न्‍यूज ने पाली के वरिष्‍ठ पत्रकार राजेंद्र सिंह से संपर्क किया। उनके साथ वायरल न्‍यूज की कटिंग शेयर की। उन्‍होंने बताया कि राजस्‍थान विधानसभा चुनाव से पहले नमूने के तौर पर बनाई गई कुछ प्रतीकात्‍मक ईवीएम पकड़ी गई थी। यह काफी पुरानी बात है।

पड़ताल के अंत में हमने फर्जी पोस्‍ट करने वाले यूजर की जांच की। हमें पता चला कि फेसबुक यूजर जितेंद्र मुंडाल एक खास दल के समर्थक हैं। वे मेड़ता सिटी में रहते हैं। अकाउंट लॉक्‍ड होने की वजह से इससे ज्‍यादा जानकारी हमें नहीं मिल पाई।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में वायरल पोस्‍ट फर्जी साबित हुई। 2018 में राजस्‍थान विधानसभा चुनाव के दौरान निर्दलीय प्रत्‍याशी के नाम पर कुछ प्रतीकात्‍मक ईवीएम मिली थीं। उसी से जुड़ी एक खबर को अब कुछ लोग वायरल कर रहे हैं।

False
Symbols that define nature of fake news
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