विश्वास न्यूज की पड़ताल में पुलिसिया अत्याचार से जुड़ी वायरल पोस्ट भ्रामक साबित हुई। 2010 की घटना को कुछ लोग अभी का समझकर वायरल कर रहे हैं।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है। 2:14 मिनट के इस वीडियो में कुछ पुलिसवालों को एक युवक को बुरी तरह पीटते हुए देखा जा सकता है। सोशल मीडिया यूजर्स इस वीडियो को हाल का ही समझ कर वायरल कर रहे हैं। विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की जांच की। यह भ्रामक साबित हुई। दरअसल जनवरी 2010 की एक घटना को अब वायरल किया जा रहा है। यूपी के देवरिया में हुई इस घटना के बाद तीन पुलिसवालों को सस्पेंड कर दिया गया था।
फेसबुक पेज ‘द न्यूज हाल्ट’ ने 26 मार्च को एक वीडियो को अपलोड करते हुए लिखा : ‘वीडियो #रामराज्य उत्तर प्रेदेश की बताई जा रही है, यह पुलिस संविधान के अधीन है या RSS, VHP के, ज़ुल्म किसी पर भी हो मुसलमान, दलित, आदिवासी सहन नहीं किया जाएगा।’
फैक्ट चेक के उद्देश्य से पोस्ट में लिखी गई बातों को यहां ज्यों का त्यों पेश किया गया है। इस पोस्ट के आर्काइव्ड वर्जन को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है। सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर भी कई अन्य यूजर्स ने इसे समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।
विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की सच्चाई पता करने के लिए सबसे पहले वायरल वीडियो को InVID टूल पर डालकर इसके कीफ्रेम्स निकाले। हमने वीडियो के कीफ्रेम्स पर गूगल रिवर्स इमेज सर्च टूल का इस्तेमाल किया। हमें एनडीटीवी की वेबसाइट पर 10 जनवरी 2020 की एक रिपोर्ट में वायरल वीडियो मिला। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि यूपी के देवरिया में मोबाइल चोरी के आरोपी युवक के साथ टॉर्चर करने वाले तीन पुलिसकर्मियों को सस्पेंड करके उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। इस रिपोर्ट को यहां क्लिक कर देखा जा सकता है।
इसी रिपोर्ट में हमें यूपी के वरिष्ठ पत्रकार आलोक पांडेय के ट्विटर हैंडल पर अपलोड ओरिजनल वीडियो का लिंक भी मिला। इसे 10 जनवरी 2020 को पोस्ट करते हुए बताया गया कि देवरिया में मोबाइल चोरी के एक आरोपी युवक के साथ पुलिस ने बेरहमी से पिटाई की, जिसके बाद तीन पुलिसवालों को सस्पेंड कर दिया गया।
पड़ताल के दौरान हमें दैनिक जागरण की वेबसाइट पर एक खबर मिली। 18 जनवरी 2020 को पब्लिश इस खबर में बताया गया: ‘देवरिया के महेन गांव के सुमित गोस्वामी पर मोबाइल चुराने का आठ जनवरी को आरोप लगा। यूपी 112 पर तैनात पुलिसकर्मी सुमित को हिरासत में लिए और थाने में बेरहमी से सुमित की पिटाई की गई। इसके बाद इस पूरे प्रकरण का वीडियो वायरल हो गया। इस मामले में एसपी ने उसी रात पिटाई करने वाले हेड कॉन्स्टेबल लाल बिहारी, सिपाही चंद्र मौलेश्वर सिंह व जितेंद्र यादव को निलंबित करते हुए उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया।’ संबंधित खबर को यहां पढ़ें।
पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए विश्वास न्यूज ने दैनिक जागरण, देवरिया के प्रभारी महेंद्र त्रिपाठी से संपर्क किया। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि वायरल वीडियो की घटना 2010 की है।
विश्वास न्यूज ने पड़ताल के अंत में देवरिया के पुराने वीडियो को अब अपलोड करने वाले फेसबुक पेज ‘द न्यूज हाल्ट‘ की सोशल स्कैनिंग की। जांच में पता चला कि पेज को तीन हजार हजार से ज्यादा लोग फॉलो करते हैं। यह पेज बिहार के बेगूसराय से संचालित होता है। यह पेज 22 अक्टूबर 2021 को बनाया गया था।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में पुलिसिया अत्याचार से जुड़ी वायरल पोस्ट भ्रामक साबित हुई। 2010 की घटना को कुछ लोग अभी का समझकर वायरल कर रहे हैं।
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