Fact Check: मुफ्त की रेवड़ी बांटने पर प्रतिबंध के लिए SC ने नहीं दिया ‘ऑल इंडिया टैक्स पेयर्स ऑर्गनाइजेशन’ बनाने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से 'ऑल इंडिया टैक्सपेयर्स' संगठन बनाए जाने का आदेश दिए जाने का दावा गलत है, जिसकी मंजूरी के बिना कोई सरकार मुफ्त बिजली, मुफ्त  पानी या कर्ज माफी जैसी घोषणाएं नहीं कर सकती है।  2022 में दायर इस याचिका के बाद 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव के दौरान मुफ्त रेवड़ी बांटे जाने पर रोक की मांग वाली याचिका को पर सुनवाई की सहमति दे दी थी। हालांकि, इस मामले में कोई फैसला नहीं दिया गया है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर वायरल एक मैसेज में दावा किया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने ‘ऑल इंडिया टैक्स पेयर्स ऑर्गनाइजेशन’ बनाने का आदेश दिया है, और इस संगठन की सहमति या मंजूरी के बिना कोई भी सरकार मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी या कर्ज माफी जैसी लोकलुभावन घोषणा नहीं कर सकती है।

विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इसे गलत पाया। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ऐसी कोई भी घोषणा नहीं की गई है। हालांकि, इस मामले में संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनावों के दौरान मुफ्त उपहारों की घोषणा को ‘गंभीर मुद्दा’ बताते हुए  केंद्र, नीति आयोग, वित्त आयोग और आरबीआई समेत अन्य हितधाारकों को मंथन करने के लिए कहा था। 2022 में दायर इस याचिका के बाद 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव के दौरान मुफ्त रेवड़ी बांटे जाने पर रोक की मांग वाली याचिका को पर सुनवाई की सहमति दे दी थी।

क्या है वायरल?

विश्‍वास न्‍यूज के टिपलाइन नंबर +91 9599299372 पर यूजर ने इस वीडियो को भेजकर इसकी सच्चाई बताने का अनुरोध किया।

विश्वास न्यूज के टिपलाइन पर भेजा गया क्लेम।

सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर कई अन्य यूजर्स ने इसे समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।

पड़ताल

न्यूज सर्च में हमें ऐसी कोई हालिया रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें ऐसे किसी आदेश का जिक्र हो। हालांकि, सर्च में हमें टाइम्स ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर मौजूद 31 मई 2024 को प्रकाशित रिपोर्ट मिली, जिसमें इससे संबंधित याचिका पर सुनवाई का जिक्र है।

रिपोर्ट के मुताबिक, “लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण के मतदान के लिए चुनाव प्रचार थमने के बाद, जिसमें कई नकद और मुफ्त उपहारों की घोषणा की गई, सुप्रीम कोर्ट दो साल पुरानी उन कई जनहित याचिकाओं की सुनवाई के लिए तैयार हो गया है, जिसमें राजनीतिक दलों से इस तरह की घोषणाओं के वित्तीय बोझ और उसे पूरा करने के लिए जरूरी फंड का आकलन करने की मांग की गई है।”

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने ऐसी कई जनहित याचिकाओं को सुना, जिसका नेतृत्व एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय कर रहे थे और इनमें से एक याचिका उन्होंने खुद दायर की हुई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में जल्द सुनवाई की उम्मीद है।  इसी आधार पर सर्च करने पर हमें कई पुरानी रिपोर्ट्स मिली, जिसमें इस याचिका का जिक्र है।

‘द हिंदू’ की तीन अगस्त 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, “सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त की रेवड़ी (फ्रीबीज) के मामले में एक समिति का गठन करने और सभी पक्षों को इस मामले में उनकी राय देने के लिए कहा है।”

तीन अगस्त 2022 की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, “उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र, नीति आयोग, वित्त आयोग और आरबीआई जैसे हितधारकों से चुनावों के दौरान मुफ्त सुविधाओं की घोषणा के “गंभीर” मुद्दे पर विचार-मंथन करने और इससे निपटने के लिए “रचनात्मक सुझाव” देने को कहा।”

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर हमें इस मामले के रिकॉर्ड ऑफ प्रोसिडिंग की कॉपी मिली, जिसमें कहा गया है- “इन याचिकाओं को ध्यान में रखते हुए, जो राजनीतिक दलों की तरफ से की जाने वाली मुफ्त सेवाओं की घोषणा से संबंधित है, हमारा मानना है कि इस मामले में एक विशेषज्ञों की समिति का गठन करना उचित होगा, जिसमें सभी हितधारकों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इन हितधारकों में लाभार्थी, जो इस मुफ्त की रेवड़ी का विरोध कर रहे हैं, केंद्र सरकार, राज्य सरकार, विपक्षी दल, वित्त आयोग, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, नीति आयोग समेत अन्य शामिल हैं, ताकि इस मामले को समग्रता से देखा जा सके।” इसके बाद कोर्ट ने सभी पक्षों को उनका सुझाव सौंपने के लिए कहा था।

2022 में हुई इस सुनवाई के बाद 2024 में सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई के लिए तैयार हुआ है। यानी 2022 में भी सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कोई फैसला नहीं दिया था, जिसका दावा वायरल पोस्ट में किया गया है।

वायरल पोस्ट को लेकर हमने सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट रुद्र विक्रम सिंह से संपर्क किया। उन्होंने स्पष्ट कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे किसी संगठन को बनाने का आदेश नहीं दिया था। हालांकि, इस मामले से संबंधित याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार है।

हालिया तिरुपति प्रसाद विवाद के संदर्भ में वायरल हुए सोशल मीडिया दावों की फैक्ट चेक रिपोर्ट्स को यहां पढ़ा जा सकता है।

निष्कर्ष: सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ‘ऑल इंडिया टैक्सपेयर्स’ संगठन बनाए जाने का आदेश दिए जाने का दावा गलत है, जिसकी मंजूरी के बिना कोई सरकार मुफ्त बिजली, मुफ्त  पानी या कर्ज माफी जैसी घोषणाएं नहीं कर सकती है।  2022 में दायर इस याचिका के बाद 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव के दौरान मुफ्त रेवड़ी बांटे जाने पर रोक की मांग वाली याचिका को पर सुनवाई की सहमति दे दी थी। हालांकि, इस मामले में कोई फैसला नहीं दिया गया है।

False
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