Fact Check: जगन्नाथ मंदिर की 35,000 एकड़ जमीन को बेचे जाने का दावा भ्रामक

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे कई पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि ओडिशा सरकार जगन्नाथ मंदिर की 315 एकड़ से अधिक जमीन पहले बेच चुकी है और 35,000 एकड़ से अधिक जमीन बेचने की तैयारी कर रही है।

विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत भ्रामक साबित हुआ। मंदिर प्रशासन के मुताबिक, कब्जे वाली मंदिर की जमीन का निपटान समान नीति के तहत किया जा रहा है, जिसे 2003 में तैयार किया गया था। इसी मामले को भ्रामक तरीके से साथ मंदिर की जमीन बेचे जाने के दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक पेज ‘राष्ट्रदेव’ ने वायरल पोस्ट (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ”जगन्नाथ मंदिर के 35,000 एकड़ से अधिक जमीन बेचने की तैयारी में ओडिशा सरकार, 315.337 एकड़ जमीन पहले ही बेच चुकी है राज्य सरकार।”

भ्रामक दावे के साथ वायरल हो रही पोस्ट

पड़ताल किए जाने तक इस पोस्ट को करीब 700  से अधिक लोग शेयर कर चुके हैं। कई अन्य यूजर्स ने इस पोस्ट को समान औऱ मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।

पड़ताल

सर्च में हमें ऐसी कई न्यूज रिपोर्ट्स मिली, जिसमें वहीं जानकारी मिली, जो वायरल पोस्ट में शेयर किया गया है। इंडिया टुडे की वेबसाइट पर 18 मार्च 2021 को प्रकाशित रिपोर्ट में राज्य के कानून मंत्री प्रताप जेना के विधानसभा में दिए गए बयान का जिक्र है। इसके मुताबिक, ‘करीब 60,426 एकड़ जमीन भगवान जगन्नाथ के नाम पर चिह्नित की गई है, जो राज्य के चौबीस जिलों में फैली हुई है। इसमें से 395 एकड़ से अधिक जमीन पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और बिहार में है।’

इन जिलों के कलेक्टर से इन संपत्तियों को बेचे जाने को लेकर संपर्क किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘मंदिर प्रशासन ने अभी तक 34,876.983 एकड़ जमीन वापस हासिल कर ली है और इन जमीनों को सरकार द्वारा मंजूरी प्राप्त समान नीति (यूनिफॉर्म पॉलिसी) के तहत बेचे जाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।’

अन्य रिपोर्ट्स में भी कानून मंत्री जेना के हवाल से ऐसा दावा किया गया है। इन रिपोर्ट्स के सामने आने के बाद 18 मार्च को श्री जगन्नाथ मंदिर के मुख्य प्रशासक की तरफ से जमीन बेचे जाने के दावे का खंडन किया गया।

मुख्य प्रशासक के मुताबिक, ‘यह पूरी तरह से गलतबयानी है कि भगवान जगन्नाथ की 35,000 एकड़ जमीन बेची जा रही है। यह पूरी तरह से तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किए जाने का प्रेरित मामला है, जिसमें कुछ भी सच नहीं है। जो जमीनें वर्षों से किसी के कब्जें में है, उसका मालिकाना हक श्री जगन्नाथ महाप्रभु के पास है और इनका मंदिर प्रशासन के जरिए समान नीति के तहत निपटारा किया जा रहा है, जिसे साल 2003 में बनाया गया था।’

श्री जगन्नाथ मंदिर कार्यालय, पुरी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से सीरीज में किए गए ट्वीट में मंदिर की जमीन बेचे जाने के दावे का खंडन किया गया है।

इसके मुताबिक, ‘वर्ष 2001 से 2010 के बीच 291 एकड़ जमीनों का निपटारा किया जा चुका है और 2011 से 2021 के बीच 96 एकड़ भूमि का निपटान किया गया। इन जमीनों का निपटारा स्कूलों, मेडिकल कॉलेजों, सड़कों आदि जैसे जनहित में किया गया है। ऐसे सार्वजनिक हितों वाले बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए जमीन का आवंटन सरकार और अन्य पक्ष को किया गया है और इसका फैसला जगन्नाथ मंदिर समिति की तरफ से किया गया।’

मंदिर के मुख्य प्रशासक के मुताबिक, ‘हम यह दोहराना चाहते हैं कि श्री जगन्नाथ महाप्रभु की 35,000 एकड़ जमीन को बेचे जाने का फैसला पूरी तरह से गलत और प्रेरित है। हम ओडिशा के लोगों और भगवान जगन्नाथ के लाखों श्रद्धालुओं से यह अपील करना चाहते हैं कि वह ऐसी दुर्भावनापूर्ण झूठ और गलत रिपोर्टिंग से गुमराह नहीं हो।’

यानी मंदिर की जमीनों को बेचे जाने का दावा गलत है। इस बारे में हमने भुवनेश्वर के पीटीआई ब्यूरो चीफ अरविंद मिश्रा से संपर्क किया। उन्होंने कहा, ‘यह कहना गलत है कि मंदिर की जमीनों को बेचा जा रहा है। भगवान जगन्नाथ के पास सबसे ज्यादा जमीनें हैं और यह कई राज्यों में फैली हुई हैं। इन जमीनों के बड़े हिस्से पर अवैध कब्जा है और इसी को ध्यान में रखते हुए समान नीति लाई गई थी, ताकि इन जमीनों को वापस हासिल किया जा सके। हालांकि, इन जमीनों को भौतिक रूप से कब्जे में लेना संभव नहीं है, इसलिए समान नीति के तहत इनका निपटारा किया गया, ताकि मंदिर प्रशासन को राजस्व मिल सके।’

मिश्रा ने कहा, ‘इस मामले में भ्रम की शुरुआत ओडिशा विधानसभा में कानून मंत्री के बयान से हुई, जिसमें उन्होंने बिक्री शब्द का इस्तेमाल किया। हालांकि, मंदिर प्रशासन की तरफ से इस पर स्थिति साफ कर दी गई है।’ उन्होंने कहा, ‘मंदिर प्रशासन भगवान जगन्नाथ की संपत्ति की देखभाल करती हैं, उसके पास किसी संपत्ति को बेचने का अधिकार वैसे भी नहीं है।’

मंदिर के मुख्य प्रशासक की तरफ से जमीन को बेचे जाने के दावे का खंडन किए जाने के बाद अभी तक ओडिशा सरकार या वहां के कानून मंत्री की तरफ से कोई बयान नहीं दिया गया है।

सर्च में हमें ऐसी कई न्यूज रिपोर्ट्स भी मिली, जिसमें श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) की तरफ से मंदिर की जमीन को बेचे जाने की रिपोर्ट्स का खंडन प्रकाशित किया गया है।

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की वेबसाइट पर 19 मार्च को प्रकाशित रिपोर्ट

भ्रामक दावे के साथ पोस्ट को शेयर करने वाले पेज को फेसबुक पर करीब तीन लाख लोग फॉलो करते हैं।

निष्कर्ष:  भगवान जगन्नाथ की 35,000 एकड़ जमीन को बेचे जाने का दावा तथ्यहीन है। ओडिशा के पुरी जगन्नाथ मंदिर प्रशासन की तरफ से कब्जे वाली जमीन का निपटान समान नीति के तहत किया जा रहा है, जिसे 2003 में तैयार किया गया था। इसी मामले को मंदिर की जमीन बेचे जाने के दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।

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