Fact Check : नए ट्रैफिक नियम के नाम पर अफवाह, छात्र संघ चुनाव में पिटाई का वीडियो वायरल

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। देश के कई राज्‍यों में एक सितंबर से संशोधित मोटर वाहन अधिनियम लागू होने के बाद से ही सोशल मीडिया में कई पुराने वीडियो और तस्‍वीरें वायरल करते हुए पुलिस के आतंक की बात उड़ाई जा रही है। एक ऐसा ही वीडियो फेसबुक पर अपलोड करते हुए दावा किया जा रहा है कि नए ट्रैफिक नियम लागू होते ही पुलिस का आतंक शुरू हो गया। इसमें कुछ पुलिसकर्मी लोगों को पकड़कर पीटते हुए नजर आ रहे हैं।

विश्‍वास टीम की पड़ताल में मामला कुछ और ही निकला। 28 अगस्‍त को राजस्‍थान के अलवर के राजर्षि कॉलेज में छात्र संघ चुनाव में मतों के अंतर को लेकर विवाद हो गया था। जिसके बाद छात्र नेता और सामाजिक कार्यकर्ता आंदोलन कर रहे थे। वायरल वीडियो उसी आंदोलन में हुए लाठीचार्ज का है। इसका नए ट्रैफिक नियम से कोई संबंध नहीं है।

क्‍या है वायरल पोस्‍ट में

फेसबुक पर मौजूद यूनाइटेड अंधभक्‍त नाम के एक पेज ने 4 सितंबर को सुबह 8:20 बजे एक वीडियो को अपलोड करते हुए दावा किया : नए ट्रैफिक नियम लागू होते ही पुलिस का आतंक शुरू

इस वीडियो को अब तक इस पेज से 27 हजार बार शेयर किया जा चुका है। कमेंट करने वालों की संख्‍या 800 से ज्‍यादा है। इस वीडियो को लगातार कई पेजों से वायरल किया जा रहा है।

पड़ताल

विश्‍वास टीम ने सबसे पहले वायरल वीडियो को ध्‍यान से देखा। इसमें हमें एक सुरक्षाकर्मी की यूनिफॉर्म पर QRT अलवर लिखा हुआ नजर आया। इससे एक बात तो साफ हो गई कि वीडियो राजस्‍थान के अलवर का है।

अपनी पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने वीडियो को InVID में अपलोड करके गूगल रिवर्स इमेज में सर्च किया। हमें Zee राजस्‍थान के यूट्यूब चैनल पर खबर मिली। इस खबर को 28 अगस्‍त को अपलोड किया गया था। इसमें वही वीडियो का इस्‍तेमाल किया गया था, जो अब ट्रैफिक नियम के नाम पर वायरल हो रहा है। खबर में बताया गया कि अलवर के आरआर कॉलेज में दोबारा मतगणना की मांग को लेकर छात्र धरना दे रहे थे। छात्रों को खदेड़ने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया।

विश्‍वास टीम ने इसके बाद अलवर से प्रकाशित अखबारों के ईपेपर को खंगाला। अखबारों में वीडियो में पीटे जा रहे शख्‍स की तस्‍वीर को इस्‍तेमाल करते हुए कवरेज की गई। खबरों के मुताबिक, नेहरू पार्क चौराहे पर पुलिस ने मतगणना में धांधली का आरोप लगा रहे हारे हुए प्रत्‍याशियों के समर्थकों और अन्‍य लोगों की जमकर पिटाई की थी। अखबारों की खबर आप नीचे पढ़ सकते हैं।

मामले की तह में जाने के लिए विश्‍वास टीम ने अलवर एडीएम सिटी उत्तम सिंह शेखावत को कॉल किया। उन्‍होंने हमें बताया कि 28 अगस्‍त की रात कुछ छात्र धरना प्रदर्शन कर रहे थे। जब ये छात्र कलेक्‍टर निवास की ओर जा रहे थे तो उन्‍हें रोकने के लिए हल्‍का बल प्रयोग किया गया था,लेकिन इस घटना का नए ट्रैफिक नियम से कोई संबंध नहीं है। वीडियो को गलत मंशा के साथ कुछ लोग वायरल कर रहे हैं।

अंत में विश्‍वास टीम ने अलवर छात्र संघ चुनाव से जुड़े वीडियो को नए ट्रैफिक नियम से जोड़ते हुए वायरल करने वाले फेसबुक पेज यूनाइटेड अंधभक्‍त पेज को स्‍कैन किया। हमें पता लगा कि यह पेज 7 फरवरी 2019 को बनाया गया। इसमें वायरल कंटेंट की भरमार मिली।

निष्‍कर्ष : विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में नए ट्रैफिक नियम लागू होते ही पुलिस का आतंक शुरू वाली पोस्‍ट फर्जी निकली। 28 अगस्‍त को अलवर के आरआर कॉलेज के पास छात्र संघ चुनाव में धांधली के आरोप में छात्र धरना दे रहे थे। उसी वक्‍त हुई लाठीचार्ज के वीडियो को 1 सितंबर को लागू हुए नए ट्रैफिक नियम से जोड़कर वायरल किया जा रहा है।

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Symbols that define nature of fake news
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