Fact Check: त्रिपुरा के कुछ पोलिंग बूथ पर 100% से ज्यादा मतदान के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक, चुनाव अधिकारियों के वोट भी जुड़े हैं उसमें

वेस्ट त्रिपुरा के कुछ मतदान केंद्रों पर चुनाव अधिकारियों ने इलेक्शन ड्यूटी सर्टिफिकेट की मदद से अपना वोट डाला था। इस कारण वहां के मतदाताओं और चुनाव अधिकारियों का कुल वोट प्रतिशत मिलाकर 100 से अधिक हो गया था।

Fact Check: त्रिपुरा के कुछ पोलिंग बूथ पर 100% से ज्यादा मतदान के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक, चुनाव अधिकारियों के वोट भी जुड़े हैं उसमें

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। लोकसभा चुनाव 2024 के प्रथम चरण में 19 अप्रैल को त्रिपुरा में भी मतदान हुआ था। त्रिपुरा में हुए मतदान के प्रतिशत को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। इसमें कहा जा रहा है कि त्रिपुरा में 110 फीसदी मतदान हुआ। इस पोस्ट के जरिए यूजर्स ईवीएम की विश्वनीयता पर सवाल उठा रहे हैं।

विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में पाया कि पश्चिमी त्रिपुरा के कुछ मतदान केंद्रों पर 100 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ है, लेकिन इसकी वजह चुनाव अधिकारियों की वोटिंग भी है। दरअसल, इलेक्शन ड्यूटी सर्टिफिकेट से चुनाव अधिकारियों को उनके संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में किसी भी मतदान केंद्र पर वोटिंग करने का अधिकार होता है।

क्या है वायरल पोस्ट

पिंकू गिरी नाम के फेसबुक यूजर ने 24 अप्रैल (आर्काइव लिंक) को पोस्ट किया,

“EVM मैया का एक और चमत्कार,
त्रिपुरा में 110% पोलिंग हुई,
मान लीजिये कि एक गांव में 100 लोग रहते हैं और वोट 110 लोगों ने की”

एक अन्य फेसबुक यूजर Er Sushil Sagar Aap (आर्काइव लिंक) ने इस मामले को लेकर एक वीडियो पोस्ट करते हुए ऐसा ही दावा किया गया। वीडियो में डिबेट के जरिए ईवीएम की विश्वनीयता पर सवाल उठाए गए।

पड़ताल

वायरल दावे की जांच के लिए हमने कीवर्ड से इस बारे में सर्च किया। त्रिपुरा सरकार के इन्फॉर्मेशन एंड कल्चरल विभाग की वेबसाइट पर 23 अप्रैल को एक प्रेस रिलीज अपलोड की गई है। इसमें त्रिपुरा के कुछ मतदान केंद्रों पर 100 फीसदी से ज्यादा हुए मतदान की वजह बताई गई है। इसमें लिखा है, 19 अप्रैल को पश्चिम त्रिपुरा संसदीय क्षेत्र में प्रथम चरण में मतदान हुआ था। इसमें चार मतदान केंद्रों पर वोट परसेंटेज को लेकर कुछ सवाल उठे थे। जांच के बाद पता चला है कि मतदान प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। चार मतदान केंद्रों के चुनाव अधिकारियों की रिपोर्ट में बताया गया कि इन मतदन केंद्रों पर इलेक्शन ड्यूटी सर्टिफिकेट (EDC) वोट डाले जाने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। ये मतदान केंद्र एआरओ मुख्यालय या स्ट्रॉन्ग रूम के पास हैं। इसके अलावा कई पुलिसकर्मियों को आसपास के क्षेत्रों में तैनात किया जाता है। मतदान वाले दिन इन लोगों ने इलेक्शन ड्यूटी सर्टिफिकेट से मतदान केंद्रों पर मतदान किया था। एनकोर एप्लिकेशन में कुल मतदाताओं की संख्या को लिया गया है। इसमें EDC नहीं जोड़ा गया है। हालांकि, EDC वोट को कुल डाले गए वोट में जोड़ा जाता है, इसलिए कुल वोटों का प्रतिशत अधिक हो गया।

– पश्चिम त्रिपुरा पीसी के 10-मजलिशपुर विधानसभा के भाग संख्या-44 के संबंध में बताया गया कि वहां मतदान केंद्र में कुल रजिस्टर्ड मतदाता 545 थे। इनमें से 498 ने वोट डाले, जो निर्धारित मतदाताओं का 91.37% है। इसके अलावा 68 मतदाताओं ने ईडीसी के जरिए यहां अपना वोट डाला। नतीजतन कुल वोट 566 हो गए और प्रतिशत 103.85% हो गया। 10/44- बीरेंद्रनगर एचएस स्कूल एआरओ मुख्यालय के सबसे करीब है।

– पश्चिम त्रिपुरा पीसी के 5-खयेरपुर विधानसभा के भाग संख्या 44 के मामले में रिटर्निंग ऑफिसर ने बताया कि संबंधित मतदान केंद्र पर कुल मतदाता 1290 थे और 1053 ने वोट डाले। इसके अलावा अन्य विधानसभा क्षेत्रों से संबंधित सात मतदाताओं ने अपना वोट डाला। नतीजतन ईडीसी सहित कुल डाले वोट हो गए 1060 यानी 82.17%।

– पश्चिम त्रिपुरा पीसी के 5-खयेरपुर विधानसभा के भाग संख्या 25 के संबंध में रिटर्निंग ऑफिसर ने बताया कि संबंधित मतदान केंद्र पर कुल मतदाता 840 थे और 734 ने वोट डाले। यहां अन्य विधानसभा क्षेत्रों से संबंधित पांच मतदाताओं ने ईडीसी के जरिए अपना वोट डाला। परिणामस्वरूप कुल वोट 739 यानी 87.97% हो गए।

– पश्चिम त्रिपुरा पीसी के 2- मोहनपुर विधानसभा के भाग संख्या 38 के संबंध में रिटर्निंग ऑफिसर ने बताया कि मतदान केंद्र 2/38 (फकीरामुरा जेबी स्कूल, साउथ विंग) है। वहां स्ट्रांग रूम में तैनात कर्मचारियों और एआरओ सहित सभी आरक्षित मतदान कर्मियों ने ईडीसी के माध्यम से अपना वोट डाला। इस वजह से मतदान प्रतिशत 108.84% हो गया। यहां कुल मतदाता 452 थे तथा 429 ने मतदान किया। इसके अलावा 63 मतदाताओं ने ईडीसी से अपना वोट डाला। इसस कुल वोट 492 हो गए।

एक पोस्ट का जवाब देते हुए त्रिपुरा के चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर के आधिकारिक एक्स हैंडल से पोस्ट का जवाब (आर्काइव लिंक) देते हुए इसे भ्रामक बताया गया। इसमें लिखा है कि पश्चिम त्रिपुरा संसदीय क्षेत्र के भीतर कुछ मतदान केंद्रों पर बड़ी संख्या में चुनाव अधिकारियों ने EDC (Election Duty Certificate) के तहत मतदान किया है, जिस कारण मतदान प्रतिशत 100% से अधिक आया। इसमें यह भी लिखा है कि ईडीसी चुनाव अधिकारियों को उनके संसदीय क्षेत्र में किसी भी पोलिंग बूथ पर वोट करने का हक देता है।

पोस्ट में 23 अप्रैल को जारी की गई प्रेस रिलीज को भी शेयर किया गया है। इसमें वोटों की संख्या और ईडीसी के वोट के बारे में भी जानकारी दी गई है।

वेस्ट त्रिपुरा के डीएम के एक्स हैंडल से भी इस बारे में 24 अप्रैल को पोस्ट (आर्काइव लिंक) की गई है। इसमें कुछ अखबारों में छपी खबर की कटिंग को पोस्ट करते हुए कहा गया है कि ईडीसी का इस्तेमाल कर मतदान कर्मियों ने भी इन केंद्रों पर अपना वोट डाला था, जिस वजह से यहां मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। ईवीएम में कोई गड़बड़ी नहीं है।

27 मार्च को लाइव हिन्दुस्तान में छपी खबर के अनुसार, चुनाव में लगे कर्मी इलेक्शन ड्यूटी सर्टिफिकेट दिखाकर अपना वोट डाल सकेंगे। जिसका नाम वोटर लिस्ट में दर्ज है लेकिन वह चुनावी ड्यूटी में लगे होने के कारण अपना वोट डालने में असमर्थ है, वह अपना निर्वाचन ड्यूटी प्रमाण पत्र दिखाकर मतपत्र मांग सकते हैं और वोट डाल सकते हैं।

इस बारे में वेस्ट त्रिपुरा के डीएम डॉ. विशाल कुमार का कहना है कि ईडीसी वोट के कारण वहां मतदान प्रतिशत बढ़ा था। मतदान केंद्रों में मतदान कर्मियों ने भी अपने मत का इस्तेमाल किया है। उन्होंने हमारे साथ प्रेस रिलीज को भी शेयर किया, जिसमें वोटों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।

त्रिपुरा के मतदान फीसदी को लेकर पोस्ट करने वाले फेसबुक यूजर की प्रोफाइल को हमने स्कैन किया। दरभंगा में रहने वाले यूजर एक राजनीतिक दल की विचारधारा से प्रभावित हैं।

निष्कर्ष: वेस्ट त्रिपुरा के कुछ मतदान केंद्रों पर चुनाव अधिकारियों ने इलेक्शन ड्यूटी सर्टिफिकेट की मदद से अपना वोट डाला था। इस कारण वहां के मतदाताओं और चुनाव अधिकारियों का कुल वोट प्रतिशत मिलाकर 100 से अधिक हो गया था।

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