राजस्थान सरकार के कानून में संशोधन करके मस्जिद या मदरसे के स्टाफ से दुर्व्यवहार करने पर तीन साल की सजा का दावा फेक है। राजस्थान पुलिस और मुख्यमंत्री के ओएसडी भी इस दावे को फेक बता चुके हैं।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सोशल मीडिया पर भी इसका असर दिखने लगा है। विश्वास न्यूज पहले भी ऐसी कुछ भ्रामक व फर्जी पोस्ट की पड़ताल कर चुका है। अब सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर की जा रही है। इसमें दावा किया जा रहा है कि राजस्थान सरकार ने नया कानून बनाया है, जिसके तहत मस्जिद या मदरसा के स्टाफ से दुर्व्यवहार करने, उसकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, कार्य में बाधा पहुंचाने और उसके सदस्य को डराने-धमकाने पर तीन साल की सजा हो सकती है। IPC की धारा 427 एवं 2/3 लोक सपंत्ति अधिनियम 1985 के तहत ये सब अब गैर जमानती अपराध हैं।
विश्वास न्यूज ने जब इसकी पड़ताल की तो पता चला कि वायरल दावा फेक है। राजस्थान पुलिस और राजस्थान के मुख्यमंत्री के ओएसडी भी इस दावे को फर्जी बता चुके हैं।
विश्वास न्यूज के वॉट्सऐप टिपलाइन नंबर +91 9599299372 पर यूजर ने इस पोस्ट को भेजकर इनकी सच्चाई बताने का अनुरोध किया है।
फेसबुक यूजर ‘सीपी भक्ता‘ (आर्काइव लिंक) ने 4 सितंबर को तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा,
“राजस्थान सरकार का फतवा जारी,आपके घर के सामने बनाया जा सकता है दरगाह मजार,इसलिए बन जाओ शांति दूत,नही तो गाडी कहां पार्क करोगे ।“
तस्वीर पर लिखा है,
महत्वपूर्ण सूचना
IPC की धारा 427 एवं 2/3 लोक सम्पत्ति अधिनियम 1985 के तहत तीन वर्ष की कैद (सजा) हो सकती है
मस्जिद / मदरसा के स्टाफ से दुर्व्यवहार करने पर
मस्जिद / मदरसा की सम्पत्ति को नुकसान पहुँचाने पर।
मस्जिद / मदरसा व स्टाफ के कार्यों में बाधा पहुँचाने पर।
मस्जिद / मदरसा के किसी भी सदस्य को डराने व धमकाने पर।
यह सब अब गैर जमानती अपराध है ।
वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने सबसे पहले कीवर्ड से गूगल पर इस बारे में सर्च किया। 2 सितंबर 2021 को इस बारे में नवभारत टाइम्स में खबर छपी है। इसमें लिखा है, “अशोक गहलोत सरकार को लेकर राजस्थान में एक मैसेज सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इसमें कानून में संशोधन की बात कही गई। दावा किया गया कि इसके तहत किसी मस्जिद या मदरसे के कर्मचारियों से दुर्व्यवहार करने पर या उन्हें नुकसान पहुंचाने या बाधा डालने पर तीन साल के कारावास की सजा हो सकती है। राजस्थान पुलिस ने इसे फर्जी बताया है। पुलिस ने यह भी चेतावनी दी है कि इस तरह की गलत सूचना फैलाने वाले पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। मुख्यमंत्री के विशेषाधिकारी लोकेश शर्मा ने भी इसे फर्जी बताया है।”
सर्च में हमें राजस्थान पुलिस के आधिकारिक एक्स हैंडल पर पुरानी पोस्ट मिली। 1 सितंबर 2021 (आर्काइव लिंक) की गई इस पोस्ट में कहा गया है कि कुछ समय से जनता को गुमराह करने वाला एक मैसेज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जो झूठा व भ्रामक है। साथ में पुलिस ने यह भी हिदायत दी है कि ऐसे मैसेज को फॉरवर्ड करने वाले यूजर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
31 अगस्त 2021 (आर्काइव लिंक) को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा ने भी एक्स पर पोस्ट कर इस दावे को फर्जी बताया है।
इससे पहले भी यह पोस्ट वायरल हो चुकी है। विश्वास न्यूज ने उस समय सीएम अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश शर्मा से बात की थी। उन्होंने इसे फेक करार दिया था।
इसके बाद हमने IPC की धारा 427 के बारे में गूगल पर सर्च किया। द इंडियन कॉन्स्टीट्यूशन की वेबसाइट पर छपी जानकारी के अनुसार, “कोई भी व्यक्ति अगर किसी का 50 रुपये का नुकसान करता है, तो उसको दो साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकता है। यह एक जमानती अपराध है।” मतलब पोस्ट में दी गई आईपीसी की धारा 427 के बारे में भी गलत जानकारी दी गई है। इसमें जमानत का प्रावधान है।
2/3 लोक संपत्ति अधिनियम 1985 के बारे में भी हमने सर्च किया। इसमें पता चला कि लोक संपत्ति अधिनियम 1984 है। यूपी पुलिस की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले को पांच साल की सजा या जुर्माना और दोनों हो सकता है। इसमें जमानत का प्रावधान है।
इस बारे में अधिक जानकारी के लिए हमने राजस्थान में दैनिक जागरण के ब्यूरो हेड नरेंद्र शर्मा से बात की। उनका कहना है, “यह पोस्ट पहले भी वायरल हो चुकी है। राजस्थान पुलिस ने इसे पहले भी फर्जी बताया था। ऐसा कुछ भी नहीं है।“
अंत में हमने गलत पोस्ट करने वाले फेसबुक यूजर की प्रोफाइल को स्कैन किया। यूजर के करीब 4200 फ्रेंड्स हैं।
निष्कर्ष: राजस्थान सरकार के कानून में संशोधन करके मस्जिद या मदरसे के स्टाफ से दुर्व्यवहार करने पर तीन साल की सजा का दावा फेक है। राजस्थान पुलिस और मुख्यमंत्री के ओएसडी भी इस दावे को फेक बता चुके हैं।
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