Fact Check : कतर में आठ भारतीयों की मौत की सजा रद्द करने का दावा गलत, कोर्ट ने अपील मंजूर की है अभी

कतर की अदालत ने जासूसी का आरोप लगाते हुए आठ भारतीयों को फांसी की सजा सुनाई थी। अब कोर्ट ने सजा के खिलाफ की गई भारत की अपील को मंजूर कर लिया है। हालांकि, अभी उनकी सजा माफ करने का दावा गलत है।

Fact Check : कतर में आठ भारतीयों की मौत की सजा रद्द करने का दावा गलत, कोर्ट ने अपील मंजूर की है अभी

नई दिल्‍ली (विश्‍वास न्‍यूज)। कतर में फांसी की सजा पाए आठ भारतीयों को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। इसमें दावा किया जा रहा है कि कतर ने आठ लोगों की मौत की सजा रद्द करने की घोषणा की है।

विश्‍वास न्‍यूज ने अपनी जांच में पाया कि कतर कोर्ट ने पूर्व आठ नौसेना कर्मियों को दी गई सजा के खिलाफ भारत की अपील को मंजूर कर लिया है, लेकिन उनकी सजा को माफ करने का दावा गलत है।

क्या है वायरल पोस्ट

विश्‍वास न्‍यूज के टिपलाइन नंबर +91 9599299372 पर यूजर ने इस दावे को भेजकर इसकी सच्चाई जानने का अनुरोध किया।

फेसबुक यूजर ‘काँग्रेस मुक्त भारत Congress Mukt Bharat‘ (आर्काइव लिंक) ने 30 नवंबर को पीए मोदी की तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा,

झुकती है दुनियाँ… झुकाने वाला चाहिये
ब्रेकिंग न्यूज़
जब भारत में मोदीजी का शासन है तो जीना बहुत अच्छा है
कतर ने 8 लोगों की मौत की सजा रद्द करने की घोषणा की: कहा कि भारत की दोस्ती अधिक महत्वपूर्ण है…!!! @MODI-2024
BRAKING NEWS
Great to Live when ModiJi’s Rule prevails in India
Qatar announces cancellation of death sentence of 8 people : adds that India’s friendship is more important…!!! @MODI-2024
मोदी आपको कहीं से भी जिंदा और सुरक्षित ला सकता है। टनल से 41 मजदूरों को जिंदा बाहर निकालने के बाद मौत की सजा पाए 8 भारतीय भी कतर से वापिस आयेंगे।

पड़ताल

इसकी जांच के लिए हमने कीवर्ड से गूगल पर सर्च किया, लेकिन ऐसी कोई भी मीडिया रिपोर्ट नहीं, जो वायरल दावे को साबित कर सके। एनडीटीवी की वेबसाइट पर 24 नवंबर को छपी खबर में लिखा है कि कतर की कोर्ट ने भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को मौत की सजा के खिलाफ भारत की अपील स्वीकार कर ली है। उनको पिछले महीने जासूसी के एक कथित मामले में सजा सुनाई गई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, आठ लोगों को अगस्त 2022 में कतर की खुफिया एजेंसी ने जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया था। पिछले महीने कतर की अदालत ने उनके खिलाफ फैसला सुनाया। भारतीय अधिकारी उनकी रिहाई के लिए कोशिश कर रहे हैं। गिरफ्तार किए गए लोगों में कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर संजीव गुप्ता, कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ और नाविक रागेश गोपकुमार शामिल हैं। सभी का भारतीय नौसेना में 20 वर्ष तक का सर्विस रिकॉर्ड है।

30 नवंबर को वियोन में छपी वीडियो न्यूज में दिया गया है कि कतर में आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों के चल रहे मामले में दायर अपील पर आज सुनवाई होगी।

इनमें किसी में भी उनकी सजा माफ करने को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई है। इसके बाद हमने विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची का एक्स हैंडल स्कैन किया। उस पर भी ऐसी कोई जानकारी नहीं दी गई है।

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर के एक्स हैंडल पर भी वायरल दावे की पुष्टि करने वाली कोई जानकारी नहीं मिली।

इस बारे में दैनिक जागरण में अंतरराष्ट्रीय मामले देखने वाले संवाददाता जेपी रंजन का कहना है, “कतर की कोर्ट ने अभी सजा के खिलाफ अपील को मंजूर किया है। अभी सजा को रद्द नहीं किया गया है। सोशल मीडिया पर वायरल दावा गलत है।

1 दिसंबर को दैनिक जागरण की वेबसाइट पर छपी खबर के अनुसार, उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग से 17 दिन बाद 41 मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया है। एम्स ऋषिकेश में हुए हेल्थ चेकअप में सभी स्वस्थ पाए गए हैं। प्रशासन ने 40 श्रमिकों को घर जाने की मंजूरी दे दी है। वहीं, एक को बुखार की वजह से डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है।

कतर में फांसी की सजा पाए आठ भारतीयों को लेकर गलत दावा करने वाले फेसबुक यूजर की प्रोफाइल को हमने स्कैन किया। 27 सितंबर 2013 को बने इस पेज के करीब 33 हजार फॉलोअर्स हैं।

निष्कर्ष: कतर की अदालत ने जासूसी का आरोप लगाते हुए आठ भारतीयों को फांसी की सजा सुनाई थी। अब कोर्ट ने सजा के खिलाफ की गई भारत की अपील को मंजूर कर लिया है। हालांकि, अभी उनकी सजा माफ करने का दावा गलत है।

Misleading
Symbols that define nature of fake news
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