Fact Check: कोविड-19 और भ्रष्टाचार के खिलाफ नेपाली सरकार के काम से नाखुश लोगों के विरोध प्रदर्शन को गलत दावे के साथ किया जा रहा है वायरल

Fact Check: कोविड-19 और भ्रष्टाचार के खिलाफ नेपाली सरकार के काम से नाखुश लोगों के विरोध प्रदर्शन को गलत दावे के साथ किया जा रहा है वायरल

विश्वास न्यूज़ नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर आज कल एक वीडियो वायरल हो रही है, जिसमें विरोध प्रदर्शन करते हुए भारी भीड़ को देखा जा सकता है। वीडियो को यह कह कर शेयर किया जा रहा है कि नेपाली युवाओं ने चीन के समर्थन में पैरवी करने के लिए अपने प्रधानमंत्री के खिलाफ विरोध व्यक्त किया। विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा भ्रामक है। असल में यह प्रदर्शन कोरोना वायरस और भ्रष्टाचार को लेकर नेपाली सरकार के सुस्त रवैये के खिलाफ किया था।

क्या हो रहा है वायरल?

वायरल पोस्ट को ‘Banglar Mukh Banglar Mukh’ नाम के एक फेसबुक पेज ने शेयर करते हुए लिखा, (बंगाली से हिंदी में अनुवादित) “नेपाल के लोगों ने चीन की ओर से दलाली करने के लिए नेपाल के प्रधानमंत्री के खिलाफ विद्रोह शुरू कर दिया है। नेपाल के इन निवासियों का धन्यवाद। भारत और नेपाल का भाईचारा बरकरार रहे।”

पोस्‍ट का फेसबुक और आकाईव वर्जन देखें।

पड़ताल

इस पोस्ट की पड़ताल करने के लिए हमने इस वीडियो को InVid टूल पर डाला और इसके कीफ्रेम्स निकाले। अब हमने इन की-फ्रेम्स को “Protests In Nepal” कीवर्ड के साथ गूगल रिवर्स इमेज पर सर्च किया। हमें यह वीडियो Kinima TV नाम के यूट्यूब चैनल पर 11 जून को अपलोडेड मिला। वीडियो के साथ कैप्शन लिखा था, “लॉकडाउन के विरोध में काठमांडू की जनता सड़क पर उतरी।”

हमें यह वीडियो द हिमालयन टाइम्स के यूट्यूब चैनल पर भी 11 जून को अपलोडेड मिला। वीडियो के साथ कैप्शन लिखा था, “ENOUGH IS ENOUGH: Kathmandu takes to streets demanding better handling of crisis.” 

इस विरोश प्रदर्शन को लेकर हमें thehimalayantimes.com की वेबसाइट पर भी यह वीडियो अपलोडेड मिला।

हमने इस विषय में हिमालयन टाइम्स की तरफ से इन प्रोटेस्ट्स को कवर करने वाले रिपोर्टर प्रकाश सिंह से फ़ोन पर बात की। उन्होंने हमें बताया, “9 जून से 13 जून तक नेपाल के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किये गए थे, जिनमें सरकार के COVID -19 पर सुस्त रवैये और देश में बढ़ते भ्रष्टाचार पर जवाबदेही मांगी गयी थी। केपी ओली प्रशासन COVID -19 के खिलाफ लड़ाई को लेकर जनता के कटघरे में आ गयी है। सरकार का कहना है कि नेपाल में COVID-19 को लेकर लगभग 10 अरब रुपये खर्च हुए, जबकि प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इस पैसे का ठीक से उपयोग नहीं हुआ। प्रदर्शनकारियों द्वारा  COVID -19 के मरीज़ों के लिए सुविधाओं में सुधार और पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन परीक्षणों के व्यापक उपयोग की मांग की गयी थी। काठमांडू के बसंतपुर, कावरे में धूलिकेल और कीर्तिपुर में पंगा डोबेटो सहित अन्य स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किए गए थे। यह वीडियो काठमांडू के बसंतपुर में 11 जून को हुए मार्च का है। यह मार्च भी COVID -19 पर सरकार के सुस्त रवैये और भ्रष्टाचार के खिलाफ ही था। ऐसे में 13 जून को हुए प्रदर्शनों में कुछ प्रदर्शनकारियों का यह कहना ज़रूर था कि ओली सरकार बाकी मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए बॉर्डर इश्यू को बढ़ावा दे रही है। मुख्यतः यह विरोध प्रदर्शन सरकार के COVID -19 पर सुस्त रवैये और देश में बढ़ते भ्रष्टाचार के खिलाफ ही थे।” 

इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर के अनुसार, नेपाल सरकार द्वारा COVID 19 मामलों की अनदेखी पर नेपाल के लोगों ने सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया।

द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल में सरकार द्वारा COVID 19 मामलों की अनदेखी को लेकर लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

dnaindia.com की इन प्रदर्शनों पर एक खबर के अनुसार “भारत के साथ चल रहे सीमा विवाद पर नेपाली नागरिकों ने भी अपनी नाराजगी दिखाई और इसे भ्रष्टाचार के मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए एक दकियानूसी रणनीति बताया।”

इस पोस्ट को फेसबुक पर Banglar Mukh Banglar Mukh नाम के एक फेसबुक पेज ने शेयर किया था। इस पेज के फेसबुक पर 20,101 फ़ॉलोअर्स हैं।


False
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