Fact Check: राहुल गांधी के बारे में प्रवीण तोगड़िया ने नहीं दिया यह वायरल बयान

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में प्रवीण तोगड़िया के नाम से वायरल बयान फर्जी निकला। उन्‍होंने राहुल गांधी के समर्थन में ऐसा कोई बयान नहीं दिया है।

विश्‍वास न्‍यूज (नई दिल्‍ली)। विश्‍व हिंदू परिषद के पूर्व अध्‍यक्ष प्रवीण तोगड़िया के नाम पर एक बयान वायरल हो रहा है। दावा किया जा रहा है कि तोगड़िया ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के पक्ष में बयान देते हुए कहा है कि वे नरेंद्र मोदी से बेहतर प्रधानमंत्री साबित होंगे। विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में प्रवीण तोगड़िया के नाम से वायरल बयान फर्जी निकला। उन्‍होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है। इसकी पुष्टि उन्‍होंने खुद विश्‍वास न्‍यूज के साथ की है।

क्‍या हो रहा है वायरल

फेसबुक यूजर त्रिभुवन नाथ गुप्‍ता ने 11 जुलाई को एक पोस्‍ट करते हुए लिखा कि राहुल गांधी वर्तमान समय के “राजा भोज” साबित होंगे। सच ही कहा है ” कहाँ राजा भोज और कहाँ नंदू तेली”

पोस्‍ट में प्रवीण तोगड़िया की एक तस्‍वीर का इस्‍तेमाल करते हुए उनके हवाले से दावा किया गया : ‘राहुल गांधी मोदी से बेहतर प्रधानमंत्री साबित होंगे, हर सच्‍चा भारतीय राहुल गांधी को देश का अगला प्रधानमंत्री देखना चाहता है।’

फेसबुक पोस्‍ट के कंटेंट को यहां ज्‍यों का त्‍यों लिखा गया है। पोस्‍ट का आर्काइव्‍ड वर्जन यहां देखें। इसे सच मानकर दूसरे यूजर्स भी खूब शेयर कर रहे हैं।

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने सबसे पहले प्रवीण तोगड़िया के कथित बयान को लेकर किए जा रहे इस दावे की पड़ताल के इंटरनेट पर ओपन सर्च किया। अगर प्रवीण तोगड़िया ऐसा बयान देते तो यह एक बड़ी खबर होती और प्रामाणिक मीडिया हाउस इसे रिपोर्ट जरूर करते। हमें ऐसी कोई प्रामाणिक रिपोर्ट नहीं मिली, जो इस वायरल दावे की पुष्टि करती हो।

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए विश्‍वास न्‍यूज ने सीधे प्रवीण तोगड़िया से उनके मोबाइल नंबर पर संपर्क किया। हमें बताया गया कि राहुल गांधी के पक्ष में वायरल बयान पूरी तरह फेक है। ऐसा कोई भी बयान उन्‍होंने कभी नहीं दिया।

पड़ताल के अंत में हमने फर्जी पोस्‍ट करने वाले यूजर की जांच की। हमें पता चला कि फेसबुक यूजर त्रिभुवन नाथ गुप्‍ता के 4.9 हजार फ्रेंड हैं। वे खास विचारधारा से प्रभावित हैं।

निष्कर्ष: विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में प्रवीण तोगड़िया के नाम से वायरल बयान फर्जी निकला। उन्‍होंने राहुल गांधी के समर्थन में ऐसा कोई बयान नहीं दिया है।

False
Symbols that define nature of fake news
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