Fact Check: UP में पुलिसकर्मियों को 50 वर्ष में जबरन रिटायर किए जाने का दावा भ्रामक
उत्तर प्रदेश में 50 साल या उससे अधिक की उम्र के सभी सरकारी कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने के साथ वायरल हो रहा दावा भ्रामक है और सरकार की तरफ से ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है।
- By: Abhishek Parashar
- Published: Mar 15, 2022 at 05:31 PM
- Updated: Jun 1, 2022 at 10:40 AM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के चुनाव जीतने के बाद सोशल मीडिया पर वायरल मैसेज के जरिए दावा किया जा रहा है कि बीजेपी ने चुनाव जीतने के साथ ही पुलिसकर्मियों को बड़ा ‘तोहफा’ देते हुए उनकी सेवानिवृत्ति की उम्र को 60 साल से घटाकर 50 साल कर दिया है। वायरल दावे के साथ उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय की तरफ से जारी एक प्रपत्र को भी साझा किया जा रहा है।
विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा भ्रामक निकला और उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पुलिसकर्मियों को 50 वर्ष में सेवानिवृत्त करने का कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। सरकारी सेवाओं में दक्षता सुनिश्चित करने के लिए अक्षम सरकारी कर्मचारियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति हेतु स्क्रीनिंग शासनादेश के तहत प्रदेश के समस्त विभागों में की जाती है और इसमें केवल ऐसे कर्मचारियों की स्क्रीनिंग या जांच की जाती है, जिनकी आयु 50 वर्ष हो गई है और जिनकी सत्यनिष्ठा संदिग्ध है और उनका कार्य व आचरण शासन व विभागीय मानदंडों के मुताबिक नहीं है। ऐसी स्क्रीनिंग हर साल की जाती है और इसके तहत अब तक भ्रष्टाचार में लिप्त या काम में अक्षम पाए जाने वाले सैकड़ों पुलिसकर्मियों को इस प्रक्रिया के तहत जबरन रिटायर किया जा चुका है।
विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद डीजीपी मुख्यालय ने इस संबंध में की गई कार्यवाही का ब्योरा तलब किया है। एडीजी स्थापना ने 20 मार्च तक स्क्रीनिंग की कार्यवाही का ब्योरा उपलब्ध कराने का कड़ा निर्देश दिया है, जिसके बाद दागी पुलिसकर्मियों को महकमे से बाहर का रास्त दिखाने के लिए आगे की कार्यवाही होगी। इसलिए यह कहना मनगढ़ंत और बेबिनियाद है कि उत्तर प्रदेश में 50 साल से अधिक की उम्र के सभी पुलिसकर्मियों को जबरन सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी।
क्या है वायरल?
फेसबुक यूजर ‘Devendra Singh’ ने वायरल पोस्ट (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ”भाजपा ने पुलिस प्रशासन के सहयोग से चुनाव जीता और अब सरकार ने उन्हीं पुलिसकर्मियों को बहुत बड़ा तोहफा दिया है …
अब 60 साल की जगह 50 साल की उम्र में पुलिसकर्मी रिटायर होंगे !!”
कई अन्य यूजर्स ने भी इस वायरल मैसेज को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।
पड़ताल
ट्विटर पर भी कई यूजर्स ने इस पोस्ट को साझा किया है, जिसमें ऐसे ही एक पोस्ट पर यूपी पुलिस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर इस दावे का खंडन किया गया है।
13 मार्च 2022 को यूपी पुलिस की तरफ से ट्वीट कर बताया गया है कि पुलिसकर्मियों की सेवानिवृत्ति की आयु को 60 वर्ष से घटाकर 50 वर्ष किए जाने की खबर पूर्णतया भ्रामक है। बयान के मुताबिक, ‘सरकारी सेवाओं में दक्षता सुनिश्चित करने के लिए अक्षम सरकारी कर्मचारियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति हेतु स्क्रीनिंग शासनादेश संख्या 13-45-85 कार्मिक -1 दिनांक 26.10.1985 के अंतर्गत प्रदेश के समस्त विभागों में की जाती है। इस प्रक्रिया के तहत ऐसे कार्मिकों की स्क्रीनिंग की जाती है, जिनकी आयु 50 वर्ष हो गई है और उनकी सत्यनिष्ठा संदिग्ध है तथा कार्य व आचरण भी शासन व विभागीय हित के अनुकूल नहीं है।’
इसके मुताबिक, ‘उक्त शासनादेश के क्रम में ही पुलिस मुख्यालय की तरफ से ऐसी सूचना हर वर्ष मंगाई जाती है। कतिपय जनपदों या विभिन्न शाखाओं की सूचना अप्राप्त होने के कारण निर्गत शासनादेश के क्रम में ही पुलिस पुलिस मुख्यालय द्वारा सूचना मांगी गई थी, जिसका अभिप्राय समझे बिना 50 वर्ष में सेवानिवृत्ति करने की भ्रामक खबर फैलाई जा रही है। पुलिस मुख्यालय इसका खंडन करता है।’
दैनिक जागरण की वेबसाइट पर 12 मार्च 2022 को प्रकाशित खबर इसी संबंध में है। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘दागी पुलिसकर्मियों की छंटनी जल्द होगी। एडीजी स्थापना ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति की कार्यवाही को आगे बढ़ाने के लिए जिलों से ब्योरा तलब किया। एडीजी स्थापना संजय सिंघल ने ऐसे पुलिसकर्मियों का ब्योरा तलब किया है, जिन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्त प्रदान किये जाने के लिए स्क्रीनिंग कमेटी की कार्यवाही पूरी कर ली गई है। 31 मार्च, 2021 को 50 वर्ष अथवा उससे अधिक आयु पूरी करने वाले समूह ग व घ के पुलिसकर्मियों के सेवा अभिलेखों का परीक्षण कर स्क्रीनिंग की कार्यवाही का निर्देश दिया गया था।’
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘डीजीपी मुख्यालय ने ऐसे सभी प्रकरणों को स्कीनिंग की कार्यवाही नियुक्ति प्राधिकारी के माध्यम से पूरी कराकर उसका ब्योरा 30 नवंबर, 2021 तक तलब किया गया था। अब विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद डीजीपी मुख्यालय ने इस संबंध में की गई कार्यवाही का ब्योरा फिर तलब किया है। एडीजी स्थापना ने 20 मार्च तक स्क्रीनिंग की कार्यवाही का ब्योरा उपलब्ध कराने का कड़ा निर्देश दिया है। जिसके बाद दागी पुलिसकर्मियों को महकमे से बाहर का रास्ता दिखाने के लिए आगे की कार्यवाही होगी।’
अन्य कई प्रमुख न्यूज रिपोर्ट्स से भी इस खबर की पुष्टि होती है।
दैनिक जागरण के उत्तर प्रदेश के ब्यूरो हेड अजय जायसवाल ने कहा, ‘यह कोई नई प्रक्रिया नहीं है और न ही यह सभी पुलिसकर्मियों को 50 वर्ष में रिटायर किए जाने से संबंधित है। अक्षम या दागी कर्मचारियों के खिलाफ यह प्रक्रिया पिछले कई सालों से जारी है और यह सब कुछ एक स्थापित प्रक्रिया के तहत किया जाता है।’
इससे पहले भी यह शासनादेश समान भ्रामक दावे के साथ वायरल हुआ था, जिसकी पड़ताल विश्वास न्यूज ने की थी और इस रिपोर्ट को यहां क्लिक कर पढ़ा जा सकता है।
आदेश के मुताबिक, ‘सभी जिलों के एसएसपी, एसपी और पुलिस कमिश्नरों को भेजे गए पत्र में 50 साल या इससे ऊपर की उम्र के कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्ति देने के लिए स्क्रीनिंग की कार्रवाई समय और नियम के मुताबिक कराने को कहा गया है। इस पत्र में 26 अक्टूबर, 1985 से लेकर छह जुलाई, 2017 तक के कई शासनादेशों का हवाला भी दिया गया है और पहले की तरह कार्रवाई करने का आदेश दिया गया है।’
पत्र के विषय में सरकारी सेवाओं में दक्षता सुनिश्चित करने के लिए सरकारी कर्मचारियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति हेतु स्क्रीनिंग कराए जाने का निर्देश देते हुए कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार के शासनादेश संख्या 13-48-85 (दिनांक 26 अक्टूबर 1985 में जारी) में मार्गदर्शन निर्देश सहित अनिवार्य सेवानिवृत्ति हेतु गठित की जाने वाली स्क्रीनिंग कमेटियों का विस्तृत विवरण दिया गया है। पत्र के मुताबिक, पुलिस भर्ती बोर्ड, पीएसी व फायर सर्विस समेत पुलिस की सभी एजेंसियों में यह प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
यानी 31 मार्च 2021 को 50 वर्ष या इससे अधिक की आयु पूर्ण करने वाले वाले कर्मचारी के काम की समीक्षा उपरोक्त वर्णित नियमों के मुताबिक गठित समिति करेगी और फिर दागी, भ्रष्ट, अयोग्य या अनुशासन का पालन नहीं करने वाले कर्मचारियों की सूची तैयार कर कार्रवाई के लिए उसे भेजा जाएगा, जिसके बाद उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी।
आठ सितंबर 2021 को जागरण में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, ‘दरअसल, पुलिसकर्मियों के प्रदर्शन और योग्यता के लिए हर साल उनकी एसीआर बनाई जाती है। इसी के आधार पर ही छंटनी की शुरुआत होती है। उत्तर प्रदेश में कर्मचारियों की भर्ती नियमावली के नियम 56 ग के तहत कर्मचारियों की उपयुक्तता को उसका नियुक्ति अधिकारी तय करता है और एक स्क्रीनिंग कमेटी बनाकर अनुपयुक्त और अयोग्य कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति किया जाता है।’
हिन्दुस्तान टाइम्स की वेबसाइट पर 8 सितंबर 2021 को प्रकाशित रिपोर्ट (Compulsory retirement: Further screening of Uttar Pradesh cops begins after fresh order) के मुताबिक, ‘उत्तर प्रदेश में ”अक्षम, अनुशासनहीन और भ्रष्ट” पुलिस को हटाने के लिए नए सिरे से स्क्रीनिंग की शुरुआत हुई है, जिसके बाद ऐसे अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी। एडीजी संजय सिंघल ने इससे संबंधित नए आदेश को जारी कर दिया है।’
जागरण और हिन्दुस्तान टाइम्स दोनों ही रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि यह आदेश 50 वर्ष व उससे अधिक आयु के दागी, भ्रष्ट या अक्षम पुलिसकर्मियों को ही अनिवार्य सेवानिवृत्त देने के लिए स्क्रीनिंग की प्रक्रिया से संबंधित है।
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में एडीजी (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार के बयान भी है, जिसके मुताबिक यह कोई नई प्रक्रिया नहीं है, लेकिन ऐसा नियम वर्ष 1985 से मौजूद है और ऐसा अन्य विभागों और केंद्र सरकार के विभागों में होता रहा है।
सर्च में हमें कई पुराने आर्टिकल मिले, जिससे इसकी पुष्टि होती है। जागरण की वेबसाइट पर 21 सितंबर 2020 को प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, ‘मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर उत्तर प्रदेश के सरकारी विभागों में भ्रष्ट और अक्षम कर्मचारियों को चिह्नित कर उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिये जाने के कार्य में तेजी आ गई है। स्वास्थ्य विभाग के बाद अब पुलिस विभाग ने भी इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे या अक्षम पाये गए उत्तर प्रदेश पुलिस के 50 वर्ष से अधिक उम्र के पुलिसकर्मियों की स्क्रीनिंग कर उन्हें जबरन रिटायर किया जाएगा। पुलिस महानिदेशक कार्यालय ने सभी जिलों को ऐसे पुलिसकर्मियों को चिह्नित कर उनके नामों की सूची भेजने का निर्देश दिया है। पुलिस महानिदेशक कार्यालय की ओर सभी जिलों को भेजे गए दिशा निर्देश में 31 मार्च, 2020 को 50 वर्ष की उम्र पूरी करने वालों की स्क्रीनिंग करने के लिए कहा गया है। इसके लिए सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर स्तर तक की स्क्रीनिंग की जाएगी। भ्रष्टाचार में लिप्त या काम में अक्षम पाये जाने वाले पुलिसकर्मियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी। इस बाबत डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने कहा कि यह शासन की पुरानी व्यवस्था है। ऐसी स्क्रीनिंग हर साल की जाती है।’
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले वर्ष 2019 में स्क्रीनिंग की प्रक्रिया के बाद पूरे राज्य से 364 पुलिसकर्मियों को जबरन रिटायर कर दिया गया था, जिसमें 11 इंसपेक्टर, 57 सब इंस्पेक्टर, आठ सब इंस्पेक्टर (मिनिस्ट्रियल), 80 हेड कॉन्स्टेबल और 200 कॉन्स्टेबल शामिल थे। इसके अलावा पीपीएस और आईपीएस सेवा के कुछ अधिकारियों को भी वर्ष 2019 में जबरन रिटायर कर दिया गया था।
निष्कर्ष: उत्तर प्रदेश में 50 साल या उससे अधिक की उम्र के सभी सरकारी कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने के साथ वायरल हो रहा दावा भ्रामक है और सरकार की तरफ से ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है। सरकारी सेवाओं में दक्षता सुनिश्चित करने के लिए पिछले कई वर्षों से ऐसे कर्मचारियों की स्क्रीनिंग की जाती है, जिनकी उम्र 50 वर्ष हो चुकी है और जिनकी सत्यनिष्ठा संदिग्ध तथा कार्य व आचरण शासन और विभागीय मानदंडों के मुताबिक नहीं है। ऐसी स्क्रीनिंग हर साल की जाती है और इसके तहत अब तक भ्रष्टाचार में लिप्त या काम में अक्षम पाए जाने वाले सैकड़ों पुलिसकर्मियों को जबरन रिटायर भी किया जा चुका है।
- Claim Review : उत्तर प्रदेश में 60 साल की जगह 50 साल की उम्र में पुलिसकर्मी रिटायर होंगे।
- Claimed By : FB User-Devendra Singh
- Fact Check : भ्रामक
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