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Fact Check: 600 रुपये में कोरोना वायरस के इलाज के दावे के साथ वायरल पोस्ट फर्जी, आयुष मंत्रालय की चिट्ठी सर्टिफिकेट के तौर पर वायरल

नई दिल्ली (विश्वास टीम)। केंद्रीय आयुष मंत्रालय की तरफ से ‘कोरोनिल’ को इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर बेचे जाने की मंजूरी मिलने के बाद सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक पोस्ट में दावा किया जा रहा है अब मात्र 600 रुपये में कोरोना का इलाज हो सकेगा। वायरल पोस्ट में एक चिट्ठी की तस्वीर भी नजर आ रही है, जिसके आधार पर दावा किया जा रहा है कि पतंजलि को कोरोना के इलाज वाली दवा बेचने की अनुमति मिल गई है।

विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत निकला। जिस चिट्ठी के आधार पर ‘कोरोनिल’ को आयुष मंत्रालय की मंजूरी मिलने का दावा किया जा रहा है, वह वास्तव में आयुष मंत्रालय की तरफ से मांगे गए दस्तावेज को मिलने की पुष्टि है। इससे पहले भी इस चिट्ठी को आयुष मंत्रालय की तरफ से मंजूरी मिलने का सर्टिफिकेट बताकर वायरल किया गया था।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक पेज ‘Citynews Amravati’ ने वायरल पोस्ट को शेयर (आर्काइव लिंक) करते हुए लिखा है, ”सिर्फ ₹ 600 में कोरोना का इलाज ऐसी खबर आ रही और प्रमाण पत्र भी।”

सोशल मीडिया पर गलत दावे के साथ वायरल हो रही पोस्ट

पोस्ट के साथ शेयर की गई चिट्ठी की तस्वीर पर लिखा हुआ है, ”आखिरकार मिल गई पतंजिल को अनुमति। आयुष मंत्रालय ने दी अनुमति। विवाद खत्म। भारत की पहचान आयुर्वेद। अब केवल 600 रुपये में होगा कोरोना का इलाज।”

पड़ताल

23 जून को स्वामी रामदेव की दिव्य योग फॉर्मेसी ने कोरोना (वायरस) महामारी की दवा खोज निकाले जाने का दावा करते हुए दिव्य कोरोनिल टैबलेट को लॉन्च किया था। पतंजलि आयुर्वेद के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर इस लॉन्च की घोषणा की गई थी, जिसे अब हटाया जा चुका है। पतंजलि के प्रवक्ता एस के तिजारावाल ने भी अपनी ट्विटर प्रोफाइल पर इसे साझा किया था।

https://twitter.com/tijarawala/status/1275399116994969600

लाइव मिंट में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, पतजंलि ने इस किट की कीमत 545 रुपये रखी थी।

लाइव मिंट में 24 जून को प्रकाशित रिपोर्ट

हालांकि, दवा को लॉन्च किए जाने के कुछ ही घंटों बाद आयुष मंत्रालय हरकत में आया और उसने इसके प्रचार-प्रसार पर रोक लगा दी। 24 जून को ‘दैनिक जागरण’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, ‘कोरोना को ठीक करने के दावे के साथ लॉन्च की गई बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि की दवा कोरोनिल के प्रचार-प्रसार पर केंद्र सरकार ने रोक लगा दी है। सरकार ने इस दवा के लिए किए जा रहे दावों की जांच करने का फैसला किया है।’

दैनिक जागरण में 24 जून को प्रकाशित रिपोर्ट

इसके बाद आयुष मंत्रालय ने मीडिया में आई रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए कंपनी (पतंजलि) से दवा के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी थी। मंत्रालय ने कहा था कि जब तक दवा से जुड़े सभी दावों का परीक्षण नहीं कर लिया जाता है, तब तक विज्ञापन और प्रचार-प्रसार पर लगी रोक जारी रहेगी।

पतंजलि के प्रवक्ता एस के तिजारावाल ने 24 जून को ट्विटर पर दी गई जानकारी में बताया कि मंत्रालय की तरफ से मांगी गई जानकारी उन्हें मुहैया करा दी गई है और सभी दस्तावेज मंत्रालय को मिल भी गए हैं।

https://twitter.com/tijarawala/status/1275743720176902145

इसी ट्वीट में उन्होंने आयुष मंत्रालय की तरफ से 24 जून को भेजे गए ई-मेल की कॉपी को ट्वीट किया था। इसके अनुसार, मंत्रालय ने जो दस्तावेज मांगे थे, उन्हें पतंजलि ने भेज दिया है और अब इन दस्तावेजों की जांच की जाएगी। वायरल पोस्ट में इसी चिट्ठी की तस्वीर को मंजूरी ‘सर्टिफिकेट’ के तौर पर पेश किया गया है।

आयुष मंत्रालय की तरफ से पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन को भेजी गई चिट्ठी, जिसमें दस्तावेजों के मिलने की पुष्टि की गई है

पतंजलि की तरफ से दिए गए दस्तावेजों की समीक्षा किए जाने के बाद केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने कोरोनिल की बिक्री को सशर्त मंजूरी दे दी। इसे कोरोना की दवा के रूप में नहीं, बल्कि इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर ही बेचा जाएगा।

दैनिक जागरण में एक जुलाई को प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, ‘योगगुरु बाबा रामदेव की दिव्य योग फार्मेसी द्वारा तैयार दवा ‘कोरोनिल’ को केंद्रीय आयुष मंत्रलय से सशर्त हरी झंडी मिल गई है। दिव्य फार्मेसी अब इन दवाओं की ब्रिकी कर सकेगा।

दैनिक जागरण के हरिद्वार संस्करण में एक जुलाई को प्रकाशित खबर

आयुष मंत्रलय द्वारा तय शर्तो के मुताबिक, इन दवाओं की बिक्री व प्रचार-प्रसार कोरोना की दवा के रूप में नहीं किया जाएगा। न दवाओं के पैकिंग पर कोरोना का कहीं उल्लेख होगा या चित्र छापा जाएगा। राज्य औषधि नियंत्रक द्वारा जारी लाइसेंस के आधार पर ही पतंजलि इन दवाओं की बिक्री कर सकेगा। इन्हें इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर ही बेचा जाएगा।’

उत्तराखंड आयुर्वेद विभाग ने ही इस मामले में पतंजलि को नोटिस जारी किया था। विभाग के लाइसेंस अधिकारी डॉ. यतेंद्र सिंह रावत ने विश्वास न्यूज को बताया, ‘आयुष मंत्रलय के मुताबिक, ये दवाएं राज्य सरकार की तरफ से मिले लाइसेंस के आधार पर ही बेची जाएंगी और हमारी तरफ से लाइसेंस इम्यूनिटी बूस्टर के प्रोडक्ट के लिए दिया गया था।’ उन्होंने कहा, ‘कोरोना वायरस के इलाज के के नाम पर इन दवाओं की बिक्री नहीं की जा सकती है।’

दो जुलाई को इकॉनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर में भी इसका जिक्र है। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘पतंजलि की तरफ से कहा गया है कि उसने कभी भी कोरोना वायरस के इलाज का दावा नहीं किया। आयुष मंत्रालय ने कोरोनिल को इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर बेचने की इजाजत दी है।’

दो जुलाई को इकॉनमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक फिलहाल ऐसी कोई दवा उपलब्ध नहीं है, जिससे इस वायरस के संक्रमण को ठीक किया जा सकता है। हालांकि, दवा खोजे जाने को लेकर दुनिया के अलग-अलग देशों में शोध और परीक्षण जारी है।

निष्कर्ष: मात्र 600 रुपये में कोरोना वायरस के इलाज के दावे के साथ वायरल हो रहा पोस्ट गलत है। वायरल पोस्ट में जिस चिट्ठी के आधार पर पतजंलि की दवा (कोरोनिल) को आयुष मंत्रालय से मंजूरी मिलने की बात की जा रही है, वह पतंजलि की तरफ से मंत्रालय को भेजे गए दस्तावेज की पुष्टि है। आयुष मंत्रालय ने स्वामी रामदेव की दिव्य योग फार्मेसी द्वारा तैयार दवा ‘कोरोनिल’ को कोरोना की दवा के रूप में नहीं बल्कि इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर बेचे जाने की मंजूरी दी है।

Disclaimer: विश्वास न्यूज की कोरोना वायरस (COVID-19) से जुड़ी फैक्ट चेक स्टोरी को पढ़ते या उसे शेयर करते वक्त आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि जिन आंकड़ों या रिसर्च संबंधी डेटा का इस्तेमाल किया गया है, वह परिवर्तनीय है। परिवर्तनीय इसलिए क्योंकि इस महामारी से जुड़े आंकड़ें (संक्रमित और ठीक होने वाले मरीजों की संख्या, इससे होने वाली मौतों की संख्या ) में लगातार बदलाव हो रहा है। इसके साथ ही इस बीमारी का वैक्सीन खोजे जाने की दिशा में चल रहे रिसर्च के ठोस परिणाम आने बाकी हैं, और इस वजह से इलाज और बचाव को लेकर उपलब्ध आंकड़ों में भी बदलाव हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि स्टोरी में इस्तेमाल किए गए डेटा को उसकी तारीख के संदर्भ में देखा जाए।

  • Claim Review : 600 रुपये में कोरोना वायस के इलाज के दवा को मिल गई आयुष मंत्रालय की अनुमति
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