नई शिक्षा नीति में स्कूली और ऊच्च शिक्षा में भी कई सुधारों का जिक्र है, लेकिन 10वीं बोर्ड को खत्म करने का कहीं भी जिक्र नहीं है और न ही सरकार ने ऐसा कोई आदेश जारी किया है। नई शिक्षा नीति के तहत 10वीं बोर्ड की परीक्षा को खत्म किए जाने का दावा गलत है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। देश में नई शिक्षा नीति को लागू किए जाने की प्रक्रिया के बीच सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक मैसेज में दावा किया जा रहा है एम फिल की डिग्री के बाद अब नई नीति के तहत अब 10वीं बोर्ड की परीक्षा को खत्म कर दिया गया है।
विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा भ्रामक और गुमराह करने वाला निकला। नई शिक्षा नीति 2020 के तहत स्कूली और उच्च शिक्षा के संबंध में कई सुधारों का जिक्र किया गया है, जिसमें डिग्री पाठ्यक्रमों में मल्टीपल एग्जिट और एंट्री के साथ एम फिल कार्यक्रमों को बंद किया जाना शामिल है, लेकिन नई शिक्षा नीति में कहीं भी कक्षा 10वीं के लिए बोर्ड की परीक्षा को बंद किए जाने का जिक्र या प्रस्ताव नहीं है। शिक्षा मंत्रालय की तरफ से ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है।
फेसबुक यूजर ‘Ajeet Ydv Ajeet’ ने वायरल वीडियो (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ”10वीं बोर्ड खत्म, M Phil भी होगा बंद,
नई शिक्षा नीति को केंद्रीय कैबिनेट ने दी मंजूरी। राम मंदिर ज़िंदाबाद।”
कई अन्य यूजर्स ने इस मैसेज को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।
10वीं बोर्ड को खत्म किए जाने का फैसला अपने आप में बड़ी खबर होती लेकिन न्यूज सर्च में हमें ऐसी कोई खबर नहीं मिली, जिसमें इसे बंद किए जाने का जिक्र हो। सर्च में हमें कई ऐसे न्यूज आर्टिकल मिले, जिसमें यूजीसी यानी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के 2022 के नए नियमन का जिक्र है और इसके मुताबिक यूजीसी ने इस साल से एमफिल की डिग्री को खत्म करने का फैसला लिया है। इससे पहले यूजीसी ने कहा था कि अब विश्वविद्यालयों में पढ़ाने के लिए पीएचडी अनिवार्य नहीं है।
संशोधित प्रस्तावित नियमन के मुताबिक अब चार सालों के चार वर्षी यूजी डिग्री धारी न्यूनतम 7.5 सीजीपीए के साथ पीएचडी कार्यक्रम में दाखिला ले सकेंगे। यूजीसी (मिनिमम स्टैंडर्ड्स एंड प्रॉसेड्योर ऑफ अवार्ड ऑफ पीएचडी) रेग्युलेशंस, 2022 को 10 मार्च को आयोजित आयोग के 556वें बैठक में मंजूरी दे दी गई है और इसे यूजीसी की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है।
वायरल पोस्ट में नई शिक्षा नीति का हवाला दिया गया है। इसलिए हमने नई शिक्षा नीति को खंगाला। नई शिक्षा नीति (NEP) में इस बात का साफ-साफ उल्लेख है, ‘ग्रेड 10 और 12 के लिए बोर्ड परीक्षाएं जारी रहेंगी लेकिन मौजूदा बोर्ड और प्रवेश परीक्षाओं को इस तरह से सुधारा जाएगा ताकि कोचिंग क्लासेज पर छात्रों की निर्भरता को खत्म किया जा सके।’
इसके साथ ही छात्रों को एक स्कूली वर्ष के दौरान दो बार बोर्ड परीक्षा में बैठने का विकल्प मिलेगा। पहली मुख्य परीक्षा और जरूरत होने पर सुधार के लिए दूसरी परीक्षा।
गौरतलब है कि जुलाई 2020 में केंद्र सरकार ने नई शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दी थी, जो 1986 की शिक्षा नीति की जगह लेगा। नई नीति के तहत स्कूली और ऊच्च शिक्षा के क्षेत्र में कई सुधार प्रस्तावित हैं, जिसमें डिग्री पाठ्यक्रम के दौरान मल्टीपल एंट्री और एग्जिट, विश्वविद्यालयों के लिए कॉमन प्रवेश परीक्षा, ऊच्च शिक्षण संस्थानों के लिए एकल नियामकीय व्यवस्था और एम फिल कार्यक्रमों को खत्म किए जाना शामिल है।
इन्हीं सुधारों को एक-एक कर लागू किया जा रहा है और न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक अब देश के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अंडर ग्रैजुएट पाठ्यक्रमों में छात्रों का दाखिला कट ऑफ के आधार पर नहीं बल्कि कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेस टेस्ट (सीयूईटी) के आधार पर होगा। यूजीसी ने इसके साथ अन्य कई फैसले भी लिए हैं, जिसमें एम फिल कार्यक्रमों को खत्म किया जाना भी शामिल है।
अधिक पुष्टि के लिए हमने न्यूज एजेंसी भाषा में शिक्षा मामलों की रिपोर्टिंग करने वाले दीपक रंजन से संपर्क किया। उन्होंने कहा, ‘नई शिक्षा नीति में 10+2 की बजाए 5+3+3+4 फॉर्मूले को फॉलो किया जाएगा, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि बोर्ड की परीक्षाओं को खत्म कर दिया गया है।’ नई शिक्षा नीति में दी गई जानकारी से इस दावे की पुष्टि होती है।
वायरल दावे को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर को फेसबुक पर 800 से अधिक लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: नई शिक्षा नीति 2020 में प्रस्तावित सुधारों को एक एक कर लागू किया जा रहा है और इसी के तहत अब देश के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए कॉमन प्रवेश परीक्षा और एम फिल कार्यक्रमों को समाप्त करने का फैसला लिया गया है। इस नीति में स्कूली और ऊच्च शिक्षा में भी कई सुधारों का जिक्र है, लेकिन 10वीं बोर्ड को खत्म करने का कहीं भी जिक्र नहीं है और न ही सरकार ने ऐसा कोई आदेश जारी किया है। नई शिक्षा नीति के तहत 10वीं बोर्ड की परीक्षा को खत्म किए जाने का दावा गलत है।
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