पीएफ और पेंशन खाते में जमा 20 हजार करोड़ रुपये के डूब जाने के दावे के साथ वायरल हो रही खबर पुरानी है। यह खबर आईएलएंडएफएस संकट के सामने आने के समय से संबंधित है, जिसे हाल का बताकर शेयर किया जा रहा है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। केंद्र सरकार की तरफ से नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन की घोषणा किए जाने के बाद सोशल मीडिया पर वायरल एक पोस्ट के हवाले से दावा किया जा रहा है पीएफ पेंशन खाते में जमा लोगों के 20 हजार करोड़ रुपये डूब सकते हैं। वायरल पोस्ट में किसी हिंदी अखबार की खबर के हवाले से ऐसा दावा किया जा रहा है। पोस्ट को शेयर किए जाने की तारीख से ऐसा लग रहा है कि यह खबर हाल की है।
विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा भ्रामक और गुमराह करने वाला निकला। वायरल पोस्ट में इस्तेमाल किए गए अखबार की खबर करीब ढ़ाई साल पुरानी (आईएलएंडएफएस संकट की शुरुआत से संबंधित) है, जिसे हाल का बताकर भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है।
फेसबुक यूजर ‘Veeru Ji’ ने वायरल पोस्ट (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ”पूरा देश ही डूबने वाला है,, टाइटेनिक की तरह।”
पड़ताल किए जाने तक इस पोस्ट को करीब 900 लोग शेयर कर चुके हैं। सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफॉर्म पर कई अन्य यूजर्स ने इस तस्वीर को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।
वायरल पोस्ट में किसी हिंदी अखबार में छपी खबर की तस्वीर लगी हुई है, जिसकी हेडलाइन इस प्रकार है, ‘डूब सकते हैं पीएफ पेंशन खाते में जमा 20 हजार करोड़ रुपये। दिवालिया होने की कगार पर कंपनियां जिसमें लगा है पैसा।’ खबर में दी गई जानकारी के मुताबिक, आईएलएंडएफएस समूह की कंपनियों के दीवालिया होने की वजह से ऐसा हो सकता है।
26 अगस्त को शेयर किए गए इस पोस्ट से इसके हाल की खबर होने का भान होता है। हालांकि, न्यूज सर्च में हमें हाल की ऐसी कोई खबर नहीं मिली। सर्च में हमें ऐसी कई पुरानी खबरें जरूर मिली, जो वायरल पोस्ट से हूबहू मेल खाती है। 16 जनवरी 2019 को ‘इकॉनमिक टाइम्स’ में प्रकाशित खबर के मुताबिक, ‘91,000 करोड़ रुपये के कर्ज से दबी इन्फ्रास्ट्र्क्चर लीजिंग एंड फाइनैंशियल सर्विसेज आईएलएंडएफएस संकट की वजह से पेंशन फंड के 20,000 करोड़ रुपये के निवेश पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।’ रिपोर्ट के मुताबिक, ‘प्रॉविडेंट फंड और पेंशन फंड्स ने आईएलएंडएफएस ग्रुप और इसकी सहायक कंपनियों में 15,000-20,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है।’
यही खबर हमें 17 जनवरी को ‘बिजनस स्टैंडर्ड’ की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट में भी मिली और यह खबर ‘इकॉनमिक टाइम्स’ की रिपोर्ट के हवाले से लिखी गई है।
वायरल पोस्ट में नजर आ रही खबर के आधार पर की-वर्ड्स से सर्च करने पर हमें ‘अमर उजाला’ की वेबसाइट पर 16 जनवरी को प्रकाशित खबर मिली, जिसकी हेडलाइन और सब हेडलाइन वायरल पोस्ट से मेल खाती है और इस खबर को भी ‘इकॉनमिक टाइम्स’ की रिपोर्ट के हवाले से लिखा गया है। सभी जगह यह खबर इकॉनमिक टाइम्स की रिपोर्ट के हवाले से ही लिखी गई है, जो 16 जनवरी 2019 को प्रकाशित हुई थी।
अब तक की जांच से यह स्पष्ट है कि वायरल पोस्ट में इस्तेमाल की गई खबर हाल की नहीं, बल्कि ढ़ाई साल पुरानी है, जब आईएलएंडएफएस संकट सामने आया था। विश्वास न्यूज हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं करता है कि वायरल हो रही तस्वीर किस अखबार की है
आईएलएंडएफएस कर्ज संकट सामने आने के बाद सरकार कंपनी का प्रबंधन अपने हाथों में लेना चाहती थी और इसी मांग के साथ कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री ने नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की मुंबई पीठ का दरवाजा खटखटाया था और फिर पीठ ने कॉरपोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री को संकटग्रस्ती इन्फ्रास्ट्रसक्चीर लीजिंग एंड फाइनैंस सर्विसेज लिमिटेड (आईएलएंडएफएस) के बोर्ड को भंग करने की अनुमति दे दी थी।
‘बार एंड बेंच’ की रिपोर्ट के मुताबिक, एक अक्टूबर 2018 को एनएसीएलएटी ने कंपनी अधिनियम की धारा 242, 242, 246 r/w 339 का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार की उस याचिका को मंजूर कर लिया, जिसके तहत मौजूदा बोर्ड को भंग कर उसकी जगह नए बोर्ड के गठन की मांग की गई थी। कोर्ट ने रिजॉल्यूशन की प्रक्रिया पूरी होने तक यथास्थिति रिपोर्ट को जमा करने का भी आदेश दिया।
13 जुलाई 2019 को ‘मिंट’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, एनसीएलएटी ने आईएलएंडएफएस समूह की कंपनियों की तरफ से किए जाने वाले पुनर्भुगतान के मामले में पेंशन और प्रोविडेंट फंड को प्राथमिकता दिए जाने की बात कही थी। चाहे वह ‘ ग्रीन’, ‘अंबर’ या ‘रेड’ किसी भी श्रेणी में शामिल क्यों न हों।
आईएलएंडएफएस संकट सामने आने के बाद गठित नए बोर्ड ने समूह की कंपनियों को तीन श्रेणियों, ‘ग्रीन’, ‘अंबर’ और ‘रेड’ में वर्गीकृत किया था। कर्ज भुगतान में सक्षम कंपनियों को ग्रीन कैटेगरी में रखा गया था, जबकि अंबर कैटेगरी में उन कंपनियों को रखा गया था, जो केवल सुरक्षित वित्तीय कर्जदारों के परिचालन भुगतान दायित्वों को पूरा कर सकती थी और रेड श्रेणी में उन कंपनियों को रखा गया था, जो किसी भी तरह के भुगतान दायित्वों को पूरा नहीं कर सकती थीं।
16 जनवरी 2020 को ‘बिजनस स्टैंडर्ड’ की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, ‘एनसीएलएटी ने कहा कि वह कर्जदारों के बीच आईएलएंडएफएस समूह की कंपनियों से होने वाली आमदनी के बंटवारे का फॉर्मूला मुहैया कराएगी, ताकि सभी कर्जदारों समेत सभी हितधारकों के हितों को संतुलित किया जा सके।’ बेंच ने कहा, ‘हमारे पास वितरण के लिए एक फॉर्मूला होना चाहिए।’
साफ शब्दों में समझा जाए तो संकटग्रस्त कंपनियों को संकट से निकालने और कर्ज संकट को सुलझाने के लिए उपरोक्त वर्णित कैटेगरी के आधार पर रिस्ट्र्क्चरिंग, रिजॉल्यूशन और लिक्विडेशन की प्रक्रिया अपनाई जा रही है और इससे होने वाली रिकवरी की राशि को एक तय फॉर्मूले के तहत कर्जदारों, निवेशकों आदि अन्य हितधारकों के बीच वितरित किया जाना है।
विश्वास न्यूज ने इस मामले को लेकर आईएलएंडएफएस के कॉरपोरेट कम्युनिकेशन के प्रमुख शरद गोयल से संपर्क किया। उन्होंने कहा, ‘नैशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने जिस फॉर्मूले को मंजूरी दी है, उसी के तहत रिकवरी की राशि का हितधारकों के बीच वितरण किया जाना है।’
आईएलएंडएफएस की वेबसाइट पर 15 जुलाई 2021 को दी गई जानकारी के मुताबिक, ‘आईएलएंडएफएस को मार्च 2022 तक 58,000 करोड़ रुपये (अनुमानित कर्ज वसूली लक्ष्य का 95%) के समाधान की उम्मीद है। इस साल अप्रैल महीने में ग्रुप ने सितंबर 2021 के बाद कर्ज रिकवरी के लक्ष्य को बढ़ाकर 61,000 करोड़ रुपये कर दिया था। अक्टूबर 2018 तक समूह पर कुल 99,000 करोड़ रुपये का कर्ज था। 31 मई 2021 तक 43,600 करोड़ रुपये (अनुमानित रिकवरी का 44 फीसदी) का समाधान किया जा चुका है।’
गौरतलब है कि आईएलएंडएफएस बोर्ड की तरफ से रिकवरी लक्ष्य को लगातार बढ़ाया जा रहा है। बिजनस स्टैंडर्ड में प्रकाशित न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक इससे पहले यह लक्ष्य 56,000 करोड़ रुपये का था, जिसे अब बढ़ाकर 61,000 करोड़ रुपये किया जा चुका है।
वायरल पोस्ट को भ्रामक दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर ने अपनी प्रोफाइल में स्वयं को इंदौर का रहने वाला बताया है। उनकी प्रोफाइल को करीब 19 हजार से अधिक लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: पीएफ और पेंशन खाते में जमा 20 हजार करोड़ रुपये के डूब जाने के दावे के साथ वायरल हो रही खबर पुरानी है, जिसे हाल का बताकर भ्रामक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है। यह खबर आईएलएंडएफएस संकट के सामने आने के समय से संबंधित है, जिस पर अक्टूबर 2018 तक कुल 99,000 करोड़ रुपये का कर्ज था। 31 मई 2021 तक समूह 43,600 करोड़ रुपये का समाधान कर चुका है, जो अनुमानित रिकवरी लक्ष्य का 44 फीसदी है।
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