Fact Check: नोबेल विजेता प्रोफेसर तासुकु होंजो के नाम से कोरोना वायरस को लैब में तैयार किए जाने के दावे के साथ वायरल हो रहा मैसेज फेक
- By: Abhishek Parashar
- Published: Nov 16, 2020 at 05:42 PM
- Updated: Mar 10, 2022 at 04:07 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। COVID-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक मैसेज में दावा किया गया है कि यह वायरस प्राकृतिक नहीं, बल्कि मानव निर्मित है। कोरोना वायरस संक्रमण के शुरुआती समय से इस वायरस को लेकर कई तरह की अफवाहें सक्रिय रही हैं, जिसमें सर्वाधिक प्रमुख इस वायरस की उत्पत्ति को लेकर किया जाने वाला दावा रहा है, जो इसके पीछे किसी साजिश के सिद्धांत की तरफ इशारा करता है। वायरल हो रहा मैसेज इसी दावे पर आधारित है और पहले भी यह सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है।
विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा पूरी तरह से फर्जी और मनगढ़ंत निकला। जापान के मशहूर प्रोफेसर और नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. तासुकु होंजो के नाम से कोरोना वायरस को कृत्रिम रूप से तैयार किए जाने के दावे के साथ वायरल हो रहा मैसेज पूरी तरह से मनगढ़ंत है।
क्या है वायरल पोस्ट में ?
इससे पहले भी यह पोस्ट समान दावे के साथ सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर वायरल हो चुका है। अप्रैल महीने के दौरान फेसबुक पर कई यूजर्स (आर्काइव लिंक)ने इस पोस्ट को समान दावे के साथ शेयर किया था।
वायरल पोस्ट में प्राथमिक तौर पर दो दावे किए गए हैं।
पहला दावा
जापान के एक प्रोफेसर डॉ. तासुकु होंजो के हवाले से किया गया है। इसके मुताबिक, ”कोरोना वायरस प्राकृतिक वायरस नहीं है, क्योंकि ऐसा होने की स्थिति में पूरी दुनिया इससे एक समान ढंग से प्रभावित नहीं होती। मैसेज में दावा किया गया है कि अगर यह वायरस प्राकृतिक होता तो केवल उन्हीं देशों में फैलता, जहां का तापमान चीन के समान होता, क्योंकि सभी देशों के तापमान अलग-अलग होते हैं। अगर यह वायरस प्राकृतिक होता तो यह ठंडे प्रदेश में फैलता, लेकिन गर्म प्रदेश में मर जाता। मैंने जानवरों और वायरस पर करीब 40 सालों तक शोध किया है और मैं कह सकता हूं कि यह वायरस प्राकृतिक नहीं है। इसे बनाया गया है और यह पूरी तरह से कृत्रिम है।”
दूसरा दावा
यह भी प्रोफेसर डॉ. तासुकु होंजे के हवाले से किया गया है, जिसमें कहा गया है, ”मैंने चीन के वुहान प्रयोगशाला में चार सालों तक काम किया है। मैं वहां काम कर रहे सभी लोगों को जानता हूं। मैंने कोरोना हादसे के बाद उनसे बात की, लेकिन उन सभी के फोन तीन महीनों से बंद हैं। समझा जा सकता है कि प्रयोगशाला में काम करने वाले सभी लोग मर चुके हैं।”
पड़ताल
‘Dr Tasuku Honjo’ कीवर्ड के सर्च रिजल्ट में www.nobelprize.org की वेबसाइट पर डॉ. तासुकु होंजो का प्रोफाइल मिला, जिसमें दी गई जानकारी के मुताबिक, उन्हें वर्ष 2018 में मेडिसिन के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करने की वजह से नोबेल पुरस्कार मिला था। उन्हें और जेम्स पी एलिसन को यह पुरस्कार संयुक्त रूप से दिया गया था।
प्रोफेसर होंजो का जन्म जापान के क्योटो में 27 जनवरी 1942 को हुआ था और पुरस्कार से सम्मानित किए जाने के दौरान वह क्योटो यूनिवर्सिटी में काम कर रहे थे।
सर्च में क्योटो यूनिवर्सिटी की तरफ से जारी किया उनका बयान भी मिला, जिसमें इन दावों का खंडन किया गया है। 27 अप्रैल 2020 को प्रोफेसर होंजो की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, ‘COVID-19 की वजह से हुए आर्थिक नुकसान और वैश्विक समुदाय की तकलीफ के बीच मुझे यह जानकर काफी निराशा हुई है कि मेरा और क्योटो यूनिवर्सिटी के नाम का इस्तेमाल गलत आरोप और अफवाहों को फैलाने में किया गया है।’
उनके पूरे बयान को यहां पढ़ा जा सकता है।
दूसरा दावा
इसके मुताबिक, प्रोफेसर होंजो ने चीन की वुहान प्रयोगशाला में करीब चार सालों तक काम किया है।
क्योटो यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर हमें उनकी प्रोफाइल मिली, जिसमें उनके अब तक के पेशेवर कार्यकाल का विस्तार से विवरण दिया हुआ है। इस प्रोफाइल में 1966 से लेकर अब तक के उनके करियर के बारे में जानकारी दी गई है और इसके मुताबिक, उन्होंने कभी भी वुहान लैब में काम नहीं किया।
प्रोफेसर होंजो फिलहाल क्योटो यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट फॉर एडवांस्ड स्टडी में डिप्टी डायरेक्टर के तौर पर पदस्थापित हैं। उनकी बायोग्राफी में उनके काम का भी विवरण है और इसके मुताबिक, प्रोफेसर होंजो ने कभी भी कोरोना वायरस या उसके संक्रमण पर कोई काम नहीं किया है।
यानी प्रोफेसर होंजो के नाम से कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर किया गया दावा पूरी तरह से फर्जी है। हालांकि, विश्वास न्यूज वायरल पोस्ट में कोरोना वायरस की उत्पत्ति और उसके प्रसार को लेकर किए गए दावे का सत्यापन नहीं करता है, लेकिन ये दावे प्रोफेसर होंजो की तरफ से नहीं किए गए है, इसका सत्यापन करता है।
जापान की फैक्ट चेकिंग वेबसाइट infact.press ने भी प्रोफेसर होंजो के नाम से वायरल हुए मैसेज का फैक्ट चेक किया है, जिसकी रिपोर्ट को यहां पढ़ा जा सकता है।
गौरतलब है कि दुनिया के कई देश अब आधिकारिक रूप से COVID-19 वायरस के कम्युनिटी ट्रांसमिशन के स्टेज में प्रवेश कर चुके हैं। माना जा रहा है कि इस साल के अंत तक वैक्सीन को लेकर ठोस नतीजे सामने आ सकते हैं। WHO के मुताबिक, COVID-19 से सर्वाधिक संक्रमित पांच देशों में अमेरिका, भारत, ब्राजील, रूस और फ्रांस शामिल है। इनमें अमेरिका, ब्राजील औऱ फ्रांस में वायरस का संक्रमण कम्युनिटी स्टेज में पहुंच चुका है।
WHO की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, कई देशों में COVID-19 वैक्सीन के आखिरी चरण का ट्रायल चल रहा है और इस साल के अंत तक इनके नतीजे सामने आने की उम्मीद है।
निष्कर्ष: जापान के मशहूर प्रोफेसर और नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. तासुकु होंजो के नाम से कोरोना वायरस को कृत्रिम रूप से तैयार किए जाने के दावे के साथ वायरल हो रहा मैसेज पूरी तरह से मनगढ़ंत है।
Disclaimer: विश्वास न्यूज की कोरोना वायरस (COVID-19) से जुड़ी फैक्ट चेक स्टोरी को पढ़ते या उसे शेयर करते वक्त आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि जिन आंकड़ों या रिसर्च संबंधी डेटा का इस्तेमाल किया गया है, वह परिवर्तनीय है। परिवर्तनीय इसलिए ,क्योंकि इस महामारी से जुड़े आंकड़ें (संक्रमित और ठीक होने वाले मरीजों की संख्या, इससे होने वाली मौतों की संख्या ) में लगातार बदलाव हो रहा है। इसके साथ ही इस बीमारी का वैक्सीन खोजे जाने की दिशा में चल रहे रिसर्च के ठोस परिणाम आने बाकी हैं और इस वजह से इलाज और बचाव को लेकर उपलब्ध आंकड़ों में भी बदलाव हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि स्टोरी में इस्तेमाल किए गए डेटा को उसकी तारीख के संदर्भ में देखा जाए।
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