Fact Check: गांधी जी ने नहीं किया संत स्वामी श्रद्धानंद के हत्यारे का बचाव, वायरल पोस्ट फर्जी

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है जिसमें दावा किया जा रहा है कि महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और आर्य समाज के संन्यासी संत स्वामी श्रद्धानंद की हत्या करने वाले अब्दुल रशीद का बचाव किया था।

विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा झूठा है। महात्मा गांधी ने हत्या के आरोपी अब्दुल का बचाव नहीं किया था।

क्या है वायरल पोस्ट में?

ट्विटर यूजर ‘शुभ्रा शर्मा’ वायरल ग्राफिक्स (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ”देश बाँटने वाले गाँधी की हत्या करने वाले को सजा मिली पर देशभक्त नाथूराम को कोसने वाले बेशर्म सेकुलरो स्वामी श्रद्धानंद जी की हत्या करने वाले शांतिधूर्त के कारनामे क्यो छुपा बैठे?कांग्रेस अपने व सगेवालो के न जाने कितने गुनाह दबाए बैठी,देश को पता ही नही धर्मांतरणविरोधीकानून_बनाओ।”

https://twitter.com/Anu1021996/status/1411920462871818252

वायरल ग्राफिक्स में लिखा हुआ है, ”एक साधु की हत्या जिसे हिंदू नहीं जानते। अंग्रेज शासन में जब हिंदुओं का धर्म परिवर्तन चरम पर था तब स्वामी ने शुद्धि आंदोलन के माध्यम से हिंदुओं की घर वापसी की। इससे कई कट्टरपंथी मुस्लिम नाराज हो गए और अब्दुल रशीद ने उनकी हत्या कर दी। गांधी जी ने उस हत्यारे का मेरा भाई कहकर बचाव किया।”

इस पोस्ट को #जागोहिंदुजागो हैशटैग से कई ट्विटर अकाउंट से साझा किया गया है। सर्च में हमें दिखा कि कई अन्य यूजर्स ने स्वामी श्रद्धानंद की मृत्यु के बाद गांधी जी के भाषण को लेकर समान और मिलते-जुलते दावे के साथ इस ग्राफिक्स को साझा किया है।

पड़ताल

jivani.org पर मौजूद जानकारी के मुताबिक स्वामी श्रद्धानंद सरस्वती भारत के शिक्षाविद, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और आर्य समाज के संन्यासी थे, जिन्होंने स्वामी दयानंद की शिक्षाओं का प्रसार किया। वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक 23 दिसंबर 1926 को दिल्ली के चांदनी चौक इलाके में उनकी हत्या कर दी गई। हालांकि यहां हमें उनके हत्यारे के नाम के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली।

indiaspeaks.news पर प्रकाशित आर्टिकल के मुताबिक, ’23 दिसंबर 1926 को चांदनी चौक इलाके में अब्दुल रशीद ने स्वामी श्रद्धानंद की गोली मारकर हत्या कर दी।’

इस ब्लॉग और jivani.org की वेबसाइट पर प्रकाशित आर्टिकल में हमें उनकी वहीं तस्वीर लगी मिली, जो वायरल ग्राफिक्स में मौजूद है। यानी वायरल ग्राफिक्स में साझा की गई तस्वीर स्वामी श्रद्धानंद की है और उनके हत्यारे का नाम अब्दुल रशीद था।

वायरल पोस्ट में दावा किया गया है कि गांधी ने उनके हत्यारे अब्दुल रशीद का बचाव किया था। इसकी सत्यता जांचने के लिए हमने गांधी साहित्य का सहारा लिया, जो गांधी हेरिटेज पोर्टल पर मौजूद हैं।

पोर्टल पर मौजूद (द कलेक्ट वर्क ऑफ महात्मा गांधी), में गांधी जी द्वारा लिखी और कही गई हर सामग्री संग्रहित है। इसके 32 वें खंड के पेज 473, 474 और 475 पर गांधी जी का वह संपूर्ण वक्तव्य है जो उन्होंने स्वामी जी की हत्या के बाद दिया था। उनका यह बयान यंग इंडिया में 30, दिसंबर 1926 को प्रकाशित भी हुआ था।

गांधी हेरिटेज पोर्टल पर मौजूद वॉल्यूम 32 (पांच नवंबर 1926 से 20 जनवरी 1927) पृष्ठ संख्या 473

इसमें गांधी ने छह महीने पहले अपनी और स्वामी श्रद्धानंद की मुलाकात का जिक्र करते हुए उन्हें सुधारक और कर्मवीर बताया है और उनकी हत्या की घटना का जिक्र किया है। उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए गांधी ने लिखा, ”जिसकी आशंका थी वहीं हुआ। कोई छह महीने हुए स्वामी श्रद्धानंद जी सत्याग्रह आश्रम में आकर दो-एक दिन ठहरे थे। बातचीत में उन्होंने मुझसे कहा था कि उनके पास जब-तब ऐसे पत्र आया करते थे, जिनमें उन्हें मार डालने की धमकी दी जाती थी। ऐसा कौन सा सुधारक है, लोग जिनकी जान के ग्राहक नहीं हुए? इसलिए उनके लिए ऐसे पत्र पाने में कोई अचम्भे की बात नहीं थी और उनका मारा जाना कोई अनहोनी नहीं है। भगवान को उन्हें शहीद की मौत देनी थी। इसलिए रोग शय्या पर रहते हुए ही वे उस हत्यारे के हाथ मारे गए, जो इस्लाम पर धार्मिक चर्चा के नाम पर उनसे मिलना चाहता था। उसे स्वामी जी की आज्ञा से अन्दर आने दिया गया। उसने प्यास मिटाने को पानी मांगने के बहाने स्वामीजी के ईमानदार नौकर धर्म सिंह को पानी लेने को बाहर भेज दिया और फिर नौकर के चले जाने पर बिस्तर पर पड़े रोगी की छाती में दो प्राणघातक चोटें की।”

गांधी हेरिटेज पोर्टल पर मौजूद वॉल्यूम 32 (पांच नवंबर 1926 से 20 जनवरी 1927) पृष्ठ संख्या 474 और 475

गांधी ने लिखा है, ‘इस्लाम के अर्थ हैं शान्ति; अगर उसे अपने अर्थ के अनुसार बनना है तो तलवार म्यान में रखनी होगी। यह खतरा तो है कि मुसलमान लोग गुप्त रूप से इस कृत्य का समर्थन ही करें। यदि ऐसा हुआ तो उनके लिए और संसार के लिए दुर्भाग्य की बात होगी। क्योंकि आखिरकार हमारी समस्या एक विश्व समस्या है। ईश्वर पर विश्वास औऱ तलवार पर विश्वास, इन दोनों चीजों में कोई संगति नहीं है। मुसलमानों को सामूहिक रूप से इस हत्या की निंदा करनी चाहिए।”

इसी वक्तव्य के आखिरी हिस्से में गांधी जी कहते हैं, ”मैं अब्दुल रशीद की ओर से कुछ कहना चाहता हूं। मैं उसे नहीं जानता। मुझे इससे कोई मतलब नहीं कि उसने हत्या क्यों कि। दोष हमारा है। अखबार वाले चलते-फिरते रोगाणु बन गए हैं। वे झूठ और निंदा की छूत फैलाते हैं। अपनी भाषा के गंदे से गंदे शब्दों के भंडार को वे खाली कर देते हैं और पाठकों के संशय रहित और प्राय: ग्रहणशील मनों में विकार के बीज बो देते हैं। अपनी वक्तृत्वा शक्ति के मद से मत्त नेताओं ने अपनी कलम और अपनी जबान पर लगाम लगाना सीखा ही नहीं है। गुप्त और छल-कपटपूर्ण प्रचार अपना भयंकर काला काम बेरोक-टोक करता रहता है। इसलिए यह तो हम शिक्षित और अर्द्ध शिक्षित लोग ही हैं जो अब्दुल रशीद की मनोवृत्ति के लिए दोषी हैं।”

गांधी स्मारक निधि, वाराणसी के अध्यक्ष और गांधवादी चिंतक रामचंद्र राही ने कहा कि गांधी कभी गलत का बचाव नहीं करते थे। उन्होंने कभी अपनी गलतियों का बचाव नहीं किया। जब उन्हें अपनी गलती महसूस हुई उन्होंने उसे दुनिया के सामने लाया। राही ने कहा, ”गांधी जी को लेकर अर्द्धसत्य और झूठे पोस्ट चलते रहते हैं। मेरे संज्ञान में ऐसी चीजें आती रहती हैं। यह गलत है और ऐसा नहीं होना चाहिए। अब्दुल रशीद को लेकर सोशल मीडिया पर वायरल दावा भी झूठा है।”

इस मामले में अब्दुल रशीद को लेकर वायरल हो रहे बयान के संदर्भ को स्पष्ट करते हुए एक अन्य गांधीवादी विचारक प्रो. कश्मीर सिंह उप्पल कहते हैं कि 1906 में इंग्लैंड में ब्रिटिश अधिकारी सर विलियम हट कर्जन की हत्या कर दी गई थी। हत्या के आरोपी मदन लाल धींगरा थे। उस वक्त भी गांधी जी ने कहा था कि मेरी राय में धींगरा बेकसूर थे। उन्होंने उन्माद में आकर हत्या की। नशा सिर्फ शराब और भांग का नहीं होता है। एक पागल उत्तेजक विचार का भी गहरा नशा होता है। धींगरा ऐसे ही नशे में थे। ऐसे में दोषी वह हैं जो धींगरा को हत्या के लिए भड़काया। गांधी जी की बातों को व्यापक अर्थ में देखा जाना चाहिए। गांधी जी भारतीय संस्कृति के संदर्भ में बातें करते हैं।”

उन्होंने कहा कि उनके बयान को अब्दुल रशीद को बचाए जाने के संदर्भ में देखना पूरी तरह से गलत है।

निष्कर्ष: स्वामी श्रद्धानंद के हत्यारे अब्दुल रशीद का महात्मा गांधी के द्वारा बचाव किए जाने के दावे के साथ वायरल हो रहा पोस्ट गलत और दुष्प्रचार है। गांधी ने हत्यारे अब्दुल रशीद का बचाव नहीं किया था।

False
Symbols that define nature of fake news
पूरा सच जानें...

सब को बताएं, सच जानना आपका अधिकार है। अगर आपको ऐसी किसी भी खबर पर संदेह है जिसका असर आप, समाज और देश पर हो सकता है तो हमें बताएं। हमें यहां जानकारी भेज सकते हैं। हमें contact@vishvasnews.com पर ईमेल कर सकते हैं। इसके साथ ही वॅाट्सऐप (नंबर – 9205270923) के माध्‍यम से भी सूचना दे सकते हैं।

Related Posts
नवीनतम पोस्ट