नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक मैसेज में दावा किया जा रहा है कि महाराष्ट्र सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को बैन करने का फैसला किया और इसके लिए मार्च महीने में विधानसभा में प्रस्ताव लाया जाएगा।
विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा फर्जी निकला। महाराष्ट्र सरकार की तरफ से ईवीएम को प्रतिबंधित किए जाने के लिए विधानसभा में किसी प्रस्ताव को लाए जाने का दावा पूरी तरह से तथ्यहीन है।
ट्विटर यूजर ‘Samir Raj कृष्णबंशी’ ने वायरल पोस्ट को शेयर (आर्काइव लिंक) करते हुए लिखा है, ”महाराष्ट्र में EVM होगी बेन’ मार्च में लाया जाएगा विधानसभा मे प्रस्ताव…धन्यवाद…उद्धव ठाकरे जी।”
सोशल मीडिया पर कई अन्य यूजर्स ने इस पोस्ट को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।
वायरल पोस्ट में किए गए दावे की सत्यता को परखने के लिए हमने न्यूज सर्च का सहारा लिया। सर्च में हमें कई न्यूज रिपोर्ट मिली, जिसके मुताबिक महाराष्ट्र सरकार चुनावों में (ईवीएम के साथ) बैलेट पेपर के वैकल्पिक इस्तेमाल को लेकर कानून लाने पर विचार कर सकती है। हिंदुस्तान टाइम्स की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, ‘महाराष्ट्र के स्पीकर नाना पटोले ने राज्य सरकार को राज्य और स्थानीय चुनाव के दौरान ईवीएम के साथ बैलेट पेपर का विकल्प दिए जाने की संभावनाओं को तलाशने का निर्देश दिया है।’ रिपोर्ट के मुताबिक, ‘महाराष्ट्र विकास अघाड़ी गठबंधन के सहयोगी दल शिव सेना, एनसीपी और कांग्रेस और सरकार ने इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं की।’
सर्च में हमें एक और ट्रिब्यून इंडिया की वेबसाइट पर प्रकाशित एक और रिपोर्ट मिली, जिसमें समान दावा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि अगर मतदाताओं को ईवीएम के साथ ही बैलेट पेपर के जरिए मतदान का विकल्प दिए जाने का सुझाव सामने आता है तो राज्य मंत्रिमंडल इस पर विमर्श कर सकता है कि क्या मतदाताओं को ईवीएम के साथ बैलेट पेपर से मतदान करने का विकल्प दिया जा सकता है या नहीं।’
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘उनका यह बयान विधानसभा स्पीकर नाना पटोले के उस बयान के दो दिनों बाद सामने आया है जिसमें उन्होंने राज्य की विधायिका को स्थानीय चुनाव और विधानसभा चुनाव में मतदाताओं को ईवीएम के साथ ही बैलेट पेपर का भी विकल्प दिए जाने के लिए कानून बनाने को कहा था।’
यानी महाराष्ट्र सरकार ईवीएम को बैन किए जाने को लेकर विधानसभा में कोई प्रस्ताव लाए जाने के बारे में नहीं विचार कर रही है बल्कि वह कुछ स्थानीय चुनाव में मतदाताओं को ईवीएम के साथ बैलेट पेपर के जरिए भी मतदान किए जाने के विकल्प (अगर ऐसा प्रस्ताव लाया जाता है) पर विचार कर सकती है।
विश्वास न्यूज ने इस लेकर हमारे सहयोगी दैनिक जागरण के मुंबई ब्यूरो चीफ ओम प्रकाश तिवारी से संपर्क किया। उन्होंने कहा, ‘ईवीएम को बैन किए जाने का दावा पूरी तरह से गलत है। ऐसे किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जा रहा है और न ही ऐसा करना राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में आता है।’ उन्होंने कहा, ‘विधानसभा स्पीकर नाना पटोले की तरफ से इस बारे में सुझाव आया था और अब वह अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं।’
चुनाव आयोग की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक भारत में सबसे पहले वर्ष 1982 में केरल के चुनाव ईवीएम का इस्तेमाल हुआ था लेकिन किसी कानून (जिसमें ईवीएम के इस्तेमाल का जिक्र हो) के अभाव की वजह से सुप्रीम कोर्ट ने इस चुनाव को रद्द कर दिया था। इसके बाद वर्ष 1989 में संसद ने जन प्रतिनिधि अधिनियम, 1951 को संशोधित कर ईवीएम के जरिए चुनाव कराए जाने का मार्ग प्रशस्त किया। उसके बाद 15 मार्च 1989 से ईवीएम के इस्तेमाल को कानूनी मंजूरी मिल गई।
गौरतलब है कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाने की मांग की थी।
निष्कर्ष: महाराष्ट्र में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को प्रतिबंधित किए जाने के लिए विधानसभा में प्रस्ताव लाए जाने का दावा पूरी तरह से गलत है।
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