Fact Check: तंजानिया की नैट्रॉन झील में पक्षियों के पत्थर में बदलने का वायरल दावा झूठा

तंजानिया के नैट्रॉन झील में पक्षियों के प्रवेश करते ही उनका पत्थर में बदल जाने का दावा झूठा है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि तंजानिया स्थित नैट्रॉन झील जानवरों के लिए सबसे घातक जगह है। झील में प्रवेश करने वाला कोई भी जानवर पत्थर जैसी संरचना में बदल जाता है।

विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा झूठा है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

इंस्टाग्राम अकाउंट ‘unknowfact_’ से 16 जुलाई को पोस्ट (आर्काइव लिंक) करते हुए दावा किया है कि तंजानिया का नैट्रॉन झील जानवरों के लिए सबसे घातक जगह है। झील में प्रवेश करने वाला कोई भी जानवर पत्थर जैसी संरचना में बदल जाता है।

पोस्ट को सच मानते हुए करीब चार हजार से अधिक लोगों ने इसे लाइक किया है। ट्विटर पर भी हमें कई ऐसे पोस्ट मिले, जिनमें तंजानिया की झील में उतरने के बाद जानवरों और पक्षी के पत्थर में बदलने का दावा है।

पड़ताल

तंजानिया पर्यटक की आधिकारिक वेबसाइट https://www.tanzaniatourism.go.tz/पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, तंजानिया में यह नैट्रॉन लेक स्थित है। यह एक पर्यटन स्थल है। वेबसाइट पर बताया गया है, नैट्रॉन चांद की तरह खूबसूरत है। नैट्रॉन झील तंजानिया के उत्तरी भाग में पाई जाती है। नैट्रॉन झील के निकटतम शहर तंजानिया में अरुशा और केन्या में मगदी हैं।

वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, तंजानिया में यह नैट्रॉन लेक स्थित है। यह एक पर्यटन स्थल है। वेबसाइट पर बताया गया है, नैट्रॉन चांद की तरह खूबसूरत है। नैट्रॉन झील तंजानिया के उत्तरी भाग में पाई जाती है। नैट्रॉन झील के निकटतम शहर तंजानिया में अरुशा और केन्या में मगदी हैं।

वेबसाइट पर बताया गया है कि वाष्पीकरण के उच्च स्तर के चलते नैट्रॉन में सोडियम कार्बोनेट डेकाहाइड्रेट और ट्रोना (सोडियम सेस्काइकार्बोनेट डाइहाइड्रेट) जैसे तत्व है, जिससे झील की क्षारीयता 12 पीएच से अधिक तक पहुंच सकती है। आसपास के पत्थर भी क्षारीय, सोडियम-प्रभुत्व वाले ट्रेकाइट लावा से बनी है। लावा में महत्वपूर्ण मात्रा में कार्बोनेट होता है, लेकिन कैल्शियम और मैग्नीशियम का स्तर बहुत कम होता है। यानी ये झील रासायनिक रूप से कई मायनों में खास है, लेकिन इससे होता क्या है।

हमें livescience.com का एक आर्टिकल मिला। इसमें विस्तार से बताया गया है कि झील का रसायन जानवरों और पक्षियों पर कैसे प्रभाव डालता है। लेख के मुताबिक, अधिक पीएच के चलते झील के पानी में देर तक रहने से कुछ पक्षियों की त्वचा और आंख जल सकती है। वहीं, पानी में मौजूद सोडियम कार्बोनेट (मिस्र की ममी में भी यह इस्तेमाल होता था) के चलते झील में मृत पक्षियों का शरीर लंबे समय तक खराब नहीं होता है।

आगे लेख में साफ शब्दों में लिखा है कि जीवों के पत्थर में बदल जाने और छूते ही मरने का दावा करने वाली मीडिया रिपोर्ट गलत है। वास्तव में, नैट्रॉन झील का क्षारीय पानी नमक दलदल फ्लेमिंगो और अन्य आर्द्रभूमि पक्षियों, तिलापिया और शैवाल को एक संपन्न पारिस्थितिकी तंत्र उपलब्ध कराता है। यानी झील कई जीवों के अनुकूल है। इसलिए प्रजनन के मौसम के दौरान करीब 20 लाख राजहंस (फीनिकोप्टेरस माइनर) पक्षी अफ्रीका में इस झील को अपने प्राथमिक प्रजनन स्थल के रूप में उपयोग करते हैं।

लेख में आगे बताया गया है कि फोटोग्राफर निक ब्रांड्ट ने 2013 में इस झील के आसपास के मृत पक्षियों की तस्वीरें ली थीं। उनकी किताब ‘अक्रॉस दि रेवेज्ड लैंड’ में ये तस्वीर संग्रहित हैं। निक ने लिखा है, कोई नहीं जानता कि पक्षी कैसे मरे। सारे प्राणी कैल्सीफिकेशन के कारण चट्टान की तरह मजबूत हो चुके थे इसलिए बेहतर फोटो लेने के लिए हम उनमें किसी भी तरह का बदलाव नहीं कर सकते थे इसलिए फोटो लेने के लिए हमने उन्हें वैसी ही अवस्था में पेड़ों और चट्टानों पर रख दिया। निक की यही तस्वीरों सोशल मीडिया पर वायरल हैं, जिसमें छूते ही पत्थर बन जाने का दावा है।

इस मामले में और अधिक जानकारी के लिए हमने कानपुर के हडार्ड हाई स्कूल रसायन विज्ञान के शिक्षक निखिल अग्रवाल से संपर्क किया। उन्होंने पोस्ट देखने के बाद कहा कि ये वायरल दावा झूठा है। झील में जाने से कोई पत्थर का नहीं बनता। हां, झील में नमक की अधिक मात्रा के चलते देर तक इसमें रहने से शरीर में पानी का स्तर कम हो जाता है लेकिन इतना भी नहीं की मृत्यु हो जाए। वहीं, सोडियम कार्बोनेट के चलते मृत पक्षियों का शरीर जल्द खराब नहीं होता है यानी एक तरह से वह मिस्र की ममी जैसे हो जाते हैं।

वायरल पोस्ट को शेयर करने वाले unknowfact_ अकाउंट के 1.34 लाख लोग फॉलो करते हैं। यह अकाउंट रोजाना कुछ नया बताने, अज्ञात रहस्यों के बारे में बताने का दावा करता है।

निष्कर्ष: तंजानिया स्थित नैट्रॉन झील में प्रवेश करने किसी भी जानवर के पत्थर जैसी संरचना में बदल जाने के दावे के साथ वायरल हो रही पोस्ट गलत है।

False
Symbols that define nature of fake news
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