Fact Check: ‘बेल इन’ प्रावधान वाले विवादित FRDI बिल को संसद में फिर से पेश किए जाने का दावा भ्रामक, सरकार ले चुकी है वापस

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक पोस्ट में दावा किया जा रहा है सरकार की तरफ से एक ऐसा बिल लाया जा रहा है, जिसकी वजह से बैंकों में पैसा जमा करने वाले जमाकर्ताओं के हितों का नुकसान हो सकता है। दावा किया जा रहा है कि वित्त मंत्रालय को फाइनेंशियल रिजॉल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस (एफआरडीआई) बिल 2017 पर केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिल गई है और इसे संसद में पेश किए जाने की तैयारी हो रही है।

विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा गुमराह करने वाला साबित हुआ। जिस बिल को संसद में पेश किए जाने का दावा किया जा रहा है, उसे वापस लिया जा चुका है और इसे फिर से पेश किए जाने की सरकार की कोई योजना नहीं है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

सोशल मीडिया यूजर ‘Krishan Chandra Sharma’ ने ‘द हिंदू’ के लिंक को शेयर (आर्काइव लिंक) करते हुए लिखा है, ”Forwarded as received The Government is proposing a Bill by which if the bank is having financial difficulties then they can ask depositors to take a hit. The Finance Ministry have got a Bill APPROVED by the Cabinet called The Financial Resolution and Deposit Insurance (FRDI) Bill, 2017″ and this has now been referred to a Joint Parliamentary Committee before getting it passed in the Parliament This Bill introduces the provision for a “bail-in”, whose purpose is to provide capital to absorb the losses of a bank and ensure its survival. Here, survival does not mean safety of depositors’ money, but restoration of capital of the bank. The bail-in empowers the bank to cancel a liability owed by the bank or change the form of an existing liability to another security. In simple words, it means that your accounts balance of Rs.25 lacs, can be reduced to Rs.5 lac, which is mandatory by law. OR they can convert your savings account balance of Rs.15 lacs to a Fixed Deposit, repayable after 5 years, giving you of 5% annual interest. And you can do nothing about it.
View this link, to know more. http://www.thehindu.com/…/banking…/article20005363.ece
To recover the money from the defaulters, there is no attempt so far by the Reserve Bank of India to blacklist these entities from getting further loans or prevent their managements from retaining a majority equity stake, as penalty for the huge haircuts (writing off loans) being taken by banks.
In a nut-shell they are now trying to shift the responsibility of rescuing the “sinking banks” from the Govt. to the Suppliers & Depositors of the Bank.
Trust in Banking Industry would be decimated. People would gradually close all their bank accounts and keep their cash under the bed.
Share this extensively thru’ every social media. This bill should not be allowed to become an act.”

सोशल मीडिया पर भ्रामक दावे के साथ वायरल हो रही तस्वीर

हिंदी में इसे ऐसे पढ़ा जा सकता है, ”केंद्र सरकार एक ऐसा बिल लाने जा रही है कि अगर बैंकों को कोई वित्तीय परेशानी होती है तो वह जमाकर्ताओं के पैसे से इसकी भरपाई कर सकते हैं। वित्त मंत्रालय को फाइनेंशियल रिजॉल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस (FRDI) बिल 2017 पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल गई है और इसे संसद में पारित कराने के लिए संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया है। इस विधेयक में बेल इन का प्रावधान है, जिसका मकसद बैंकों के घाटे के लिए पूंजी उपलब्ध कराना है। बैंक इस प्रावधान की मदद से आपकी जमा पूंजी को बैंकिंग पूंजी में तब्दील कर सकते हैं या फिर उसे प्रतिभूति में बदल सकते हैं। साधारण शब्दों में समझा जाए तो अगर आपके खाते में 25 लाख रुपये हैं तो इसे घटाकर पांच लाख रुपये किया जा सकता है या फिर बैंक आपके बचत खाते में से 15 लाख रुपये को एफडी में बदल कर उसे पांच साल बाद भुगतान करने का विकल्प दे सकते हैं और आप इस बारे में कुछ नहीं कर सकते। अधिक जानने के लिए यह लिंक देखें। इस विधेयक को अधिनियम बनने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।”

पड़ताल

वायरल पोस्ट में दावे के साथ ‘द हिंदू’ की वेबसाइट पर प्रकाशित आर्टिकल का लिंक दिया गया है। इस लिंक पर क्लिक करने पर हमें जो आर्टिकल मिलता है, वह नौ नवंबर 2017 को प्रकाशित किया गया है। यह आर्टिकल एफआरडीआई बिल में मौजूद ‘बेल इन’ के प्रावधान को लेकर हैं, जिसे लेकर दावा किया जा रहा है कि यह बैंक और ग्राहकों के संबंधों को हमेशा के लिए बदल देगा।

द हिंदू की वेबसाइट पर 9 नवंबर 2017 को प्रकाशित खबर

यानी पुराने न्यूज आर्टिकल को हाल का बताकर शेयर किया जा रहा है। इसके बाद हमने ‘FRDI’ की-वर्ड से न्यूज सर्च किया। हमें सर्च में financialexpress.com की वेबसाइट पर 28 जुलाई 2020 को प्रकाशित खबर मिली, जिसमें कहा गया है कि सरकार ने एफआरडीआई बिल को फिर से पेश करने के बारे में कोई फैसला नहीं लिया है। खबर के मुताबिक, इस विवादित विधेयक को सरकार ने अगस्त 2018 में लोकसभा से वापस ले लिया था और इसे दोबारा से पेश किए जाने के बारे में कोई फैसला नहीं लिया गया है।

फाइनैंशियल एक्सप्रेस की वेबसाइट पर 28 जुलाई 2020 को प्रकाशित खबर

हमारे सहयोगी दैनिक जागरण के नेशनल ब्यूरो के विशेष संवाददाता राजीव कुमार ने कहा, ‘इस बिल को सरकार ने पहले ही वापस ले लिया था और इसे फिर से वापस लाए जाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। इस संबंध में वित्त मंत्रालय ने कुछ महीने पहले ही जानकारी साझा की थी।’

वित्त मंत्रालय के वेरिफाइड ट्विटर हैंडल से 20 जुलाई 2020 को किए गए ट्वीट में कहा गया है सरकार ने एफआरडीए बिल को फिर से पेश किए जाने के मामले में कोई फैसला नहीं लिया है।

न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, ‘फाइनेंशियल रिजॉल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल (2017)’ में बेल इन के प्रावधानों को लेकर विवाद हो गया था, जिसके तहत अगर कोई बैंक बंद होता है या उसके डूबने की स्थिति आ जाती है तो बैंक अपने ग्राहक की जमा रकम का इस्तेमाल कर अपनी स्थिति को ठीक कर सकते हैं। गौरतलब है कि इस विधेयक को पहली बार 10 अगस्त 2017 को लोकसभा में पेश किया गया था, जहां से इसे संयुक्त संसदीय समिति को भेज दिया गया था। इसके बाद इसे सरकार ने वापस ले लिया।

लोकसभा की वेबसाइट पर विधेयक की स्थिति को लेकर दी गई जानकारी से भी इसकी पुष्टि होती है। लोकसभा की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, ‘The Financial Resolution and Deposit Insurance Bill, 2017’ विधेयक को वापस लिया जा चुका है, जिसे लोकसभा में 10 अगस्त 2017 को पेश किया गया था।

वायरल पोस्ट को शेयर करने वाले यूजर ने अपनी प्रोफाइल में खुद को नई दिल्ली का रहने वाला बताया है।

निष्कर्ष: फाइनेंशियल रिजॉल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस बिल को संसद में फिर से पेश किए जाने के दावे के साथ वायरल हो रहा पोस्ट भ्रामक है। सरकार इस बिल को वापस ले चुकी है और इसे फिर से पेश किए जाने की कोई योजना नहीं है।

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