Fact Check: रासुका के तहत उत्तर प्रदेश के मथुरा जेल में बंद डॉ. कफील खान की रिहाई का दावा गलत

राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत उत्तर प्रदेश के मथुरा जेल में बंद गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के पूर्व डॉक्टर कफील खान की रिहाई का दावा फर्जी है। कफील खान अभी मथुरा जेल में ही बंद हैं।

नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे पोस्ट में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के पूर्व डॉक्टर कफील खान की रिहाई का दावा किया जा रहा है।

विश्वास न्यूज की पड़ताल में कफील खान की रिहाई के दावे के साथ वायरल हो रहा पोस्ट फर्जी निकला। डॉ. खान राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत उत्तर प्रदेश के मथुरा जेल में बंद है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर ‘Danish pathan AIMIM M.P.’ ने वायरल पोस्ट (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ”अल्हम्दुलिल्लाह #डॉक्टरकफीलखान की #रिहाई हो गई है❤️ #DrKafeelKhan.”

डॉ. कफील खान की रिहाई के गलत दावे के साथ वायरल हो रही पोस्ट

जांच किए जाने तक इस पोस्ट को करीब दो हजार लोग शेयर कर चुके हैं। कई अन्य यूजर्स ने कफील खान की रिहाई के दावे के साथ उनकी तस्वीर को शेयर किया है।

पड़ताल

राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत मथुरा जेल में बंद गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के पूर्व डॉक्टर कफील खान की रिहाई का मामला सियासी हो चुका है। न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने कफील खान की रिहाई की मांग को लेकर प्रदेशव्यापी अभियान चलाने का फैसला किया है।

ABP की वेबसाइट पर 21 जुलाई को प्रकाशित रिपोर्ट

विश्वास न्यूज ने इसकी पुष्टि के लिए उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष शाहनवाज आलम से बात की। उन्होंने बताया, ‘डॉ. कफील खान की रिहाई की मांग को लेकर कांग्रेस के प्रदेशव्यापी अभियान की शुरुआत 21 जुलाई को हो चुकी है और यह 12 अगस्त को खत्म होगा।’ उन्होंने भी कफील खान की रिहाई की खबरों को झूठा बताते हुए इसे ‘राजनीति से प्रेरित’ करार दिया।

ऐसे में कफील खान की रिहाई बड़ी खबर होती। न्यूज सर्च में हमें ऐसी कोई खबर नहीं मिली, जिसमें उनकी रिहाई की जानकारी हो।

इसके बाद विश्वास न्यूज ने मथुरा के जेल अधीक्षक शैलेंद्र कुमार मैत्री से फोन पर संपर्क किया। उन्होंने बताया, ‘डॉ. कफील खान अभी भी जेल में ही हैं और उन्हें उनकी रिहाई से संबंधित कोई आदेश अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है।’

‘द हिंदू’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) में सीएए और एनआरसी विरोधी प्रदर्शन के दौरान ‘भड़काऊ’ भाषण देने के मामले में कफील खान को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।

‘द हिंदू ‘में प्रकाशित रिपोर्ट

रिपोर्ट के मुताबिक, उन्हें 29 जनवरी को मुंबई से गिरफ्तार कर अलीगढ़ लाया गया था, जहां की स्थानीय अदालत ने उन्हें 60 हजार रुपये के मुचलके पर 10 फरवरी को जमानत दे दी। हालांकि, 13 फरवरी को जेल से रिहा किए जाने के कुछ ही घंटों पहले उन्हें एनएसए के तहत गिरफ्तार कर फिर से जेल भेज दिया गया।


‘द हिंदू ‘में प्रकाशित रिपोर्ट

रिपोर्ट के मुताबिक, खान ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में जमानत की अर्जी लगाई थी, जिस पर 15 जुलाई को सुनवाई होनी थी। हालांकि, कोरोना संक्रमण की वजह से यह तारीख टलकर 22 जुलाई हो गई।

हमारे सहयोगी दैनिक जागरण के लखनऊ के रेजिडेंट एडिटर सदगुरु शरण अवस्थी ने बताया, ‘कफील खान की जमानत पर सुनवाई 15 जुलाई को होनी थी, जो अब टल कर 27 जुलाई हो चुकी है।’

सोशल मीडिया सर्च में हमें पत्रकार आरिफ शाह का एक ट्वीट मिला, जिसके मुताबिक, कफील खान के जमानत की अर्जी पर 27 जुलाई को सुनवाई होनी है।

कफील खान की रिहाई के दावे के साथ फर्जी पोस्ट शेयर करने वाले यूजर को फेसबुक पर करीब चौबीस हजार लोग फॉलो करते हैं। यूजर ने खुद को AIMIM से जुड़ा हुआ बताया है।

निष्कर्ष: राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत उत्तर प्रदेश के मथुरा जेल में बंद गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के पूर्व डॉक्टर कफील खान की रिहाई का दावा फर्जी है। कफील खान अभी मथुरा जेल में ही बंद हैं।

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