कोरोना वायरस को लेकर पोस्ट किए जाने के मामले में मुंबई में वॉट्सऐप के 52 ग्रुप एडमिन को हिरासत में लिए जाने का दावा फर्जी है और नहीं केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय की तरफ से कोरोना को लेकर दी जाने वाली किसी भी जानकारी को दंडनीय अपराध घोषित किया गया है।
नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक मैसेज में दावा किया गया है कि मुंबई पुलिस के साइबर सेल ने भ्रामक जानकारी फॉरवर्ड करने के आरोप में वॉट्सऐप के 52 ग्रुप एडमिन को हिरासत में लिया है और सभी के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया है। पोस्ट में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस से जुड़ी कोई भी पोस्ट करना अब दंडनीय अपराध घोषित हो चुका है।
विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा पूरी तरह से फर्जी निकला।
फेसबुक यूजर ‘Shaik Bilal Ahmed’ ने वायरल पोस्ट (आर्काइव लिंक) को शेयर करते हुए लिखा है, ”52 group admins are now at dadar cyber crime police station. For having misleadingfowards in the group. A case is being registered against every admin. U will get bail at police station but have to fight in criminal court with a jail term from 1 to 5 years.No explanation accepted as Admin I did not see it or did not knew the authenticity, or did not knew it was forwarded. So kindly bear it. 🙏🙏🙏🙏
Information All honorable members of the group are informed that right now any post related to Corona virus has been declared a punishable offense by the Central Government, only a government agency can post on Corona. In case of wrong post or message, action will be taken against the members of the entire group including the group administrator by registering a lawsuit under the IT Act, so keep in mind be safe!
Ravi Nayak
Principal Secretary
Ministry of Home Affairs, Government of India
[सगळ्यांना विनंती कोरोना विषयी कोणतेही msg fw करू नका , No CORONA posts PLEASE.”
इसे हिंदी में ऐसे पढ़ा जा सकता है, ”ग्रुप में भ्रामक जानकारी फॉरवर्ड किए जाने के आरोप में 52 ग्रुप एडमिन को दादर पुलिस स्टेशन में हिरासत में लिया गया है और सभी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जा रहा है। सभी ग्रुप के सदस्यों को सूचित किया जाता है कि केंद्र सरकार की तरफ से कोरोना वायरस को लेकर किए जाने वाला कोई भी पोस्ट दंडनीय अपराध घोषित किया जा चुका है। केवल सरकारी एजेंसी ही कोरोना वायरस को लेकर पोस्ट कर सकती है। कोई भी गलत पोस्ट किए जाने की स्थिति में आईटी एक्ट के तहत ग्रुप एडमिन के साथ सभी सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वायरल मैसेज के अंत में गृह मंत्रालय के कथित प्रधान सचिव रवि नायक का नाम भी लिखा हुआ है।”
सोशल मीडिया पर कई अन्य यूजर्स ने इस मैसेज को शेयर किया है।
वायरल हो रहे मैसेज में की जा रही अपील गृह मंत्रालय के कथित प्रधान सचिव रवि नायक के हवाले से की गई है। जांच में हमें पता चला कि गृह मंत्रालय में सचिव के पद पर किसी ऐसे नाम के अधिकारी की तैनाती नहीं है। मंत्रालय की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, ‘अजय कुमार भल्ला फिलहाल देश के गृह सचिव हैं।’
यानी गृह मंत्रालय के जिस सचिव के नाम से मैसेज वायरल हो रहा है, उस नाम का कोई अधिकारी गृह मंत्रालय में तैनात नहीं है। गृह मंत्रालय में तैनात अन्य सचिवों की पूरी सूची को यहां देखा जा सकता है।
वायरल मैसेज में दावा किया गया है कि मुंबई साइबर सेल ने ’52 ग्रुप एडमिन’ के खिलाफ दादर पुलिस स्टेशन में मुकदमा दर्ज कर रही है। विश्वास न्यूज ने इसे लेकर मुंबई पुलिस के प्रवक्ता और डिप्टी कमिश्नर प्रणय अशोक से बात की। उन्होंने वायरल मैसेज का खंडन करते हुए कहा, ‘ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।’
दादर थाने के प्रभारी नौशाद अब्बास तंबोली ने विश्वास न्यूज को बताया, ‘हमने किभी भी ग्रुप एडमिन को गिरफ्तार नहीं किया है।’ उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि सोशल मीडिया पर क्या फैलाया जा रहा है, लेकिन हमारे थाने में ऐसे किसी मामले को लेकर कार्रवाई नहीं की गई है।’
31 मार्च को लाइव लॉ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, ”केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से इस बात को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए जाने की मांग की है कि कोई भी मीडिया कंपनी सरकार द्वारा दिए गए मैकेनिज्म से तथ्यों की पुष्टि किए बिना कोरोना वायरस पर कुछ भी प्रकाशित या प्रसारित नहीं करेंगे।”
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘गृह सचिव अजय भल्ला की तरफ से दायर स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अभूतपूर्व स्थिति में इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट, सोशल मीडिया या वेब पोर्टलों में से किसी की भी जानबूझकर या अनजाने में की गई गलत रिपोर्टिंग से समाज के बड़े हिस्से में घबराहट पैदा होने की संभावना है।’
गृह मंत्रालय की तरफ से जारी किसी भी अधिसूचना में हमें ऐसी जानकारी का जिक्र नहीं मिला, जिसका दावा वायरल पोस्ट में किया जा रहा है। केंद्रीय नोडल एजेंसी प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो की तरफ से सरकार के सभी मंत्रालयों के लिए गए फैसलों की जानकारी दी जाती है, जिसे यहां देखा जा सकता है।
एक अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस को लेकर प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया को जवाबदेही के साथ तथ्यों को सामने रखने का दिशानिर्देश जारी किया है ताकि लोगों में भय की स्थिति को पनपने से रोका जा सके।
वायरल जानकारी शेयर करने वाले फेसबुक यूजर की प्रोफाइल में दी गई जानकारी के मुताबिक वह तेनाली में रहते हैं और फिलहाल एक निजी कंपनी में एरिया कलेक्शन मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं।
Disclaimer: कोरोनावायरसफैक्ट डाटाबेस रिकॉर्ड फैक्ट-चेक कोरोना वायरस संक्रमण (COVID-19) की शुरुआत से ही प्रकाशित हो रही है। कोरोना महामारी और इसके परिणाम लगातार सामने आ रहे हैं और जो डाटा शुरू में एक्यूरेट लग रहे थे, उसमें भी काफी बदलाव देखने को मिले हैं। आने वाले समय में इसमें और भी बदलाव होने का चांस है। आप उस तारीख को याद करें जब आपने फैक्ट को शेयर करने से पहले पढ़ा था।
निष्कर्ष: कोरोना वायरस को लेकर पोस्ट किए जाने के मामले में मुंबई में वॉट्सऐप के 52 ग्रुप एडमिन को हिरासत में लिए जाने का दावा फर्जी है और नहीं केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय की तरफ से कोरोना को लेकर दी जाने वाली किसी भी जानकारी को दंडनीय अपराध घोषित किया गया है।
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