कर्नाटक में वर्ष 2019 में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली की तस्वीर को बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हुई सांप्रदायिक हिंसा के जवाब में असम में हिंदुओं की रैली का बताकर गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। दशहरा के दौरान बांग्लादेश में सांप्रदायिक हिंसा की शुरुआत के बाद से सांप्रदायिक तनाव को पैदा करने के मकसद से सोशल मीडिया पर वीडियो और तस्वीरों को वायरल किया जा रहा है। इसी संदर्भ में वायरल हो रही एक तस्वीर में किसी मैदान में मौजूद बड़ी भीड़ को देखा जा सकता है। दावा किया जा रहा है कि यह भीड़ बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हुई हिंसा के जवाब में असम में हुई हिंदुओं की रैली का है।
विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा गलत और दुष्प्रचार निकला। वायरल हो रही तस्वीर कर्नाटक के मैंगलोर में हुई नरेंद्र मोदी की रैली की पुरानी तस्वीर है, जिसे बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हुई हिंसा के जवाब में असम में हिंदुओं की रैली का बताकर गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।
सोशल मीडिया यूजर ‘Tapash Bhattacharjee’ ने वायरल वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है, ”জয় শ্রী-রাম✌
আসাম বাংলাদেশ সীমান্তে তীব্র উত্তেজনা!
বাংলাদেশে চলমান হিন্দু গণত্যার প্রচেষ্টার জেরে সমগ্র বারাক থেকে শুরু করে গৌহাটি অবদি আসামের সর্বস্তরের হিন্দুরা জেগে ওঠেছে! ভারত-বাংলাদেশ সীমান্ত ও সীমান্তবর্তী মুসলিম বহুল এলাকাগুলোতে রেড এলার্ট!
জয় শ্রী রাম✊
জাগো হিন্দু🕉️” (”जय श्री राम ✌
असम बांग्लादेश सीमा पर तीव्र तनाव!
बांग्लादेश में चल रहे हिन्दू नरसंहार के प्रयासों से बराक से गुवाहाटी तक के हिन्दू जाग चुके हैं! भारत-बांग्लादेश बॉर्डर पर रेड अलर्ट और बॉर्डर के आसपास भारी संख्या में मुस्लिम इलाकों में!
जय श्री राम ✊
जागो हिन्दुओ जागो”)
वायरल हो रही तस्वीर में भगवा झंडे और भगवा वस्त्र पहने हुए लोगों को देखा जा सकता है। तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज सर्च किए जाने पर हमें ट्विटर यूजर ‘@omgs_tweets’ की प्रोफाइल से 23 मई 2020 को पोस्ट किया गया ट्वीट मिला, जिसमें शामिल चार तस्वीरों में एक तस्वीर वायरल तस्वीर से मेल खाती है।
दी गई जानकारी के मुताबिक, ‘यह तस्वीर वर्ष 2019 में कर्नाटक के मैंगलोर में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुनावी रैली की है।’
न्यूज सर्च में 14 अप्रैल 2019 को mynation.com की वेबसाइट पर प्रकाशित फोटो गैलरी में भी हमें यह तस्वीर लगी मिली।
दी गई जानकारी के मुताबिक, गैलरी में इस्तेमाल की गई सभी तस्वीरें (वायरल तस्वीर समेत) कर्नाटक में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली की हैं। हमारी अब तक की पड़ताल से यह स्पष्ट है कि वायरल हो रही तस्वीर का संबंध बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हुई सांप्रदायिक हिंसा के जवाब में असम में हुई हिंदुओं की रैली की नहीं है, बल्कि कर्नाटक में हुई एक पुरानी जनसभा की है।
इस तस्वीर को लेकर हमने असम के स्थानीय समाचार संगठन सेंटीनेल की पत्रकार पल्लवी सैकिया से संपर्क किया। उन्होंने पुष्टि करते हुए बताया, ‘असम में हाल के दिनों में ऐसी कोई सभा या रैली नहीं हुई है।’
वायरल तस्वीर को गलत दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर ने अपनी प्रोफाइल में स्वयं को चटगांव का रहने वाला बताया है। यह प्रोफाइल फेसबुक पर अक्टूबर 2021 से सक्रिय है।
निष्कर्ष: कर्नाटक में वर्ष 2019 में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली की तस्वीर को बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हुई सांप्रदायिक हिंसा के जवाब में असम में हिंदुओं की रैली का बताकर गलत दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।
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