Fact Check : जयपुर में 2015 में मेट्रो निर्माण के लिए तोड़े गए मंदिर की तस्वीर को हाल का बताकर किया गया वायरल
विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा भ्रामक साबित हुआ। वायरल तस्वीर वर्ष 2015 में जयपुर मेट्रो निर्माण के लिए तोड़े गए मंदिर का है।
- By: Ashish Maharishi
- Published: May 1, 2022 at 04:42 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। राजस्थान के अलवर जिले के राजगढ़ में एक शिव मंदिर के तोड़ने की घटना के बाद से ही सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर फर्जी तस्वीरों और वीडियो के फैलने का सिलसिला जारी है। अब सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें एक मंदिर को जेसीबी मशीन से तोड़ते हुए देखा जा सकता है। इस तस्वीर के ऊपर अंग्रेजी में लिखा है कि राजस्थान में ‘जमीन पर अतिक्रमण’ के नाम पर 300 साल पुराने मंदिर को तोड़ दिया गया और शिवलिंग को भी तोड़ दिया। विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट की जांच की। यह पोस्ट भ्रामक साबित हुई। दरअसल जिस तस्वीर को अब वायरल किया जा रहा है, वह 2015 की है, जब मेट्रो के निर्माण के लिए इस मंदिर को तोड़ा गया था।
क्या हो रहा वायरल ?
फेसबुक यूजर उमाकांत पांडेय ने 24 अप्रैल को वायरल पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा है, “इसे कहते हैं सरकार..तीन सौ साल पुराना कागज राजस्थान सरकार ने खोज ही निकाला और पाया कि अलवर का यह शिवमंदिर जमीन पर अतिक्रमण करके बनाया गया था।कल उसे ढहा दिया गया।इधर कुछ लोग महज पचास साठ साल पुराना कागज नहीं खोज पा रहे हैं..और उन्हें सीधा कोर्ट जाना पड़ रहा है..खैर..सरकार का जैसा मुड दिख रहा है उससे लगता है…कागज तो दिखाना पड़ेगा ही..अगर तीन सौ साल पुराना कागज मिल गया तो पचास साठ साल पुराना कैसे नहीं मिलेगा..।”
कई यूजर्स कांग्रेस को हिन्दू विरोधी बताते हुए दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस सरकार ने 300 साल पुराने मंदिर को तोड़ दिया।
फैक्ट चेक के उद्देश्य से फेसबुक पोस्ट में लिखी गई बातों को हूबहू लिखा गया है। वायरल पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहां देखा जा सकता है। कई अन्य यूजर्स ने भी मिलते-जुलते दावे के साथ इसे शेयर किया है।
पड़ताल
विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट के दावे की सच्चाई पता लगाने के लिए सबसे पहले गूगल रिवर्स इमेज टूल से सर्च किया। सर्च के दौरान हमें विभिन्न मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर वायरल तस्वीर के साथ प्रकाशित रिपोर्ट मिली। 14 जून 2015 को आज तक न्यूज वेबसाइट पर प्रकशित एक खबर के अनुसार, जयपुर के रोजगारेश्वर महादेव और कष्टहरण महादेव मंदिर की वजह से मेट्रो के काम में रुकावट आ रही थी। मंदिर शिफ्टिंग को लेकर पहले नोटिस भी दिया गया था, लेकिन शिफ्ट नहीं होने के कारण 12 जून 2015 को इसे पुलिस की मौजूदगी में गिरा दिया गया। इसके विरोध प्रदर्शन के कारण 12 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था। पूरी खबर को यहां पढ़ा जा सकता है।
इंडिया टाइम्स में भी 12 जून 2015 को इस घटना से संबंधित प्रकाशित खबर मिली। रिपोर्ट के अनुसार, जयपुर में 200 साल पुराने मंदिर को तोड़ा गया, जिससे मेट्रो का निर्माण हो सके। उस वक्त राज्य में भाजपा की सरकार थी।
जांच के अगले चरण में विश्वास न्यूज ने दैनिक जागरण के राजस्थान के ब्यूरो प्रमुख नरेंद्र शर्मा से संपर्क किया। वायरल पोस्ट और दावे को हमने वॉट्सऐप के माध्यम से शेयर किया। उन्होंने हमें बताया कि वायरल तस्वीर जयपुर मेट्रो निर्माण के लिए हटाए गए मंदिर का है। तस्वीर कई साल पुरानी है।
पड़ताल के अंत में विश्वास न्यूज ने भ्रामक पोस्ट करने वाले फेसबुक यूजर की जांच की। फेसबुक यूजर उमाकांत पांडेय छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर का रहने वाला है। यूजर को 550 लोग फॉलो करते हैं। 2011 से यूजर फेसबुक पर मौजूद है।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल दावा भ्रामक साबित हुआ। वायरल तस्वीर वर्ष 2015 में जयपुर मेट्रो निर्माण के लिए तोड़े गए मंदिर का है।
- Claim Review : तीन सौ साल पुराने मंदिर को अतिक्रमण के नाम पर तोड़ा गया।
- Claimed By : फेसबुक यूजर उमाकांत पांडेय
- Fact Check : भ्रामक
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