सोशल मीडिया पर कई यूजर्स इस तस्वीर को हालिया समझकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साध रहे हैं। विश्वास न्यूज की जांच में यह तस्वीर 10 साल से ज्यादा पुरानी साबित हुई।
नई दिल्ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर एक तस्वीर वायरल हो रही है। इस तस्वीर में पीएम मोदी के चेहरे वाली टीशर्ट पहने एक शख्स और पुलिस के बीच भिड़ंत को देखा जा सकता है।
सोशल मीडिया पर कई यूजर्स इस तस्वीर को हालिया समझकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साध रहे हैं। विश्वास न्यूज की जांच में यह तस्वीर 10 साल से ज्यादा पुरानी साबित हुई। यह तस्वीर लखनऊ में हुए विरोध प्रदर्शन की है।
फेसबुक यूजर हेमंत कुमार ने 4 नवंबर को एक तस्वीर को अपलोड करते हुए लिखा, “प्रधानमंत्री ने सही कहा था कि दंगाई कपड़ों से ही पहचान में आ जाते हैं।”
पुलिस से भिड़ंत की तस्वीर को अभी की समझकर सोशल मीडिया पर कई अन्य यूजर्स ने इन तस्वीरों को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है। वायरल पोस्ट के कंटेंट को यहां ज्यों का त्यों ही लिखा गया है। इस पोस्ट का आर्काइव वर्जन यहां देखा जा सकता है।
विश्वास न्यूज ने वायरल पोस्ट में इस्तेमाल की गई तस्वीर को सबसे पहले गूगल लेंस टूल के जरिए सर्च किया। असली तस्वीर हमें एक जुलाई 2014 को ‘द टेलीग्राफ’ की वेबसाइट पर मौजूद एक खबर में मिली। खबर में तस्वीर को लखनऊ में विधानसभा के बाहर हुए विरोध प्रदर्शन की बताया गया। इसमें बताया गया कि भाजपा के कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच टकराव हुआ। खबर में बताया गया कि यह विरोध प्रदर्शन यूपी की तत्कालीन सपा सरकर के विरोध में भाजपा ने आयोजित किया था।
सर्च के दौरान हमें वनइंडिया डॉट कॉम पर प्रकाशित एक खबर में वायरल तस्वीर मिली। 30 जून 2014 को पब्लिश इस खबर में बताया गया कि लखनऊ में सपा के शासन के खिलाफ भाजपा के युवा कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया।
विश्वास न्यूज ने वर्ष 2020 में भी वायरल तस्वीर की जांच की थी। उस वक्त लखनऊ में बिजनेस स्टैंडर्ड के प्रधान संवाददाता सिद्धार्थ कलहंस से संपर्क किया गया था। उन्होंने कन्फर्म करते हुए वायरल तस्वीर को लखनऊ विधानसभा के बाहर हुए प्रदर्शन की बताया था।
जांच के अंतिम चरण में 10 साल पुरानी तस्वीर को गलत संदर्भ के साथ शेयर करने वाले यूजर की जांच की गई। यूजर ने अपनी प्रोफाइल में खुद को राजस्थान के बयाना का रहने वाला बताया है। फेसबुक पर उसके 19 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स हैं।
निष्कर्ष : विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल पोस्ट भ्रामक साबित हुई। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में वर्ष 2014 के विरोध प्रदर्शन की पुरानी तस्वीर को अब वायरल करके भ्रम फैलाया जा रहा है।
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