Fact Check: सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट साइट पर गए प्रधानमंत्री, के साथ फोटोग्राफर की यह तस्वीर एडिटेड है

विश्वास न्यूज़ ने प्रधानमंत्री मोदी और ज़मीन में लेट कर फोटो खींचते इस फोटोग्राफर की वायरल हो रही तस्वीर की पड़ताल में पाया कि यह पिक्चर एडिटेड है। इस तस्वीर में फोटोग्राफर को अलग से जोड़ा गया है।

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज़)। सोशल मीडिया पर प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी की एक तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें उन्हें चलते हुए देखा जा सकता है। अब इसी वायरल तस्वीर में एक फोटोग्राफर भी नज़र आ रहा है, जिसका रुख प्रधानमंत्री की तरफ है। इस फोटो को सच समझ कर तंज़ करते हुए सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर वायरल किया जा रहा है। विश्वास न्यूज़ ने जब इस फोटो की पड़ताल की तो हमने पाया कि यह तस्वीर एडिटेड है। प्रधानमंत्री मोदी की यह तस्वीर 26 सितम्बर की है, जब वह सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट साइट पर गए थे। इस तस्वीर में ज़मीन पर लेट कर प्रधानमंत्री के आगे फोटो खींचते हुए नज़र आ रहे फोटोग्राफर को अलग से जोड़ा गया है।

क्या है वायरल पोस्ट में ?

फेसबुक पर बहुत से यूजर इस मॉर्फ्ड फोटो को शेयर कर रहे हैं, उन्हीं में से एक है यूजर ‘Puran Singh’. यूजर ने फोटो को शेयर करते हुए लिखा, ‘बेचारा फोटोग्राफर…. वो भी सोच रहा होगा कि मैं कहां फंस गया’।

पोस्ट के आर्काइव वर्जन को यहाँ देखें।

पड़ताल

अपनी पड़ताल को शुरू करते हुए सबसे पहले हमने गूगल ओपन सर्च के ज़रिये वायरल तस्वीर को खोजा। इस सर्च में हमें यह एडिटेड फोटो बहुत से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर मिली। हालांकि, फोटोग्राफर के साथ मोदी की यह तस्वीर किसी भी विश्वसनीय वेबसाइट पर नहीं दिखी।

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने इस फोटो से सिर्फ मोदी की इमेज क्रॉप की और फिर गूगल रिवर्स इमेज के ज़रिये सर्च किया। सर्च में हमें असल फोटो बहुत-से भरोसेमंद वेबसाइट पर मिली। न्यूज़ 18 की वेबसाइट पर ओरिजनल फोटो को 26 सितम्बर 2021 को अपलोड किया गया है। यहाँ दी गयी जानकारी के मुताबिक, यह तबकी तस्वीर है, जब हाल में प्रधानमंत्री मोदी ने नए पार्लियामेंट की कंस्ट्रक्शन साइट का दौरा किया था। असल फोटो में हमें कोई भी फोटोग्राफर तस्वीर खींचता हुआ नज़र नहीं आया। यहां तस्वीर के क्रेडिट इमेज में भी न्यूज़ 18 का ही नाम लिखा हुआ है यानी यही तस्वीर असल है।

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए हमने वायरल तस्वीर से फोटोग्राफर की इमेज को क्रॉप किया और हमें यह फोटो गूगल रिजल्ट्स में बहुत से वेबसाइट पर मिली।

पिक्साबे पर भी यह तस्वीर मिली, यहाँ दी गयी जानकारी की मुताबिक यह 1 जनवरी 2015 को अपलोड की गयी है।

वायरल और असल तस्वीर के दरमियान फर्क को यहाँ देखा जा सकता है।

अब तक की पड़ताल से यह तो साबित हो गया था की यह तस्वीर एडिटेड है। हालांकि, प्रधानमंत्री की तस्वीर खींचने को लेकर क्या प्रोटोकॉल्स होते हैं। इसकी जानकारी के लिए हमने न्यू इंडियन एक्सप्रेस के सीनियर फोटोग्राफर शेखर यादव से सम्पर्क किया और वायरल फोटो उनके साथ शेयर कर के इस प्रोटोकॉल्स से जुडी मालूमात हासिल करनी चाही। उन्होंने हमें बताया कि ऐसा नहीं होता कभी भी कोई भी फोटोग्राफर प्रंधानमंत्री के इस हद तक फोटो खींचने के लिए करीब जाये और बिल्कुल सामने से लेट कर फोटो लेना शुरू कर दे। हालांकि, गवर्नमेंट के फोटोग्राफर अक्सर बहुत करीब से फोटो लेते हैं, लेकिन वह रेयर केसेज़ में होता है।

विश्वास न्यूज़ ने वायरल पोस्ट को शेयर करने वाले फेसबुक यूजर Puran Singh की सोशल स्कैनिंग की। हमने पाया कि यूजर को 128 लोग फॉलो करते हैं। इसके अलावा यूजर की प्रोफाइल लॉक्ड है और कोई भी जानकारी पब्लिक नहीं है।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ ने प्रधानमंत्री मोदी और ज़मीन में लेट कर फोटो खींचते इस फोटोग्राफर की वायरल हो रही तस्वीर की पड़ताल में पाया कि यह पिक्चर एडिटेड है। इस तस्वीर में फोटोग्राफर को अलग से जोड़ा गया है।

False
Symbols that define nature of fake news
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