नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर स्कूली बच्चों की एक तस्वीर वायरल हो रही है। दावा किया जा रहा है कि यह तस्वीर गुजरात की है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह दावा गलत निकला। गुजरात के स्कूल के दावे के साथ वायरल हो रही बच्चों की तस्वीर दूसरे राज्य की है।
फेसबुक पर ”प्रियंका गांधी-फ्यूचर ऑफ इंडिया” (Priyanka Gandhi-future of India) प्रोफाइल से शेयर की गई तस्वीर में कुछ अन्य दावे भी किए गए हैं।
फेसबुक पोस्ट में लिखा गया है, ‘गुजरात में 25 सालों से किसकी सरकार है सब जानते है, वहां सरकारी शिक्षा के हालात देखिए,
बजट! शिक्षा पर पूरे देश में खर्च 400 करोड़,
कुंभ स्नान पर 4000 करोड़,
क्या ऐसे बनेगा भारत विश्वगुरु??’
पड़ताल किए जाने तक इस पोस्ट को करीब 200 लोग शेयर कर चुके हैं।
पड़ताल की शुरुआत हमने तस्वीर की जांच के साथ की। रिवर्स इमेज के जरिए हमें अंग्रेजी अखबार ”हिंदुस्तान टाइम्स” के वेब एडिशन का एक लिंक मिला, जिसमें इस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है।
7 जनवरी 2019 को वेब एडिशन में प्रकाशित खबर के मुताबिक, ‘मध्य प्रदेश के सागर जिले के एक प्राथमिक विद्यालय में स्कूली बच्चे खुले और गंदी जगह में बैठने के लिए मजबूर हैं। स्कूल की नई बिल्डिंग में कोई रोशनी नहीं है, जिसकी वजह से अंधेरे में छात्रों को पढ़ाना मुमकिन नहीं है।’
सूत्रों के हवाले से लिखी गई खबर में बताया गया है, ‘परसोरिया गांव के प्राथमिक विद्यालय के छात्र, जो जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर सागर-जबलपुर हाईवे पर स्थित है, इन दिनों नई और पुरानी स्कूल बिल्डिंग के बीच की जगह में जूट की चटाई पर बैठकर पढ़ने के लिए मजबूर हैं। स्कूल की दीवार कई जगह से टूटी हुई है, जिसकी वजह से आवारा कुत्ते अक्सर स्कूल में घुस आते हैं। यहीं पर छात्रों को दोपहर का खाना भी परोसा जाता है।’
तस्वीर सामने आने के बाद काफी हंगामा हुआ था और मामले की जांच के आदेश दिए गए थे। विश्वास न्यूज ने इस मामले में सागर जिले के सर्व शिक्षा अभियान के को-ऑर्डिनेटर एच पी कुर्मी से बात की। उन्होंने बताया, ‘अब ऐसी कोई स्थिति नहीं है। स्कूल की पुरानी बिल्डिंग को गिराने के आदेश दिए गए है और बच्चों को नई बिल्डिंग में पढ़ाया जा रहा है।’
यानी जो तस्वीर गुजरात के किसी स्कूल के नाम से वायरल हो रही थी, वह मध्य प्रदेश के सागर जिले के परसोरिया गांव के प्राथमिक विद्यालय की तस्वीर है। अब आते हैं, तस्वीर के साथ किए गए अन्य दावों पर। तस्वीर के साथ वायरल पोस्ट में दो अन्य दावे किए गए हैं।
बजट शिक्षा पर पूरे देश में खर्च 400 करोड़ रुपये।
बजट 2019-20 में शिक्षा मंत्रालय को 94,853.64 करोड़ रुपये का आवंटन दिया गया है, जो पिछले वित्त वर्ष 2018-19 के बजटीय अनुमान से करीब 10,000 करोड़ रुपये अधिक है।
2018-19 में शिक्षा मंत्रालय को 85,010 करोड़ रुपये (बजटीय अनुमान) को आवंटन मिला था, जिसे बाद में संशोधित कर 83,625.86 करोड़ रुपये कर दिया गया था। बजट दस्तावेज में इन आंकड़ों को देखा जा सकता है।
गौरतलब है कि सरकार ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए ‘विश्व स्तर के संस्थानों’ के लिए सरकार ने 400 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए, जो पिछले वर्ष के संशोधित अनुमान से तीन गुणा अधिक है, लेकिन शिक्षा के लिए कुल बजट 94,854 करोड़ रुपये रहा।
कुंभ स्नान पर 4,000 करोड़ रुपये।
प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कुंभ मेला 2019 के लिए 4,236 करोड़ रुपये का आवंटन किया था। एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, कुंभ 2019 के लिए किया गया आवंटन 2013 के आवंटन के मुकाबले तीन गुणा अधिक था।
एजेंस ने उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल के हवाले से बताया, ‘2019 के कुंभ मेला के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 4,236 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। पिछली सरकार ने महाकुंभ के लिए 1,300 करोड़ रुपये का आवंटन किया था, जिसका आयोजन 2013 में किया गया था।’
बिजनेस टुडे में 16 जनवरी 2019 को प्रकाशित खबर (प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) की रिपोर्ट) के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कुंभ मेला 2019 के लिए 4,236 करोड़ रुपये का आवंटन किया था। एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, कुंभ 2019 के लिए किया गया आवंटन 2013 के आवंटन के मुकाबले तीन गुणा अधिक था।
एजेंसी ने उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल के हवाले से बताया, ‘2019 के कुंभ मेला के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 4,236 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। पिछली सरकार ने महाकुंभ के लिए 1,300 करोड़ रुपये का आवंटन किया था, जिसका आयोजन 2013 में किया गया था।’
रिपोर्ट के मुताबिक 4,236 करोड़ रुपये में से उत्तर प्रदेश सरकार ने 2,000 करोड़ रुपये का निवेश किया, जबकि केंद्र सरकार ने 2,200 करोड़ रुपये की मदद दी।
निष्कर्ष: गुजरात के स्कूल के नाम से वायरल हो रही तस्वीर वास्तव में मध्य प्रदेश के सागर जिले के एक गांव के प्राइमरी स्कूल की है। इसके साथ ही फेसबुक पोस्ट में शिक्षा बजट को लेकर किया गया दावा गलत है। हालांकि, कुंभ मेले पर हुए खर्च को लेकर दी गई जानकारी सही है। विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह पोस्ट गुमराह करने वाला साबित होता है।
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