Fact Check: बंगाल बीजेपी प्रेसिडेंट दिलीप घोष के साथ मारपीट का CAA विरोधी प्रदर्शनों से नहीं है कोई संबंध

बंगाल बीजेपी प्रेसिडेंट दिलीप घोष और उनके समर्थकों के साथ हुई मारपीट का वीडियो नागरिकता संशोधन कानून के लागू होने से पहले का है, जो सोशल मीडिया पर गलत दावे के साथ वायरल हो रहा है।

नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर पश्चिम बंगाल से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद दिलीप घोष के समर्थकों की पिटाई का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसे लेकर दावा किया जा रहा है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के डोर-टू-डोर कैंपेन के दौरान बंगाल में नाराज लोगों ने बीजेपी के कार्यकर्ताओं की पिटाई कर दी।

विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा गलत निकला। दिलीप घोष और बीजेपी समर्थकों के जिस वीडियो को CAA समर्थन के तहत डोर-टू-डोर अभियान के दौरान हुई मारपीट का बताया जा रहा है, वह पुराना वीडियो है, जिसका नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों से कोई लेना-देना नहीं है।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक यूजर ‘Koyamon Kaithakath’ ने दिलीष घोष और बीजेपी के पार्टी कार्यकर्ताओं की पिटाई के वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है, ”पूर्वोत्तर भारत में बीजेपी के अच्छे दिन। सीएए-एनआरसी-एनपीआर के समर्थन में डोर-टू-डोर कैंपेन के दौरान बीजेपी के नेताओं का समर्थन करते लोग।”

(वायरल फेसबुक पोस्ट और उसका आर्काइव लिंक)

कई अन्य फेसबुक यूजर्स ने इसी वीडियो को समान और मिलते-जुलते दावे के साथ शेयर किया है।

पड़ताल

वीडियो में बंगाल बीजेपी के नेता दिलीप घोष पार्टी समर्थकों के साथ दिखाई दे रहे हैं। बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट कर रहे लोगों को साफ तौर पर ”गोरखा को क्या समझता है…..क्या बोला था गोरखालैंड नहीं होगा….” बोलते हुए सुना जा सकता है।

इन कीवर्ड के साथ सर्च करने पर हमें ‘दैनिक जागरण’ में6 अक्टूबर 2017 को प्रकाशित खबर का लिंक मिला। खबर के मुताबिक, ‘पहाड़ के तीन दिवसीय दौरे पर गए भारतीय जनता पार्टी के प्रतिनिधि दल पर गुरुवार को दार्जिलिंग में कुछ लोगों ने हमला कर दिया। उन्होंने प्रतिनिधि दल में शामिल पश्चिम बंगाल के भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष के साथ बदसलूकी की और पार्टी के अन्य नेताओं व कार्यकर्ताओं को सड़क पर लात-घूंसों व लाठियों से पीटा। हमलावरों से बचने के लिए घोष को स्थानीय चौक बाजार थाने में शरण लेनी पड़ी।’

दैनिक जागरण में 6 अक्टूबर 2017 को प्रकाशित खबर

अंग्रेजी अखबार ‘न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ में भी 6 अक्टूबर 2017 को प्रकाशित खबर में इस घटना का जिक्र है। रिपोर्ट के मुताबिक, दार्जिलिंग के चौक बाजार इलाके में पश्चिम बंगाल के बीजेपी प्रेसिडेंट दिलीप घोष, वाइस प्रेसिडेंट प्रकाश मजूमदार और अन्य नेताओं के साथ मारपीट की गई।

खबर के मुताबिक, घोष और मजूमदार का पीछा किया गया और उनके साथ धक्का-मुक्की की गई, जबकि अन्य नेताओं को बुरी तरह से मारा गया। घोष ने इस घटना के लिए तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों और गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के विद्रोही गुट बिनय तमांग को जिम्मेदार ठहराया था।

‘न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट में जयप्रकाश मजूमदार के बयान का भी जिक्र है। मजूमदार के अनुसार, ‘पहले वह आए और उन्होंने हमें मंच से जाने के लिए कहा, जहां हम बैठक कर रहे थे। हम जाने के लिए सहमत हो गए, लेकिन उन्होंने हमारा पीछा किया और हमारे नेताओं को मारा-पीटा। उन्होंने मेरे और दिलीप घोष के साथ धक्का-मुक्की की। हमने दार्जिलिंग सदर पुलिस स्टेशन में शरण लिया, लेकिन हमें पुलिस सुरक्षा नहीं मिली।’

न्यूज सर्च में हमें हिंदी न्यूज चैनल ‘ABP’ का भी वीडियो मिला, जिसमें इस घटना का जिक्र है। चैनल के वेरिफाइड यू-ट्यूब हैंडल पर इस वीडियो 6 अक्टूबर 2017 को ही अपलोड किया गया है। वीडियो के साथ दी गई जानकारी के मुताबिक, ‘दार्जिलिंग में बीजेपी प्रेसिडेंट दिलीप घोष पर हमला हुआ था।’

चैनल के वीडियो बुलेटिन में उसी वीडियो का इस्तेमाल किया गया है, जो सोशल मीडिया पर गलत दावे के साथ वायरल हो रहा है।

हमारे सहयोगी दैनिक जागरण के संपादक (बंगाल) जे के वाजपेयी ने इस पुरानी घटना की पुष्टि करते हुए बताया, ‘वायरल वीडियो दार्जिलिंग में हुई एक बैठक के दौरान हुए मारपीट से संबंधित है, जब बिनय तमांग गुट के लोगों ने बीजेपी प्रेसिडेंट और अन्य नेताओं पर हमला कर दिया थ।‘

10 दिसंबर को लोकसभा से पारित होने के बाद 11 दिसंबर को नागरिकता संशोधन विधेयक को राज्यसभा से पास किया गया था, जिसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिली और यह विधेयक कानून बन गया।

गौरतलब है कि सीएए के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन की शुरुआत 10 दिसंबर 2019 के बाद शुरू हुई। न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, CAA के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के बीच बीजेपी ने 4 जनवरी 2020 को इस मुद्दे के प्रति लोगों को जागरूक बनाने के लिए 10 दिनों के डोर-टू-डोर जागरूकता अभियान को चलाए जाने की घोषणा की थी।

निष्कर्ष: बंगाल बीजेपी प्रेसिडेंट दिलीप घोष और उनके समर्थकों के साथ हुई मारपीट का वीडियो नागरिकता संशोधन कानून के लागू होने से पहले का है, जो सोशल मीडिया पर गलत दावे के साथ वायरल हो रहा है।

False
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