Fact Check: बंगाल में सांप्रदायिक हिंसा को लेकर भ्रामक दावे के साथ वायरल हो रहा पुराना वीडियो

नई दिल्ली (विश्वास टीम)। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें दावा किया गया है कि पश्चिम बंगाल में संप्रदाय विशेष के लोगों की दुकानों को जलाया जा रहा है और उन्हें उनके घरों से निकाला जा रहा है। वीडियो के साथ लिखे पोस्ट में दावा किया गया है कि बंगाल में कश्मीर जैसे हालात हो गए हैं।

विश्वास न्यूज की पड़ताल में यह वीडियो गुमराह करने वाला साबित होता है। करीब साल भर पुराने वीडियो को मौजूदा संदर्भ का बताकर वायरल करने की कोशिश की गई।

क्या है वायरल पोस्ट में?

फेसबुक पर संबंधित वीडियो को इस मैसेज के साथ पोस्ट किया गया है। पोस्ट में लिखा है, ‘बंगाल में रहने वाले हिंदुओं की दुकानों को जलाया जा रहा है हिंदुओ के घरों को जबरदस्ती खाली कराया जा रहा है उनको पलायन के लिये मजबूर किया जा रहा है बंगाल में बिल्कुल जम्मू-कश्मीर जैसे हालात हैं।

आखिर इस ममता बनर्जी को हिंदुओं से इतनी नफरत क्यों है, क्योंकि हिंदू नाम का चोला ओढ़े #ममता_बनर्जी वास्तविकता में एक #मुस्लिम महिला है।’

फेसबुक पर इस वीडियो को रिनित गोविंदानी (Rinit Govindani) ने 9 मई को सुबह 10.45 मिनट पर शेयर किया है। पड़ताल किए जाने तक इस वीडियो को करीब 9,000 व्यूज मिल चुके हैं।

पड़ताल:

वीडियो को देखने पर साफ पता चलता है कि यह बीबीसी हिंदी का है। पूरे वीडियो में इस बीबीसी हिंदी के लोगो को साफ-साफ देखा जा सकता है। वीडियो को लोकसभा चुनाव के छठे चरण के चुनाव के तीन दिन पहले शेयर किया गया है। छठे चरण के तहत 12 मई को बंगाल की 6 सीटों पर मतदान होना है।

वीडियो की टाइमिंग का पता लगाने के दौरान हमें बीबीसी हिंदी का ओरिजिनल वीडियो मिला, जिसे यहां देखा जा सकता है।

बीबीसी हिंदी का यह वीडियो 2 अप्रैल 2018 का है, जब बंगाल के आसनसोल में रामनवमी के मौके पर निकली जुलूस के बाद हिंसा भड़क उठी थी और तनाव के दौरान उपद्रवियों ने कई दुकानों और मकानों को आग के हवाले कर दिया था। बीबीसी हिंदी ने इसी हालात की ग्राउंड रिपोर्टिंग की थी, जिसका वीडियो उन्होंने अपनी साइट पर 2 अप्रैल 2018 को जारी किया था।

न्यूज एजेंसी एएनआई के ट्वीट से भी इसकी पुष्टि की जा सकती है। इसके मुताबिक, रामनवमी महोत्सव के मौके पर राम मंदिर महोत्सव समिति ने पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में जुलूस निकाला था।

न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक, बंगाल के अलग-अलग हिस्सों में ऐसी  रैलियां निकाली गई थीं। पुरुलिया जिले में इस जुलूस के दौरान दो समूहों में झड़प में एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी और पांच पुलिसवाले भी घायल हुए थे।

आईपीएस एसोसिएशन के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से 27 मार्च 2018 को किए गए ट्वीट में बंगाल में पसरे तनाव की जानकारी मिलती है। ट्वीट के मुताबिक, ‘सोमवार को हुई हिंसा के दौरान आसनसोल-दुर्गापुर के डीसीपी और आईपीएस अधिकारी अरिंदम दत्त चौधरी गंभीर रूप से घायल हुए थे और उन्हें अपनी हाथ गंवानी पड़ी।’

न्यूज रिपोर्ट में भी इसकी पुष्टि की जा सकती है। ”Communal Violence in Bengal” कीवर्ड के साथ जब हमने गूगल सर्च किया तो 2018 की सांप्रदायिक हिंसा की ही खबरें सामने आईं।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज की पड़ताल में वायरल हो रहा वीडियो करीब एक साल पुराना है और उसके साथ किया जा रहा दावा गुमराह करने वाला है।

False
Symbols that define nature of fake news
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