Fact Check: CAA-NRC विरोध प्रदर्शन के पुराने वीडियो को हालिया संदर्भ में भ्रामक दावे से किया जा रहा शेयर
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), एनआरसी और एनपीआर के विरोध प्रदर्शन के वीडियो को हालिया संदर्भ में भ्रामक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।
- By: Abhishek Parashar
- Published: Aug 30, 2024 at 06:25 PM
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। पश्चिम बंगाल रेप-मर्डर केस के खिलाफ जारी विरोध प्रदर्शनों और पड़ोसी देश बांग्लादेश की सियासी अनिश्चितता के बीच अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुई हिंसा के संदर्भ में सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो को लेकर दावा किया जा रहा है कि यह पश्चिम बंगाल का वीडियो है, जहां मुस्लिमों ने ‘ऐलान-ए-जंग की शुरुआत कर दी है। वायरल वीडियो क्लिप में एक व्यक्ति को बड़ी भीड़ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ललकारते हुए सुना जा सकता है।
विश्वास न्यूज ने अपनी जांच में इस दावे को भ्रामक पाया। वायरल हो रहा वीडियो न तो हालिया है और न ही किसी हिंसक प्रदर्शन का। वायरल हो रहा वीडियो करीब चार साल पुराना और मौलाना जरजिस अंसारी का है, जो सीएए, एनआरसी (नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस) के खिलाफ हुए प्रदर्शन से संबंधित है। बताते चले कि देश में अब नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू हो चुका है।
क्या है वायरल?
सोशल मीडिया यूजर ‘ayodhyawala_in’ ने वायरल वीडियो क्लिप (आर्काइव लिंक) को शेयर किया है, जिस पर लिखा है, “बंगाल की धरती से ऐलान ए जंग शुरू हो गई। वीडियो को देख और सुन लो हमारे सनातनी साथियों।”
सोशल मीडिया पर भ्रामक दावे के साथ वायरल पोस्ट का स्क्रीनशॉट।
सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर कई अन्य यूजर्स ने इस वीडियो को हालिया संदर्भ में समान दावे के साथ शेयर किया है।
पड़ताल
वायरल वीडिय क्लिप में नजर आ रहे मंच पर लगे बैनर में CAA-NPR_NRC लिखा हुआ नजर आ रहा है, जिससे यह स्पष्ट है कि वायरल हो रहा वीडियो हाल का नहीं, बल्कि पुराना है।
वायरल वीडियो के ऑरिजिनल सोर्स को ढूंढने के लिए हमने इसके की-फ्रेम्स को रिवर्स इमेज सर्च किया और सर्च में हमें यह वीडियो कई यूजर्स की प्रोफाइल पर लगा मिला। ‘KING KHAN’ नाम के फेसबुक यूजर से इस वीडियो को 27 जनवरी 2020 को शेयर किया गया है।
दी गई जानकारी के मुताबिक, वीडियो में नजर आ रहा व्यक्ति मौलाना जरजिस अंसारी है और यह कार्यक्रम सीएए-एनपीआर-एनआरसी के खिलाफ आयोजित विरोध प्रदर्शन का था।
एक अन्य यू-ट्यूब चैनल पर भी हमें यह वीडियो मिला, जिसे 30 जनवरी 2020 को अपलोड किया गया है। दी गई जानकारी के मुताबिक, यह वीडियो 26 जनवरी 2020 को हुए कार्यक्रम का है, जिसमें सीएए, एनपीआर और एनआरसी का विरोध किया गया था।
हमारी जांच से स्पष्ट है कि वायरल हो रहा वीडियो हालिया नहीं, बल्कि कई साल पुराना है। वायरल वीडियो को लेकर हमने हमारे सहयोगी दैनिक जागरण के कोलकाता ब्यूरो चीफ जे के वाजपेयी से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि वायरल हो रहा वीडियो पुराना है।
गौरतलब है कि संसद ने 11 दिसंबर 2019 को नागरिकता (संशोधन) कानून, 2019 को पारित कर दिया था। इस कानून के जरिए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के धार्मिक रूप से उत्पीड़ित हिंदू, सिखों, बौद्धों, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को धार्मिक उत्पीड़न के आधार पर नागरिकता देने के लिए लाया गया था।
इसके बाद सरकार ने 12 दिसंबर 2019 को इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी थी, लेकिन इसे लागू नहीं किया जा सका था, क्योंकि इसके लिए जरूरी नियमों का निर्माण नहीं हो पाया था। रिपोर्ट के मुताबिक, आखिरकार सरकार ने 11 मार्च को अधिसूचना जारी करते हुए नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लागू कर दिया है।
वायरल वीडियो को भ्रामक दावे के साथ शेयर करने वाले यूजर को इंस्टाग्राम पर करीब सात हजार से अधिक लोग फॉलो करते हैं।
निष्कर्ष: नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), एनआरसी और एनपीआर के विरोध प्रदर्शन के वीडियो को हालिया संदर्भ में भ्रामक दावे के साथ वायरल किया जा रहा है।
- Claim Review : पश्चिम बंगाल से मुस्लिमों ने की विरोध प्रदर्शन की शुरुआत।
- Claimed By : Insta User-ayodhyawala_in
- Fact Check : भ्रामक
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