Fact Check: उत्तर प्रदेश के पुराने वीडियो को कश्मीर का बता कर किया जा रहा है वायरल

विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। असली वीडियो 2019 गोरखपुर का है। इसका कश्मीर से कोई लेना देना नहीं है।

Fact Check: उत्तर प्रदेश के पुराने वीडियो को कश्मीर का बता कर किया जा रहा है वायरल

नई दिल्ली (Vishvas News)। सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें पुलिस को कुछ लोगों पर लाठीचार्ज करते देखा जा सकता है। पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि वीडियो कश्मीर का है। विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। असली वीडियो 2019 गोरखपुर का है। इसका कश्मीर से कोई लेना देना नहीं है।

क्या हो रहा है वायरल

फेसबुक पर عباده नाम के यूजर ने इस वीडियो को अपलोड करते हुए दावा किया “अनुवादित: दिल शोक करता है, और आंख फटी की फटी रह जाती है। और जो कुछ हमारे देश में हो रहा है उसके लिए मैं दुखी हूं। (हाथ उठाएं और दिल से उनके लिए प्रार्थना करें) भारत ने इस्लाम को छोड़कर सभी धर्मों के लोगों को चेतावनी दी है कि वे आतंकवाद के खिलाफ या अधिक सटीक रूप से इस्लाम के खिलाफ बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान की तैयारी के लिए तुरंत कश्मीर छोड़ दें। और एक बड़े नरसंहार की तैयारी में इंटरनेट और संचार काट दिया गया है , उन्होंने हैशटैग किया।.”

फेसबुक पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन देखें।

पड़ताल

विश्वास न्यूज ने सबसे पहले गूगल रिवर्स इमेज में इस वीडियो के स्क्रीनग्रैब्स को ढूंढा। हमें यह वीडियो Social Media News नाम के यूट्यूब चैनल पर 31 दिसंबर 2019 को अपलोडेड मिला। वीडियो के साथ लिखा था “Indian Police Beaten anti-Citizenship Law protester. CAA – NRC – CAA_NRC – India – CAAProtest _CAA” यह वीडियो काफी साफ़ है और इसमें आस पास की दुकानों पर लिखे नाम साफ देखे जा सकते हैं। मंगला वेडिंग कलेशन और माँ वैष्णो स्टेशनर्स।

यहाँ से क्लू लेते हुए हमने इंटरनेट पर कीवर्ड सर्च किया। हमें यह वीडियो दुसरे एंगल से NYOOOZ UP- Uttarakhand l उत्तर प्रदेश- उत्तराखंड नाम के यूट्यूब चैनल पर अपलोडेड मिला। यह डिस्क्रिप्शन में लिखा था “Gorakhpur: NRC और CAA के प्रदर्शनकारियों पर Police का जबरदस्त लाठीचार्ज” गला वेडिंग कलेशन और माँ वैष्णो स्टेशनर्स दुकानें इस वीडियो में भी देखि जा सकती हैं।

पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए विश्वास न्यूज ने हमने इस मामले को लेकर दैनिक जागरण गोरखपुर के उप संपादक प्रदीप श्रीवास्तव से संपर्क किया। उसने हमें बताया “यह वीडियो गोरखपुर का 2019 का है जब प्रदर्शनकारिओं और पुलिस बीच हुई झड़प के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारिओं पर लाठीचार्ज किया था।”

इसके बाद हमने इंस्टरनेट पर कीवर्ड्स के साथ सर्च किया। हमें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें कहा गया हो कि सरकार या मिलिट्री ने बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान की तैयारी के लिए लोगों को कश्मीर खाली करने के लिए कहा है।

पड़ताल के अंत में अब बारी थी फर्जी पोस्ट करने वाले यूजर की जांच करने की। हमें पता चला कि फेसबुक पेज عباده के 29,939 फ़ॉलोअर्स हैं।

निष्कर्ष: विश्वास न्यूज़ ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। असली वीडियो 2019 गोरखपुर का है। इसका कश्मीर से कोई लेना देना नहीं है।

False
Symbols that define nature of fake news
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